तो क्या मुसलमान हिंदू आबादी से ज्यादा हो जाएंगे?


प्रिंट मीडिया, शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/संपादक उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)
Scroll.in के एक आर्टिकल के अनुसार ऐसा होना बहुत मुश्किल या लगभग नामुमिकन सा है. इसमें 1961 से 2001 तक की जनगणनाओं का डेटा लिया गया और हर दस साल में दोनों समुदायों की आबादी में कितना बदलाव हो रहा है, उसका आकन किया गया है.
आर्टिकल के अनुसार अगर भविष्य में इन 40 सालों का ट्रेंड बना रहता है, तब जाकर मुसलमान हिंदुओं के बराबर हो पाएंगे. ऐसा बहुत मुश्किल है कि यही ट्रेंड आने वाले सालों एक जैसा बना रहे.
साल | हिंदू | मुसलमान |
1961 | 33 करोड़ 65 लाख | 33 करोड़ 65 लाख |
1971 | 45 करोड़ 33 लाख | 6 करोड़ 14 लाख |
1981 | 56 करोड़ 24 लाख | 8 करोड़ 3 लाख |
1991 | 69 करोड़ 1 लाख | 10 करोड़ 67 लाख |
2001 | 82 करोड़ 75 लाख | 13 करोड़ 82 लाख |
उदाहरण के तौर पर साल 1991 और 2001 की जनगणनाओं का आंकड़ा देखें तो 1991 में भारत में 10 करोड़ 67 लाख मुसलमान थे और हिंदू 60 करोड़ 91 लाख थे. दस साल बाद मुसलमान बढ़कर 13 करोड़ 82 लाख हो गए और हिदुओं की आबादी 82 करोड़ 76 लाख हो गई. इन दस सालों में मुस्लिमों की आबादी में 29.5 पर्सेंट की बढ़ोतरी हुई यानी हर साल 2.62 पर्सेंट की दर से मुस्लिम जनसंख्या बढ़ी. वहीं, हिंदू दस सालों में 19.9 पर्सेंट बढ़े और हर साल 1.83 पर्सेंट की बढ़ोतरी हुई.
अगर आगे भी आबादी की बढ़ोतरी का यही ट्रेंड जारी रहता है तो मुसलमानों को हिंदू आबादी के बराबर होने में करीब 208 साल लगेंगे, यानी मान सकते हैं कि साल 2233 तक भारत में हिंदू और मुस्लिम आबादी बराबर हो सकती है. 2233 में हिंदू और मुसलमान 56-56 अरब हो जाएंगे. यहां सिर्फ दो समुदायों की बात हो रही है, जबकि भारत में और भी धर्म के लोग रहते हैं. अगर सिर्फ इन दोनों आबादी को ही जोड़ें तो दुनिया की वर्तमान आबादी से भी 16 गुना ज्यादा लोग सिर्फ भारत में होंगे, क्या ये संभव है, ऐसी कल्पना कर पाना भी असंभव लग रहा है. ऐसे में मुसलमानों का हिंदुओं से ज्यादा होना या बराबर होना लगभग ना के बराबर है.

