
PAC के दो सिपाही दोषी करार, सजा पर जल्द आएगा फैसला


सजा के प्रश्न पर सुनवाई के लिए 18 मार्च नियत की गई। दोनों दोषी सेवानिवृत्त हो चुके हैं।
शासकीय अधिवक्ता फौजदारी राजीव शर्मा, सहायक शासकीय अधिवक्ता फौजदारी परवेंद्र सिंह और उत्तराखंड संघर्ष समिति के अधिवक्ता अनुराग वर्मा ने बताया कि सीबीआई बनाम मिलाप सिंह की पत्रावली में अदालत ने सुनवाई की। वारदात के वक्त पीएसी में रहे आरोपी मिलाप सिंह और वीरेंद्र प्रताप सिंह अदालत में हाजिर हुए। सीबीआई की ओर से कुल 15 गवाह पेश किए गए।
अदालत ने दोनों आरोपियों पर दोष सिद्ध करते हुए सजा के प्रश्न पर सुनवाई के लिए 18 मार्च की तिथि नियत कर दी है। दोनों दोषियों को कड़ी सुरक्षा के बीच जिला कारागार भेज दिया गया।
यह था मामला
एक अक्तूबर, 1994 की रात अलग राज्य की मांग के लिए देहरादून से बसों में सवार होकर आंदोलनकारी दिल्ली के लिए निकले थे। इनमें महिला आंदोलनकारी भी शामिल थीं। रात करीब एक बजे रामपुर तिराहा पर बस रुकवा ली। दोनों दोषियों ने बस में चढ़कर महिला आंदोलनकारी के साथ छेड़खानी और दुष्कर्म किया। पीड़िता से सोने की चेन और एक हजार रुपये भी लूट लिए थे। आंदोलनकारियों पर मुकदमे दर्ज किए गए। उत्तराखंड संघर्ष समिति ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। इसके बाद 25 जनवरी 1995 को सीबीआई ने पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए थे।
यहां के रहने वाले हैं दोनों दोषी
पीएसी गाजियाबाद में सिपाही मिलाप सिंह मूल रूप से एटा के निधौली कलां थाना क्षेत्र के होरची गांव का रहने वाला है। दूसरा आरोपी सिपाही वीरेंद्र प्रताप मूल रूप सिद्धार्थनगर के थाना पथरा बाजार के गांव गौरी का रहने वाला है।

इन धाराओं में हुआ दोष सिद्ध
दोनों अभियुक्तों पर धारा 376जी, 323, 354, 392, 509 व 120 बी में दोष सिद्ध हुआ।

मुजफ्फरनगर कांड के फैसले को धीरेंद्र प्रताप ने देर आयद दुरुस्त आयद बताया
उत्तराखंड कांग्रेस के उपाध्यक्ष और चिन्हित राज्य आंदोलनकारी संयुक्त समिति के केंद्रीय मुख्य संरक्षक धीरेंद्र प्रताप ने मुजफ्फरनगर कांड पर आज आए फैसले को देर आयत दुरुस्त आयत बताया।
उन्होंने कहा यद्यपि इस फैसले को आने में 30 साल लग गए और अभी भी इस फैसले को लेकर जो मुजरिम ठहराए गए हैं वह कई अदालत में ऊपर तक जाएंगे और उसमें अभी और देर हो सकती है परंतु जिस तरह से जैसा भी आज फैसला आया है उससे कम से कम कुछ दोषी तो समाज के सामने आए गए हैं जिन पर उत्तराखंड की निर्दोष महिलाओं के साथ दुराचार का आरोप लगा था
उन्होंने कहा कि भारत की न्याय प्रक्रिया इतनी ढीली है कि उसमें कई बार दोषियों को सजा तो मिलती ही नहीं बल्कि निर्दोष लोग वर्षों तक मुकदमा खेलते रहते हैं। और बाद में भारी हो जाते हैं उन्होंने कहा कि जैसा भी है इस फैसले से लोगों का न्यायपालिका में विश्वास बड़ा है परंतु जो लोग इस दुखद कान में मारे गए उन पर गोलियां चलाने वालों को भी सजा मिलनी चाहिए इसका अभी भी उत्तराखंड के लोगों को इंतजार रहेगा उन्होंने ट्रिपल इंजन का दावा करने वाली भारत सरकार उत्तराखंड सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार के नेताओं से इन दोषियों को भी सजा दिलाए जाने हेतु अदालत की कार्रवाई तेज करने की मांग करते हुए देश के कानून में आमूल चूल परिवर्तन किए जाने की मांग की है

निर्णय का स्वागत करने वालों मैं राज्य आंदोलनकारी हुकम सिंह कुंवर, जगमोहन चिलवाल, केदार पलड़िया,डॉक्टर बालम सिंह बिष्ट, पृथ्वी पाल रावत,तारादत्त पाण्डे,कमल जोशी, डी एस बिष्ट, भुवन तिवारी,अनिता बर्गली, बृजमोहन सिजवाली, दीपक रौतेला,आदि कई राज्य आंदोलनकारी सामिल थे,राज्य आंदोलनकारी समाज संगठन के प्रदेश संयोजक प्रमुख राज्य आंदोलनकारी हुकम सिंह कुंवर ने रामपुर तिराहा मुज्जफर नगर मैं 2अक्टूबर 1994 को उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों पर बर्बरता पूर्व गोली चलाने राज्य आंदोलनकारी मात्र शक्ति पर बलात्कार जैसे जगन्य कांड के लिए सत्र एवंम जिला न्यायाधीश की अदालत द्वारा पुलिस कांस्टेबल
मिलाप सिंह और विरेंद्र सिंह को दोषी ठहराए जाने के निर्णय का स्वागत किया है,कुंवर ने कहा कि देर से सही पर एक अच्छा निर्णय है,उन्होंने कहा इनको कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए,हुकम सिंह कुंवर प्रमुख राज्य आंदोलनकारी

अवतार सिंह बिष्ट /अध्यक्ष उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी परिषद

प्रदेश अध्यक्ष जगमोहन सिंह नेगी एवं प्रदेश प्रवक्ता प्रदीप कुकरेती ने कहा कि हम पिछले 30-वर्षों से से प्रत्येक 02-अक्टूबर को काला दिवस के रूप में मनाते हैं औऱ न्याय यात्रा निकालते थे औऱ आज न्यायालय के आदेश से उन सभी राज्य आंदोलनकारी व शहीद परिवारों को अवश्य राहत मिली हैं।
प्रदीप कुकरेती ने कहा कि इस सुखद फ़ेसले को सुनने के लियॆ *शहीद रवीन्द्र रावत (पोलू)* के माता पिता आज इस दुनिया में जीवित नहीं हैं अभी पिछले वर्ष ही माता जी का भी देहान्त हो गया था।
शकुन्तला नेगी व सुलोचना भट्ट ने न्यायालय के फ़ेसले पर आभार प्रकट करते हुये कहा कि देर आया लेकिन राज्य आंदोलनकारियों के लियॆ राहत लेकर आया आखिर 30 वर्षों का इन्तजार कम नहीं होता। इस फ़ेसले से शहीद आत्माओं को अवश्य शान्ति मिलेगी।

