शादी-ब्याह के मौसम में सोने-चांदी के दामों में तेजी देखने को मिल रही है। इस साल सोने के दाम जिस तेजी से बढ़े हैं, यह चिंता की बात है। सोना हमेशा से भारतीय संस्कृति और अर्थव्यवस्था का महत्त्वपूर्ण हिस्सा रहा है।

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उत्तराखंड,लोग इसे न सिर्फ गहनों के रूप में पहनते हैं, बल्कि निवेश के एक सुरक्षित विकल्प के रूप में भी देखते हैं। सोने की कीमतों का अर्थव्यवस्था पर असर साफ दिखता है। जैसे-जैसे कीमतें बढ़ती हैं, वैसे-वैसे महंगाई बढ़ने की रफ्तार भी तेज होती है।

हिंदुस्तान Global Times/print media,शैल ग्लोबल टाइम्स,अवतार सिंह बिष्ट

पूरी तरह आयात पर निर्भर है भारत में सोना

दरअसल, भारत सोने के मामले में पूरी तरह आयात पर निर्भर है। वैश्विक स्तर पर होने वाले भू-राजनैतिक बदलावों का सोने के दाम पर असर होता है। दुनियाभर के केंद्रीय बैंक अपने भंडार में सोने की मात्रा बढ़ा रहे हैं, जिससे मांग बढ़ रही है और कीमतें भी। बढ़ती महंगाई रोकने के लिए सोना जमा करना अच्छा उपाय माना जाता है। लेकिन साथ में कई अन्य उपाय भी करने होते हैं।

पारंपरिक निवेश में सोने को सबसे बेहतर और सुरक्षित विकल्प के रूप में देखा जाता है। निवेशकों के मन में सुरक्षा भाव होता है। निवेश के लिहाज से सोने में तेजी का रुख एक निश्चित अंतराल पर बनता रहा है। इस लिहाज से निवेशकों को सोने में तेजी से लाभ कमाने का मौका मिल सकता है। लेकिन जो लोग सोने में निवेश नहीं करते और सिर्फ जरूरत भर के लिए खरीदते हैं, उनके लिए मुश्किल यह है कि महंगा सोना कहां से खरीदें।

सोने में बढ़ी मिलावट और तस्करी

भारत में एक गरीब व्यक्ति की भी कोशिश होती है कि सोने का छोटा टुकड़ा ही सही, धारण करे। भारतीय उपभोक्ताओं के लिए सोने का पारंपरिक और भावनात्मक मूल्य है। शादी-ब्याह के मौके पर सोना खरीदने के लिए भीड़ इसीलिए देखी जाती है। लेकिन इसकी कीमत जिस तरह से आसमान छू रही है उससे खरीद तो मुश्किल हो ही गई है, सोने में मिलावट और तस्करी भी बढ़ रही है। यह चिंता की बात है।

मांग और कीमत बढ़ने से मिलावटी सोने का बाजार भी बढ़ रही है, जो अर्थव्यवस्था के लिए अहितकर है। ऐसे में सरकार और तमाम एजंसियों को कई बिंदुओं पर विचार करने, उपभोक्ताओं के हित में सख्त कदम उठाने और कड़ी निगरानी की जरूरत है।


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