शैल ग्लोबल टाइम्स आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का असर अब स्कूली बच्चों की शरारतों पर भी दिखने लगा है। एक दौर था जब स्कूल में किसी शिक्षक या शिक्षिका को बच्चे पसंद नहीं करते थे तो उनके नाम बिगाड़ देते थे।

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अब स्कूली बच्चे एआई ऐप का सहारा लेकर शिक्षक-शिक्षिकाओं की फोटो एडिट कर सोशल मीडिया पर वायरल कर दे रहे हैं। हल्द्वानी साइबर पुलिस के पास अब तक ऐसे दस मामले पहुंच चुके हैं।

प्रिंट मीडिया, शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/संपादक उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)

हल्द्वानी के सरकारी और प्राइवेट स्कूलों के 12 से 17 वर्ष के कुछ छात्रों ने अपने स्कूल की शिक्षिकाओं को मानसिक रूप से परेशान करने के लिए एआई का सहारा लिया है। हल्द्वानी में साइबर पुलिस के अधिकारियों का कहना है कि कक्षा आठ से लेकर बारहवीं तक के कुछ छात्र, उन शिक्षिकाओं को निशाना बना रहे हैं जो या तो उन्हें क्लास में डांटती-टोकती हैं या ज्यादा होमवर्क दे रही हैं।

शरारती छात्र एआई ऐप के सहारे ऐसी शिक्षिकाओं के फोटो एडिट कर रहे हैं। शिक्षिका का फोटो एडिटिंग करने के दौरान छात्र किसी अभिनेत्री के फोटो का उपयोग कर रहे हैं। छात्र उनके मीम्स भी बना दे रहे हैं। इसके बाद छात्र, बनाए गए फोटोज़ को इंस्टाग्राम और अन्य विभिन्न सोशल मीडिया एप्लीकेशन में ग्रुपों में शेयर कर रहे हैं।

छात्रों की इन हरकतों से शिक्षिकाएं तनाव में आ रही हैं, स्कूल प्रबंधन भी बच्चों की इस तरह की हरकतों से परेशान हैं। हल्द्वानी की दस शिक्षिकाएं इस संबंध में शिकायत लेकर पुलिस के पास पहुंच चुकी हैं। पुलिस इन मामलों की जांच कर संबंधित छात्रों का पता लगा रही है। कुछ मामलों में पुलिस ने छात्रों की काउंसलिंग करने के बाद मामलों का निस्तारण कर दिया है।

सीओ साइबर, हल्द्वानी सुमित पांडे कहते हैं कि अब तक ऐसे दस मामले आए हैं जिनमें बच्चों ने शिक्षिका की डांट के बाद उनकी फोटो एडिट कर वायरल कर दी। छात्र एआई का सहारा लेकर गलत दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं। शिक्षिकाओं की शिकायत के बाद काउंसलिंग कर इन मामलों का निस्तारण कर दिया है।

अनजाने में छात्र उठा रहे गैरकानूनी कदम

साइबर पुलिस का कहना है कि छात्र, शिक्षिकाओं की डांट फटकार के बाद अनजाने में ही सही उन्हें सबक सिखाने का मन बनाकर गैरकानूनी काम कर रहे हैं। इससे बच्चे साइबर अपराध के मकड़जाल में भी फंस सकते हैं। इसके लिए वह एआई का सहारा लेते हैं और इसके लिए कई बार इंटरनेट से ऐसी चीजों का सब्सक्रिप्शन ले लेते हैं जो पेड होती हैं। अभिभावकों को भी इस पर ध्यान देने की जरूरत है।


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