शत्रु को छोड़कर ‘गलती से’ रूस के सैनिकों पर ही गोलीबारी कर दी है प्योंगयांग से आई सैनिकों ने।
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प्रिंट मीडिया,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/संपादक उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर
इसलिए शत्रु से नहीं, बल्कि दोस्त के हाथों पूर्वी यूरोप के ‘भूरा भालू देश’ के कई सैनिकों की जान चली गई है।
हाल ही में यूक्रेन की खुफिया एजेंसी ने यह खबर सार्वजनिक की, जिसके बाद यूरोप भर में हलचल मच गई। कीव का दावा है कि यह घटना 14 दिसंबर, शनिवार को पश्चिमी रूस के कुर्स्क क्षेत्र में हुई थी। उत्तर कोरिया की सेना की गोलियों से वहां रूस के कम से कम आठ सैनिकों की मौत हो गई। हालांकि रूस की ओर से इस बारे में कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है।
कीव के खुफिया अधिकारियों ने बताया कि युद्ध के दौरान रूसी सैन्य वाहनों पर उत्तर कोरिया की सेना ने हमला किया। वाहनों में रूस के ‘अखमत’ यूनिट के सैनिक मौजूद थे। अचानक हमले में उनकी जान चली गई। यह घटना समन्वय की कमी और भाषा की समस्या के कारण हुई, ऐसा माना जा रहा है।
सूत्रों के अनुसार, इस स्थिति का फायदा उठाते हुए यूक्रेनी सेना ने पलटवार किया। उन्होंने टैंक और आत्मघाती ड्रोन के जरिए उत्तर कोरिया और रूस के सैनिकों को निशाना बनाया। इसके परिणामस्वरूप उस युद्धक्षेत्र में रूस की संयुक्त सेना को भारी नुकसान हुआ। कुल मिलाकर, कीव का दावा है कि रूस के गठबंधन के 200 से अधिक सैनिक मारे गए हैं।
आधिकारिक बयान न आने के बावजूद इस घटना से रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन गुस्से में हैं। दूसरी ओर, ‘दोस्त’ की मदद करते हुए उत्तर कोरिया के सर्वोच्च नेता किम जोंग उन के मुंह पर कालिख पुत गई है। सूत्रों के मुताबिक, कुर्स्क हत्याकांड के बाद उन्होंने क्रेमलिन से संपर्क किया और पूरे मामले की जिम्मेदारी लेते हुए माफी मांगी।
दूसरी ओर, भविष्य में संयुक्त सेना के बीच समन्वय की कमी को दूर करने के लिए रूसी सैन्य जनरलों ने कड़े नियम लागू किए हैं। युद्ध के दौरान सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पुतिन की सेना विशेष प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का उपयोग कर रही है। इन उपकरणों को उत्तर कोरिया की सेना को भी दिया गया था। फिलहाल, रूस ने इन्हें जब्त करने का निर्णय लिया है।
रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, कुर्स्क की घटना ने दोनों देशों के सैनिक अधिकारियों की नाकामी को उजागर किया है। यह स्पष्ट है कि प्योंगयांग की सेना रूस में खुद को समायोजित नहीं कर पाई। उत्तर कोरिया में इंटरनेट का उपयोग बहुत सीमित है, जिस कारण उन्हें अत्याधुनिक पुतिन की सेना के साथ युद्ध करने में कठिनाई हो रही है।