हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स की यह खबर उत्तराखंड की शिक्षा व्यवस्था में हो रही अनियमितताओं को उजागर करती है। यह सिर्फ हर्रावाला के एक स्कूल तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे प्रदेश में शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल ।

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उत्तराखंड में शिक्षा विभाग की नियुक्तियों पर पुनः जांच की जरूरत

हर्रावाला के सावित्री शिक्षा निकेतन जूनियर हाईस्कूल में अवैध प्रमाणपत्रों के आधार पर नियुक्त किए गए चार शिक्षकों की बर्खास्तगी ने उत्तराखंड की शिक्षा व्यवस्था में व्याप्त भ्रष्टाचार को उजागर कर दिया है। लेकिन सवाल यह है कि क्या सिर्फ इस मामले की जांच करना पर्याप्त है?

प्रदेश के अन्य सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों में भी शिक्षकों की डिग्री और नियुक्ति प्रक्रिया की गहराई से जांच की जानी चाहिए। यह संभव है कि इस तरह के कई अन्य मामले अभी तक सामने न आए हों।

शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया में सुधार की जरूरत

शिक्षा विभाग को चाहिए कि:

  1. सभी शिक्षकों की डिग्री और प्रमाणपत्रों की जांच की जाए, खासकर 1990 और 2000 के दशक में हुई नियुक्तियों की।
  2. भर्ती प्रक्रिया में अधिक पारदर्शिता लाने के लिए नियुक्ति से पहले सभी डिग्रियों का वेरिफिकेशन अनिवार्य किया जाए।
  3. अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाए, क्योंकि यदि शिकायत 2017 में आई थी, तो इतने वर्षों तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई?
  4. शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया में डिजिटल वेरिफिकेशन अनिवार्य किया जाए, ताकि भविष्य में फर्जी डिग्री से भर्ती न हो सके।

उत्तराखंड में शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने के लिए सरकार को जल्द से जल्द सभी स्कूलों की नियुक्ति प्रक्रिया की समीक्षा करनी चाहिए। जब तक भ्रष्टाचार पर पूरी तरह से अंकुश नहीं लगेगा, तब तक छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ होता रहेगा।


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