
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष मथुरादत्त जोशी ने ‘पीटीआई भाषा’ से कहा, ”हम शीर्ष न्यायालय के निर्देशों का स्वागत करते हैं। वे मनमाने तरीके से सरकारों द्वारा बुलडोजरों से मकान ढहाए जाने की अलोकतांत्रिक परंपरा पर रोक लगाएंगे। लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई सरकारों से जनता के कल्याण के लिए काम करने की उम्मीद की जाती है न कि उन्हें उजाड़ने की। ऐसी मनमानी कार्रवाई से जनता का लोकतंत्र में विश्वास हिल जाता है।”


हिंदुस्तान Global Times/print media,शैल ग्लोबल टाइम्स,अवतार सिंह बिष्ट
उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय के निर्देश सरकारों को अपने दृष्टिकोण में ज्यादा निष्पक्ष होने को मजबूर करेंगे।
उत्तराखंड में बुलडोजर कार्रवाई की घटनाओं के बारे में पूछे जाने पर जोशी ने कहा कि उन्हें ऐसी कोई घटना याद नहीं है जहां किसी निजी मकान को ढहाया गया हो लेकिन राज्य में मजारों का बड़े स्तर पर ध्वस्तीकरण हुआ है।
‘भूमि जिहाद’ के खिलाफ उत्तराखंड सरकार की कार्रवाई के तहत प्रदेश में 5000 एकड़ से अधिक सरकारी भूमि से अतिक्रमण हटाया गया है। एक विशेष समुदाय द्वारा सरकारी भूमि पर बड़े पैमाने पर किए जा रहे अतिक्रमण के लिए यह शब्द राज्य सरकार द्वारा इस्तेमाल किया जा रहा है।
इस साल फरवरी में नैनीताल जिले के हल्द्वानी में बनभूलपुरा क्षेत्र में अवैध रूप से बने एक मदरसे और नमाज अदा करने के स्थान पर बुलडोजर कार्रवाई से वहां दंगे हो गए थे जिसमें छह लोगों की जान चली गयी थी। दंगों के कारण क्षेत्र में कई दिनों तक कर्फ्यू भी लगा रहा था।
संपत्ति ढहाए जाने हेतु पूरे देश के लिए दिशा-निर्देश बनाते हुए उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि अधिकारी न्यायाधीश नहीं बन सकते, आरोपी को दोषी नहीं घोषित कर सकते और उसका मकान नहीं ढहा सकते।
न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन ने कहा,” अगर कार्यपालिका, मनमाने तरीके से किसी नागरिक का मकान केवल इस आधार पर ध्वस्त करती है कि वह किसी अपराध का आरोपी है, तो यह कानून के सिद्वांतों के विरूद्ध कार्य करती है।”
