उत्तराखंड मांगे भू कानून, हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स।

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इंनरलाइनपरमिट, #मूल_निवास1950, #भूकानून #आर्टिकल371

भू कानून क्यों जरूरी है आईए जानते हैं हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स

हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स
Journalist from Uttrakhand group
अवतार सिंह बिष्ट उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी

1- #इंनरलाइनपरमिट

यह एक तरह का सरकारी दस्तावेज़ हैं जो राज्य मैं प्रवेश करने के लिए दिया जाता है
यह परमिट लेने के लिए आवेदक को अपनी सारी जानकारी जैसे स्थायी पता आने का उद्देश्य रहने का स्थान आईड़ी आदि प्रसाशन को सत्यापित कराना पढ़ती है.
जिससे राज्य में आने वाले हर बाहरी व्यक्ति के कारोबार सख्या तथा गतिविधियों पर नज़र बनी रहती हैं और असामाजिक तत्वों का प्रवेश पूर्णता बन्द हो जाता है तथा बाहरी व्यक्ति को गलत काम करने में पकड़े जाने का डर लगा रहता है और पकड़ना भी आसान रहता है क्योंकि उसके द्वारा सत्यापित किये गए डॉक्यूमेंट केंद्र सरकार के पास मौजूद होते हैं बाहरियों के समित प्रवेश एवं प्रभाव से संस्कृति सभ्यता धार्मिक रीति रिवाज बोलीभाषा तथा रोजगार के अवसर उपलब्ध होते हैं

2- #मूल_निवास1950

राष्टपति के आदेशानुसार जो व्यक्ति 26 जनवरी 1950 में जिस भी राज्य में रह रहा है वो वहां का मूलनिवासी हैं अधिकतर राज्य में यह लागू है लेक़िन उत्तराखंड में मूलनिवास को ख़त्म कर स्थाई निवास मान्य कर दिया है
मूलनिवासियों के राज्य में कुछ विशेषाधिकार होते हैं जैसे शिक्षा रोज़गार में प्रथमिकता मूलनिवासियों का ही जाती प्रणाम पत्र बनना ज़मीन ख़रीद बिक्री आदि स्थाई निवास मान्य करके कोई विशेषाधिकार नही रह गए हैं मूलनिवासियों के इन अधिकारों पर बाहरियों द्वारा डाका डाला जा रहा है!

*#आर्टिकल371

स्पेशल स्टेट का दर्जा यह राज्य या क्षेत्र के निवासीयों की आर्थिक सामाजिक व सांस्क्रतिक हिंतो की रक्षा करता है
क्षेत्र के स्थानीय समस्याओं एवं जरूरतों का समाधान करता है
यह प्रवाधान देता है कि उक्त क्षेत्र के विकास के लिए अलग विकास समिति या बोर्ड का गठन कर बजट तैयार करें
राज्य सरकार के अधीन शिक्षक संस्थाओं नोकरियों के अवसर उपलब्ध कराता है तथा सरकारी योजनाओं में क्षेत्र के निवाशियों की भागेदारी सुनिश्चित कराता है
केंद्र सरकार की तरह से मिलने वाले पैकेज में 90%रक़म बतौर मदत मिलती हैं इसमें 10%रक़म बतौर कर्ज़ होती हैं
केंद्र सरकार की तरह से अन्य कई तरह की भी कई सुविधाएं मिलती हैं।

भू कानून: भूकानून पहाड़ में लिमिट से अधिक जमीन को बांटने के लिए नहीं है जैसा कि जमींदारी विनाश कानून ने किया ।
कुछ लोगों की अवधारणा भू कानून को लेकर वही जमींदार विनाश और चकबंदी करवाने वाले कानून की बनी हुई है ,
जबकि हमारे भूकानून का अर्थ है मूलनिवासियों को छोड़कर अन्य यहां भू स्वामित्व नहीं रख पायेंगे।


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