परंतु उस दौर के ब्रिटिश यात्रियों ने सलीम को ही खलनायक बताया है.
बता दें ऐसा हम नहीं ब्रिटिश यात्री एडवर्ड टैरी और विलियम फिंच के विवरण में बताया गया है कि अनारकली अकबर की पत्नी और सलीम की सौतेली मां थी. सलीम ने इस रिश्ते को नज़रअंदाज़ कर दिया और अनारकली के साथ अवैध संबंध बना लिया. अकबर को यह बर्दाश्त नहीं हुआ. बादशाह अपने बेटे से हार गया. मगर बादशाह ने अनारकली से बदला लेने के लिए उसे दीवार में ज़िंदा चुनवा दिया.
26 तक 16 बंधनों में बंधे- सलीम
सलीम की पहली शादी सोलह साल की उम्र में अकबर के साले और उसके मामा, आमेर के राजा भगवानदास की बेटी मानबाई से हुई थी. फिर एक साल बाद हिंदू राजकुमारियों और मुस्लिम सरदारों की बेटियों से शादियों का सिलसिला शुरू हो गया. 26 साल की उम्र तक पहुंचते-पहुंचते उसने 16 शादियां कर ली थीं. वह जहांगीर के नाम से गद्दी पर बैठा और उसके बाद भी हरम की संख्या तीन सौ तक बढ़ती गई जिसमें शादीशुदा बेगमों के साथ-साथ रखैलें शामिल थीं.
सलीम की जिंदगी में दो औरतों का खास तौर पर जिक्र आता है. एक अनारकली और दूसरी नूरजहां. अनारकली ही वो औरत थी जिसके लिए बाप-बेटे आमने-सामने हुए और बदकिस्मत अनारकली को इसकी कीमत अपनी जान देकर चुकानी पड़ी. मेहरुन्निसा (नूरजहां) किस्मतवाली थी वह हिंदुस्तान की रानी बनी.
अनारकली थी अकबर की पत्नी
अनारकली की वास्तविकता के बारे में फिल्मकारों और उस दौर के विदेशी यात्रियों के यात्रा वृत्तांत एक अलग ही तस्वीर पेश करते हैं. के. आसिफ ने अपनी यादगार फिल्म मुगल-ए-आजम में अनारकली को सलीम की प्रेमिका के रूप में पेश किया, जिसे बादशाह अकबर ने स्वीकार नहीं किया. वहीं अनारकली उनके गुस्सें की शिकार हुई और उनको दीवार में चुनवाने का हुक्म दिया गया. मगर फिल्म के दर्शकों के लिए ये पचा पाना मुश्किल था. इसलिए फिल्म में अनारकली को सुरंग से जिंदा ही बाहर निकाल दिया गया. परंतु ब्रिटिश यात्री एडवर्ड टैरी और विलियम फिंच के विवरण में अनारकली अकबर की पत्नी और सलीम की सौतेली मां बताई गई है
बता दें फिंच ने सलीम (जहांगीर) के शासनकाल 1608-1611 और टेरी ने 1617-1619 के दौरान भारत के विभिन्न हिस्सों की यात्रा की. टेरी ने अनारकली को अकबर की पत्नी बताया है जिससे वह बहुत प्यार करते थे और सलीम और अकबर के बीच खराब संबंधों का कारण बेटे का अपनी सौतेली मां से जिस्मानी रिश्ते बनाना था. उन्होंने कहा है कि अनारकली को दीवार में जिंदा चुनवा दिए जाने की घटना सच थी.