पूर्व सेवादार ही निकला दोहरा हत्याकांड का मास्टरमाइंड । 23 दिन बाद भारमल मंदिर में पुजारी और सेवादार की हत्याकांड का खुलासा। 1200 लोगों से पूछताछ, 1000 कैमरों को खलाकर अंजाम तक पहुंची पुलिस। बाबा डांगगल बना आरोपियों तक पहुंचने में अहम कड़ी

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25 दिसंबर 2024 को भारामल मंदिर में भंडारे के दिन तीनों आरोपियों को शराब पीने से रोककर श्रीहरिगिरि महाराज ने डांटकर भगा दिया था। जिसपर तीनों उनसे रंजिश रखने लगे थे।

इसका बदला लेने के लिए चार जनवरी की आधी रात को उन्होंने मिलकर महंत की हत्या कर दी। वहीं, उनको बचाने आए सेवादार रूप सिंह बिष्ट को भी लाठियों से पीटकर मार डाला।

जबकि दूसरे सेवादार नन्हे को गंभीर रूप से घायल कर दिया। नन्हें को मरा समझकर वह उसे छोड़कर चले गए थे। जबकि तीसरे सेवादार जगदीश ने पराली के ढेर में छिपकर जान बचाई थी।

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उन्होंने बताया कि अभियुक्तों में पीलीभीत निवासी रामपाल और उसके भाई कालीचरण और पवन कुमार को शनिवार रात को गिरफ्तार किया गया था। उन्होंने बताया कि रामपाल और कालीचरण सगे भाई हैं। कालीचरण करीब पांच साल पहले भारामल मंदिर में सेवादार रह चुका है। उसे भारामल मंदिर के सभी रास्ते मालूम थे। जबकि पवन कुमार पीलीभीत के सुनगड़ी थाने का हिस्ट्रीशीटर बदमाश है।

Hindustan Global Times,शैल ग्लोबल टाइम्स, अवतार सिंह बिष्ट, रूद्रपुर, उत्तराखंड, राज्य निर्माण आंदोलनकारी

भारामल मंदिर के पुजारी बाबा हरिगिरी जी महाराज व सेवादार रुपा की डंडों से पीटकर हत्या कर दी गई थी, बदमाशों ने मौके से कुछ नगदी व सामान भी उड़ाया था। उन्होंने की यह घटना उनके लिए चुनौती थी, क्योंकि मौके पर न तो सीसीटीवी थे, और ही सर्विलांस काम कर रहा था, घायल दूसरा सेवादार नन्हें भी कुछ नहीं बता पा रहा। ऐसे में उनकी तेज तर्रार टीम लगातार काम कर रही। टीम ने 1200 से ज्यादा लोगों से पूछताछ की, एक हजार कैमरे खंगाले।

एसएसपी के मुताबिक घटना को रामपाल, पवन व कालीचरण नाम के लोगों ने अंजाम दिया था कालीचरण पहले भारामल मंदिर में सेवादार रहा है, जबकि रामपाल ओगढबाबा है। पवन पीलीभीत जनपद की सोनगढी थाने का हिस्ट्रीशीटर है। एसएसपी के मुताबिक घटना से पहले मंदिर में हुए भंडारे में कालीचरण और रामपाल आया था, दोनों भंडारे में हिस्सा लेने के बाद वही रुक गए। पुलिस के मुताबिक दोनों मंदिर परिसर में शराब का सेवन कर रहे, जिसपर बाबा हरिगिरी महाराज ने उन्हें डांट
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दोनों उस समय तो वहां से चले गए, लेकिन बाद में दोनों ने बाबा को मौत के घाट उतारने की योजना बना ली, दोनो ने हिस्ट्रीशीटर पवन को भी साथ ले लिया। घटना के दिन तीनों ट्रेन से खटीमा तक आए और फिर छोटे वाहनों के माध्यम से कुछ दूर तक गए थे, रात को तीनों ने जंगल में पैदल ही चलकर मंदिर पहुंचे थे। उन्होंने डंडे भी वही से काटे थे, तीनों ने पहले बाबा पर हमला किया था, इसके बाद बचाव में आया रुपा और नन्हें पर हमला किया था, जिसमें बाबा और सेवादार रुपा की मौके पर ही मौत हो गई थी।

पुलिस ने आरोपियों के पास हजारों की नगदी, बाबा का लूटा गया मोबाइल वअन्य सामान भी बरामद कर लिया है।घटना के खुलासे में एसपी सिटी मनोज कत्याल, एसपी काशीपुर अभय सिंह
समेत स्थानीय पुलिस, एसओजी व कई थानों की पुलिस की अहम भूमिका रही।

Hindustan Global Times,शैल ग्लोबल टाइम्स, अवतार सिंह बिष्ट, रूद्रपुर, उत्तराखंड, राज्य निर्माण आंदोलनकारी

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