उत्तराखंड के मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने अपनी ‘पहाड़ी’ टिप्पणी को लेकर उठे विवाद के बीच शनिवार को कहा कि उनके बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है और उन्होंने राज्य विधानसभा में इसके लिए माफी मांगी।

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अग्रवाल की ओर से माफी तब मांगी गई जब विपक्षी कांग्रेस ने उनकी टिप्पणी को पहाड़ी लोगों का ”अपमान” करार दिया। राज्य के कुछ हिस्सों में प्रदर्शनकारियों ने मंत्री का पुतला जलाकर विरोध-प्रदर्शन भी किया।

इससे पहले विधानसभा में विपक्ष के नेता यशपाल आर्य, चकराता विधायक प्रीतम सिंह और कई अन्य विपक्षी सदस्यों ने अग्रवाल से माफी की मांग की।

अग्रवाल के पास संसदीय कार्य, वित्त और शहरी विकास सहित कई विभाग हैं।

आर्य ने कहा, ”उन्होंने (अग्रवाल) वरिष्ठ सदस्य, मंत्री और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष होने के बावजूद असंसदीय भाषा का इस्तेमाल किया है। यह पहाड़ के लोगों का अपमान है।”

अग्रवाल ने कहा कि जब पहाड़ी लोगों की आकांक्षाओं के प्रतीक गैरसैंण को तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाया था, तब वह विधानसभा अध्यक्ष थे।

उन्होंने विपक्षी सदस्यों से पूछा, ”क्या प्रेमचंद अग्रवाल इस घोषणा का जश्न मनाने के लिए खुशी से नाच नहीं रहे थे?”

मंत्री ने कहा कि उनके शब्दों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया, फिर भी अगर इससे किसी की भावनाओं को ठेस पहुंची है तो वह हाथ जोड़कर उनसे माफी मांगते हैं।

विधानसभा के बाहर पत्रकारों से बात करते हुए अग्रवाल ने हाल में कहा था कि द्वाराहाट से कांग्रेस विधायक मदन सिंह बिष्ट शायद सदन में शराब पीकर आए थे।

कहा गया कि इससे बिष्ट और पहाड़ी क्षेत्र के अन्य कांग्रेस विधायकों को ठेस पहुंची है।

इस पर शुक्रवार को विधानसभा में अग्रवाल और विपक्षी सदस्यों के बीच तीखी बहस हुई थी। यह बहस तब हुई, जब विपक्ष के किसी सदस्य ने कहा था कि मंत्री ने अपनी टिप्पणी के माध्यम से पहाड़ी लोगों को निशाना बनाया है।


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