बाग्लादेश के हालात पर सरकार ने आज सर्वदलीय बैठक बुलाई है। यह बैठक संसद भवन में बुलाई गई है। विदेश मंत्री एस जयशंकर बांग्लादेश के हालात पर जानकारी देंगे। बांग्लादेश में हिंसा का दौर अभी भी जारी है और शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद भी प्रदर्शनकारी सड़कों पर डटे हैं।

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स्टोरी बांग्लादेश प्रदर्शनकारी पुलिस थानों से हथियार भी लूट ले गए। प्रदर्शनकारी आवामी लीग के नेताओं और अधिकारियों को निशाना बना रहे हैं। वहीं बांग्लादेश में जारी बवाल को शांत करने के लिए सेना प्रमुख आज प्रदर्शनकारियों के नेताओं से मुलाकात कर सकते हैं।
बांग्लादेश में जारी हिंसा के बाद बीएसएफ को हाई अलर्ट पर रखा गया है। ऐसी रिपोर्ट्स मिली हैं कि बड़ी संख्या में बांग्लादेशी नागरिक सीमा पार कर भारत की सीमा में दाखिल होने की फिराक में हैं।
बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना के बेटे सजीब वाजेद ने कहा है कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया है। वाजेद ने कहा कि शेख हसीना ने देश को अच्छी सरकार दी और अब वह अपने नाती-पोतों के साथ समय बिताएंगी और राजनीति में वापसी नहीं करेंगी।

हिंदुस्तान Global Times/print media,शैल ग्लोबल टाइम्स,अवतार सिंह बिष्ट, रुद्रपुर में

बांग्लादेश में जारी हिंसा के बीच बंगाल में भी अलर्ट है। बंगाल पुलिस ने लोगों से अपील की है कि वह किसी भी तरह की भड़काऊ वीडियो को साझा न करें। साथ ही भारत बांग्लादेश सीमा पर भी सुरक्षा मजबूत कर दी गई है।
बांग्लादेश के राष्ट्रपति मुहम्मद शहाबुद्दीन ने एलान किया है कि संसद भंग करने के बाद जल्द ही अंतरिम सरकार का गठन कर लिया जाएगा। साथ ही पूर्व पीएम खालिदा जिया की रिहाई के भी आदेश दे दिए गए हैं। वहीं विश्व बैंक ने कहा है कि वह बांग्लादेश के हालात पर नजर रखे हुए हैं और बांग्लादेश में जारी हिंसा और पीएम शेख हसीना के देश छोड़ने का विश्व बैंक के कर्ज कार्यक्रम पर क्या असर होगा इसकी समीक्षा की जा रही है।

बांग्लादेश के छात्र संगठनों के नेताओं ने मोहम्मद यूनुस से अपील की है कि वह बांग्लादेश की अंतरिम सरकार का नेतृत्व करें। रिपोर्ट्स के अनुसार, मोहम्मद यूनुस बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार बन सकते हैं।

तख्तापलट के बाद शेख हसीना अगरतला के रास्ते भारत पहुंचीं. फिर वहां से सी-130J विमान से दिल्ली के करीब हेडन में बेस पर उतरीं. शेख हसीना (Sheikh Hasina) को सुरक्षित भारत लाने के लिए खास तैयारी की गई थी.

आर्मी से लेकर एयरफोर्स तक अलर्ट थी और पल-पल उनके विमान पर नजर रखी जा रही थी.

भारत के रडार पल-पल रख रहे थे नजर
शेख हसीना का AJAX143 कॉल साइन वाला सी-130J विमान जैसे ही भारतीय सीमा से 10 किलोमीटर पहले पहुंचा, भारत ने अपना रडार एक्टिव कर दिया और उनके विमान के एक-एक सेकंड की मॉनीटरिंग की जाने लगी. सिक्योरिटी एजेंसियों के मुताबिक एयरफोर्स को शेख हसीना के भारत आने के बारे में पहले ही आगाह कर दिया गया था. यह भी इंडीकेट कर दिया गया था कि उस विमान में कौन है. इसलिए वायु सेना हर परिस्थिति से निपटने के लिए तैयार थी.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक शेख हसीना के विमान को सुरक्षित भारत में लैंड कराने और किसी भी आपात परिस्थिति से निपटने के लिए भारत ने दो राफेल विमान भी स्टैंडबाई मोड में रखे थे.

NSA अजीत डोवाल की मीटिंग
रिपोर्ट्स के मुताबिक 5 जुलाई को दोपहर करीब 3 बजे जैसे ही शेख हसीना बांग्लादेश से रवाना हुईं, एनएसए अजीत डोवाल, आर्मी चीफ जनरल उपेंद्र त्रिवेदी, IB और रॉ जैसी खुफिया एजेंसी के चीफ और इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ प्रमुखों की एक टॉप लेवल की बैठक भी हुई. जिसमें बांग्लादेश के हालात और शेख हसीना के भारत आने के मामले पर चर्चा हुई.

पटना के रास्ते विमान पहुंचा हिंडन
शेख हसीना का विमान कोलकाता के रास्ते पटना होते हुए शाम करीब 5:45 पर हिंडन एयर बेस पर पहुंचा. इसके बाद एनएसए अजीत डोवाल और भारत सरकार के दूसरे टॉप अफसरों ने उनसे मुलाकात की. हसीना से मुलाकात के बाद एनएसए डोवाल वापस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ब्रीफिंग देने पहुंचे.

प्रधानमंत्री आवास पर प्रदर्शनकारियों ने कब्जा कर लिया है.

शेख हसीना इस्तीफा देने के बाद भले ही किसी सुरक्षित स्थान पर हों मगर हकीकत तो यही है कि वे बांग्लादेश का अतीत बन चुकी हैं. सेनाध्यक्ष वकार उज जमान ने ऐलान किया है कि देश में अब अंतरिम सरकार बनाई जाएगी. उन्होंने साफ-साफ कहा है कि वे जिम्मेदारी संभालने के लिए तैयार हैं और जल्द ही सामान्य स्थिति बहाल हो जाएगी. जनरल ने अब शांति की अपील की है.

लेकिन इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि वह लोकतांत्रिक ढंग से काम करती रहेगी या फिर सेना की संगीनों के साये में मुल्क को रहना होगा. यदि ऐसा होता है तो बांग्लादेश पाकिस्तान की राह पर चल पड़ेगा. भारत के नजरिये से यह यकीनन अच्छी खबर नहीं कही जा सकती.

जिस अवामी लीग ने पाकिस्तान के अत्याचारों से मुल्क को निजात दिलाई और समूचे संसार को एक लोकतांत्रिक देश का उपहार सौंपा, उसी अवामी लीग को अब आतंकवादी ठहराया जा रहा है. जब सारी दुनिया मंदी और आर्थिक चुनौतियों से थर-थर कांप रही थी, तो बांग्लादेश ने अपनी आर्थिक प्रगति से सबको चौंकाया था.

अब उसी राष्ट्र में आंतरिक अशांति, हिंसा और तोड़फोड़ इतने भयानक रूप में आ पहुंची कि समूचे देश में कर्फ्यू लगाना पड़ा और फौज को आगे आना पड़ा. मैं भरोसे से कह सकता हूं कि भारत के इस पड़ोसी देश में आए इस सियासी तूफान की वजह आंतरिक नहीं है. बेशक कुछ स्थानीय कारण हैं, लेकिन वे इतने गंभीर नहीं हैं कि उनकी लपटों से साढ़े सत्रह करोड़ लोग झुलसने लग जाएं.

जब पूर्व सेनाध्यक्ष फौज से अपील करने लगें कि वह सरकार का हुक्म नहीं मानते हुए अपनी बैरकों में लौट जाए तो अंदाज लगाया जा सकता है कि इसके पीछे किसी न किसी बड़ी ताकत का हाथ हो सकता है. खास तौर पर अतीत के उस अध्याय को ध्यान में रखते हुए कि बांग्लादेश और वहां लोकतंत्र को स्थापित करने वाले बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान फौजी तानाशाही का क्रूर शिकार बन चुके हैं.

अब उनकी पुत्री शेख हसीना वाजेद इन्हीं फौजी कट्टरपंथियों से किला लड़ा रही हैं. यह तर्क गले उतरता है कि उनकी सरकार ने प्रतिपक्ष का सख्ती से दमन किया है, इसलिए आरक्षण आंदोलन के बहाने असहमति के सुर को कुचलने की सजा प्रधानमंत्री को अवाम देना चाहती है. पर इतनी व्यापक हिंसा और सुनियोजित वारदातें बाहरी ताकत का समर्थन लिए बिना नहीं हो सकतीं, यह पक्का है.

24 घंटे में 100 मौतें, साढ़े तीन हजार से अधिक छोटे-बड़े कारखानों का बंद होना, सुप्रीम कोर्ट समेत सारी अदालतों पर ताला पड़ जाना, देश भर में रेल संचालन ठप किया जाना, इंटरनेट और संचार सुविधाएं बंद होना कोई साधारण बात नहीं है और अचानक सेना के आला अफसरों का कूद पड़ना कहीं न कहीं संदेह की सुई को सीमाओं के पार ले जाता है.

कल ही पूर्व सेना प्रमुख जनरल इकबाल भुइयां ने सार्वजनिक रूप से सेना से अपील की थी कि सेना को इस राजनीतिक संकट में नहीं पड़ना चाहिए. यह कोई सामान्य सी अपील नहीं थी. अशांति के ताजे घटनाक्रम के पीछे की आरक्षण कथा पर एक नजर डालते हैं. बता दूं कि जब 1971 में बांग्लादेश अस्तित्व में आया तो वहां 80 फीसदी आरक्षण था. बार-बार बदलावों के चलते 2012 में कुल 56 फीसदी आरक्षण था.

इनमें स्वतंत्रता आंदोलन ( 1971 ) के सेनानियों के बच्चों को 30 फीसदी, पिछड़े वर्गों के लिए 10 फीसदी, अल्पसंख्यकों को 5 फीसदी और विकलांगों को 1 फीसदी आरक्षण दिया गया था. शेख हसीना सरकार ने 2018 में चार महीने तक छात्रों के आंदोलन के बाद आरक्षण समाप्त कर दिया था.

इसके बाद उच्च न्यायालय में इस फैसले को चुनौती दी गई. इस बरस जून में हाईकोर्ट ने सरकार को आरक्षण बहाल करने का फिर आदेश दिया. सरकार उच्च न्यायालय के निर्णय के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गई. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश को पलटते हुए आरक्षण 7 प्रतिशत कर दिया.

इसमें 5 फीसदी स्वतंत्रता सेनानियों के बच्चों और 2 फीसदी अन्य वर्गों को आरक्षण देने का आदेश दिया था. जाहिर है सरकार को तो यह फैसला रास आया लेकिन आम अवाम को नहीं. विरोध में छात्र सड़कों पर आए और परिणाम की शक्ल शेख हसीना के तख्तापलट के रूप में सामने आई.
अब इस सारे घटनाक्रम से जोड़कर हालिया दौर में श्रीलंका, मालदीव, नेपाल, म्यांमार और पाकिस्तान के घटनाक्रम को देखिए.

श्रीलंका में प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति आवास में घुसकर बांग्लादेश जैसा ही काम किया था. म्यांमार में आंग सान सू ची को जेल में डालकर सेना ने सत्ता हथियाई. नेपाल में प्रचंड सरकार को गिरवा कर के. पी. ओली की सरकार बनाई गई. मालदीव में भी सरकार बदली गई. पाकिस्तान में भी सेना ने सरकार बदल दी. म्यांमार में आंग सान सू ची भारत समर्थक थीं और उनकी सेना चीन के साथ पींगें बढ़ा रही थी.

नेपाल में प्रचंड के स्थान पर आए के. पी. ओली कट्टर चीन समर्थक हैं, मालदीव में नए राष्ट्रपति कट्टर चीन समर्थक हैं और पाकिस्तान में इमरान खान चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को फूटी आंखों नहीं सुहाते. किसी जमाने में इमरान खान शी जिनपिंग की पाकिस्तान यात्रा के विरोध में धरने पर बैठे थे. इसके बाद चीनी राष्ट्रपति को पाकिस्तान की यात्रा स्थगित करनी पड़ी थी.

इसलिए इमरान खान को जेल से छोड़कर सेना चीन की नाराजगी मोल नहीं लेना चाहती. श्रीलंका की भौगोलिक स्थिति उसे तनिक भारत के पक्ष में लाती है अन्यथा वह चीन की गोद में तो बैठा ही हुआ था.

यह घोषणा ऐसे समय में की गई है, जब पिछले दो दिनों में हसीना की सरकार के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए हैं, जिनमें 100 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है।

बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना के देश छोड़कर चले जाने की खबरों के बीच सेना प्रमुख वकार-उज-जमान ने टेलीविजन पर दिए गए अपने संबोधन में कहा कि मैं देश की सारी जिम्मेदारी ले रहा हूं। अराजकता और हिंसा से दूर रहें। हम जल्द ही बांग्लादेश में अंतरिम सरकार बनाएंगे। कृपया सहयोग करें।

बांग्लादेश में हुए तख्तापलट के बाद यदि आर्मी रुल लगता है तो आर्मी चीफ के पास पूरे देश की कमान होगी। वर्तमान में कार उज जमान बांग्लादेश के आर्मी चीफ हैं। आइए जानते हैं उनके बारे में कुछ खास बातें…

संभाला सेना प्रमुख का पदभार

लेफ्टिनेंट जनरल वकार उज जमान को हाल ही में प्रमोट कर आर्मी जनरल नियुक्त किया गया। 58 वर्षीय लेफ्टिनेंट जनरल वकार को 11 जून 2024 को चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ के लिए सिलेक्ट किया गया और 23 जून 2024 को उन्होंने तीन साल की अवधि के लिए सेना प्रमुख का पदभार संभाला।

पूर्व सेना प्रमुख की बेटी से की शादी

1966 में ढाका में जन्मे लेफ्टिनेंट जनरल वकार उज जमान की शादी जनरल मुहम्मद मुस्तफिज़ुर रहमान की बेटी साराहनाज कमालिका जमान से हुई, जो 1997 से 2000 तक सेना प्रमुख रहे।

लंदन से की पढ़ाई

बांग्लादेश सेना की वेबसाइट के अनुसार, जमान के पास बांग्लादेश के राष्ट्रीय विश्वविद्यालय से रक्षा अध्ययन में मास्टर डिग्री और किंग्स कॉलेज लंदन से रक्षा अध्ययन में मास्टर ऑफ आर्ट्स की डिग्री है।

कई अभियानों में निभाई भूमिका

सेना प्रमुख बनने से पहले उन्होंने छह महीने से थोड़े अधिक समय तक चीफ ऑफ जनरल स्टाफ के रूप में कार्य किया। उन्होंने सैन्य अभियानों और संयुक्त राष्ट्र शांति अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

जमान ने संभाला मोर्चा

साढ़े तीन दशक के करियर में उन्होंने पूर्व पीएम हसीना के साथ मिलकर काम किया है। लेकिन इस महीने एक बार फिर देश में विरोध प्रदर्शनों के चलते जमान ने मोर्चा संभाला और लोगों की जान और सरकारी संपत्ति की सुरक्षा का जिम्मा लिया।

भारत-बांग्लादेश सीमा पर हाई अलर्ट

रविवार को पुलिस और छात्र प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़पों में 200 से अधिक लोग मारे गए। सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने सोमवार को बांग्लादेश में हुए घटनाक्रम के मद्देनजर 4096 किलोमीटर लंबी भारत-बांग्लादेश सीमा पर अपनी सभी यूनिट को हाई अलर्ट जारी किया।

सुरक्षा तैयारियों की समीक्षा

अधिकारियों ने बताया कि बीएसएफ के कार्यवाहक महानिदेशक (डीजी) दलजीत सिंह चौधरी और अन्य वरिष्ठ कमांडर सुरक्षा स्थिति की समीक्षा के लिए कोलकाता पहुंच गए हैं। महानिदेशक ने उत्तर 24 परगना जिला और सुंदरबन इलाके में तैयारियों की समीक्षा की।

पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की रिहाई

बांग्लादेश के राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने सोमवार को कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री पद से शेख हसीना का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है। इसके साथ ही उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया को रिहा करने का भी आदेश दिया, जो कई मामलों में दोषी ठहराए जाने के बाद से घर में नजरबंद हैं। शहाबुद्दीन ने संसद को भंग करने के बाद एक अंतरिम सरकार का गठन करने का भी ऐलान किया।

अंतरिम सरकार जल्द से जल्द आम चुनाव कराएगी

राष्ट्र के नाम एक टेलीविजन संबोधन में राष्ट्रपति ने कहा कि प्रधानमंत्री शेख हसीना ने आज उन्हें अपना त्यागपत्र सौंप दिया है और उन्होंने इसे स्वीकार कर लिया है। राष्ट्रपति ने कहा कि संसद को भंग करके यथाशीघ्र अंतरिम सरकार बनाने का निर्णय लिया गया है। सेना भी मौजूदा अराजक स्थिति को सामान्य बनाने के लिए कदम उठाएगी। उन्होंने कहा कि अंतरिम सरकार जल्द से जल्द आम चुनाव कराएगी।


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