परंतु चार साल बाद भी स्वरोजगार की दिशा में कार्य कर रहे युवाओं को ऋण सब्सिडी उपलब्ध नहीं कराई गई है। जिससे बेरोजगार बैंकों के ऋण व्याज में फंस कर रह गए हैं। उन्हें 35 प्रतिशत सब्सिडी न मिलने से आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है।
स्वरोजगार की दिशा में युवाओं को बढ़ाया जाना था आगे
चमोली जिले में प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के तहत लघु उद्योग , दुकान सहित रोजगार के अन्य माध्यमों से स्वरोजगार की दिशा में युवाओं को आगे बढ़ाया जाना था। इसके लिए वर्ष 2021 से 2024 नवंबर तक 581 युवाओं को रोजगार के कार्यक्रमों की स्वीकृति दी गई।
इस योजना में साफ था कि स्वरोजगार शुरू किए जाने के लिए बैंक से ऋण लेने के बाद यूनिट का सर्वेक्षण कर इस पर प्रोजेक्ट लागत पर 35 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्र व 25 प्रतिशत शहरी क्षेत्र में सब्सिडी सरकार द्वारा दी जानी थी। लेकिन अभी तक 2021 से सब्सिडी बैंकों में नहीं पहुंचाई गई है। जिससे बैंकों के ब्याज के चक्रव्यूह में बेरोजगार फंस कर रह गए हैं।
वेसे तो अगर सब्सिडी समय पर आ जाती तो इस रकम पर ऋण लेने वाले को ब्याज की छूट मिल जाती । बताया गया कि इस स्वरोजगार कार्यक्रमों का प्रशासन व उद्योग विभाग निरंतर समीक्षा कर रहा है। तथा सब्सिडी को लेकर पत्राचार किया जा रहा है। लेकिन सरकार द्वार तीसरी पक्ष से सत्यापन की प्रक्रिया न होने से सब्सिडी पर नियमों का पेच फंसा है।
बताया गया कि इस योजना में 1163 यूनिटों में से सिर्फ 581 स्वरोजगार करने वाले पात्रों की सब्सिडी आई है। जबकि 582 पात्रों को सब्सिडी मिलनी बाकी है।
कहते हैं अधिकारी?
रोजगार कार्यक्रम में सब्सिडी में हो रही देरी को लेकर उद्योग विभाग को कार्रवाई को लेकर कहा गया है। प्रशासन स्वरोगार में लगे युवओं की उद्यम को लेकर आने वाली समस्याओं के समाधान को लेकर गंभीर है। – संदीप तिवारी जिलाधिकारी चमोली
क्या कहते हैं जनप्रतिनिधि?
चार साल से बेरोजगारों को स्वरोजगार को लिए ऋण पर सब्सिडी न मिलना बेरोजगारों के साथ धोखा है। बेरोजगारों को सब्सिडी में हो रही देरी से आर्थिक बोझ पड़ रहा है। इससे उनकी आर्थिक स्थिति भी खराब हो रही है। वे बैंकों के ऋण जाल में फंसकर रह गए हैं। – लखपत बुटोला विधायक बदरीनाथ