उत्तराखण्ड राज्य आंदोलनकारी मंच

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आज दिनांक 09-मई को उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलनकारी मंच व परिजनों की पहल पर राज्य आंदोलन की हस्ताक्षर व प्रतिमूर्ति रही महिला आयोग व सम्मान परिषद की पूर्व अध्यक्ष स्वo श्रीमती सुशीला बलूनी जी की प्रथम पुण्यतिथि पर कई संस्था व संगठनों के प्रतिनिधियो के साथ ही वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी व जनप्रतिनिधि व डॉक्टर व कई पूर्व पदाधिकारियों ने श्रद्धा सुमन अर्पित कर उनके संघर्ष पर बनी जयदेव भट्टाचार्य के निर्देशन में लघुवृत्त चित्र (डॉक्युमेंटरी) को शान्त भाव के साथ देखा औऱ कई मातृशक्ति के साथ ही लोगो की आंखों में आंसू की बूंदें झलक रही थी। विशम्भर बजाज ने सुशीला बलूनी पर बेहतरीन रचना प्रस्तुत की। स्वo श्रीमती सुशीला बलूनी (ताई) जी की प्रथम पुण्य तिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित करने

स्वo श्रीमती सुशीला बलूनी जीवन  परिचय:उत्तराखंड राज्य अदोलनकारी एवं महिला आयोग की पूर्व अध्यक्षा 84 साल की सुशीला बलूनी लंबे समय से लिवर सिरोसिस बीमारी से जूझ रही थी. अचानक तबीयत खराब होने पर परिजनों ने बलूनी को मैक्स हॉस्पिटल में भर्ती कराया, था। मूलरूप से सुशीला बलूनी उत्तरकाशी के बड़कोट की रहने वाली थी. राज्य आंदोलन के दौरान सुशीला बलूनी ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लाया. साथ ही वो महिला आंदोलनकारियों का आंदोलन के दौरान नेतृत्व भी करती थी.सुशीला बलूनी, ना सिर्फ राज्य आंदोलनकारी रही बल्कि कई क्षेत्रों में भी उन्होंने अपनी किस्मत अजमाई. सुशीला बलूनी अधिवक्ता भी थी. इसके साथ ही सभासद और विधानसभा चुनाव में भी अपनी किस्मत आजमा चुकी हैं. सुशीला बलूनी, प्रदेश की महिलाओं के हितों के लिए किसी भी मंच पर बेबाकी से अपनी बात रखती थीं. साथ ही तमाम क्षेत्रों में लोगों को प्रेरणा भी देती थी. सुशीला बलूनी को उनके व्यक्तित्व के चलते सभी सरकारों में तवज्जो दी जाती थी. भाजपा सरकार के दौरान बलूनी को उत्तराखंड महिला आयोग के अध्यक्ष पद की भी जिम्मेदारी दी गई थी.

हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/ प्रिंट मीडिया  :शैल ग्लोबल टाइम्स/ अवतार सिंह बिष्ट, रूद्रपुर, उत्तराखंड


संघर्ष भरा रहा सुशीला बलूनी का जीवन: सुशीला बलूनी पहली ऐसी महिला हैं जिन्होंने अगस्त 1994 को कलेक्ट्रेट ऑफिस में बेमियादी अनशन किया था. यही नहीं, बलूनी पर्वती गांधी इंद्रमणि बडोनी के नेतृत्व में गठित उत्तराखंड संयुक्त संघर्ष समिति के केंद्रीय संयोजक मंडल की सदस्य भी रही. इसके अलावा उत्तराखंड राज्य निर्माण में कई बार जेल जाने के साथ ही लाठीचार्ज के दौरान कई बार घायल भी हुई. पूर्व मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा, सुशीला बलूनी के राजनीतिक गुरु थे. जिन से ही प्रेरित होकर सुशीला बलूनी राजनीति में भी आई.-।
राज्य आंदोलन की लड़ाई लड़ने वाली पहली महिला थी सुशीला बलूनी:राज्य आंदोलनकारी सुशीला बलूनी प्रदेश की पहली ऐसी महिला थी जिन्होंने राज्य आंदोलन की लड़ाई लड़ी. सुशीला बलूनी ने अलग राज्य की मांग को लेकर अपने दो साथियों रामपाल और गोविंद राम ध्यानी के साथ मिलकर देहरादून के कचहरी स्थित शहीद स्मारक पर आंदोलन शुरू किया. कुल मिलाकर उत्तराखंड राज्य निर्माण में सुशीला बलूनी की एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. यही नहीं, सुशीला बलूनी एक समाजसेवी के रूप में भी काम करती रही. अधिवक्ता रही बलूनी तमाम संगठनों में रहकर राज्य के विकास और जनता की सेवा के लिए लंबे समय तक काम किया.
सुशीला बलूनी.विधानसभा और मेयर का भी लड़ा था चुनाव:सुशीला बलूनी साल 1989 में नगरपालिका के बोर्ड में सभासद के रूप में भी नामित की गई थी. इसके बाद सुशीला बलूनी ने पहली बार 1996 में निर्दलीय, विधानसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन जीत हासिल नही हुई. उत्तराखंड राज्य गठन के बाद साल 2002 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान सुशीला बलूनी ने क्षेत्रीय पार्टी उत्तराखंड क्रांति दल के टिकट पर विधानसभा का चुनाव लड़ा, लेकिन इस चुनाव में भी बलूनी को सफलता नहीं मिली. इसके बाद साल 2003 में मेयर पद के लिए किस्मत आजमाई, लेकिन त्रिकोणीय समीकरण के चलते बलूनी को सफलता नहीं मिली. इसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री मेजर जनरल भुवन चंद्र खंडूरी ने उन्हें भाजपा की सदस्यता दिलाई. लिहाजा, भाजपा सरकार में उत्तराखंड आंदोलनकारी सम्मान परिषद और उत्तराखंड राज्य महिला आयोग का अध्यक्ष बनाया।
सुशीला बलूनी मूलरूप से उत्तरकाशी के बड़कोट की रहने वाली थी. सुशीला बलूनी का विवाह नंदा दत्त बलूनी से हुआ. शुरुआती शिक्षा दीक्षा उन्होंने बड़कोट में ही ली थी. यही नहीं सुशीला बलूनी लंबे समय तक देहरादून बार एसोसिएशन की सदस्य भी रही.

रायपुर विधायक उमेश शर्मा काऊ , न्यूरो सर्जन डा॰ महेश कुड़ीयाल , जनकवि अतुल शर्मा , सहारनपुर से आयें सीनियर सिटीजन संस्था के फाउंडर केo एलo अरोड़ा , मंच के सलाहकार केशव उनियाल , ब्रिगेडियर के जी बहल रवीन्द्र जुगरान , अशोक वर्मा , मंत्री प्रसाद नैथानी , ओमी उनियाल , सुरेन्द्र कुमार , आर्येन्द्र शर्मा , लालचन्द शर्मा , सरदार भगवान सिंह संस्थान के चेयरमैन एसo पीo सिंह , विरेन्द्र पोखरियाल , एचo केo पेटवाल , सयुंक्त नागरिक संगठन के सुशील त्यागी , जगमोहन सिंह मेहन्दीरत्ता , ओमवीर सिंह , जगमोहन सिंह नेगी , रामलाल खंडूड़ी , प्रदीप कुकरेती , जयदीप सकलानी उनके परिजन विनय बलूनी , संजय बलूनी , विजय बलूनी व बड़ी पुत्री शशी बलूनी , पूर्व कुलपति प्रोफेसर पी डी जुयाल , पूर्व भाषा निदेशक एमo आरo सकलानी , उनकी सहयोगी रही पुष्पलता सिल्माणा , रामेश्वरी बड़थ्वाल , सरिता गौड़ , उर्मिला शर्मा , द्वारिका बिष्ट , सुलोचना भट्ट , राधा तिवारी , लक्ष्मी बिष्ट , रामेश्वरी बिष्ट , सत्या पोखरियाल , शकुन्तला खंतवाल , प्रेम सिंह नेगी , रेखा शर्मा , अनुज नौटियाल , मोहन खत्री , सतेन्द्र भण्डारी , आशीष उनियाल , प्रेम बहुखंडी , सुनीता विधार्थी , शुगर मिल के चेयरमैन मनोज नौटियाल , गणेश डंगवाल , गोलीकांड के रवीन्द्र सोलंकी , विपिन नेगी , सतीश धौलाखण्डी , इन्द्रभूषण बडोनी , प्रवीण गुसांई , सुरेश नेगी , राकेश नौटियाल , विजयेंशं नवानी , मोहन रावत , सतेन्द्र नौगाँई , राजेश पान्थरी , विनोद असवाल , सुमित थापा , सुरेश कुमार , राकेश नौटियाल , बीर सिंह रावत , सुनील जुयाल , विक्रम गुसांई , सुनील जुयाल प्रभात डण्डरियाल आदि।


प्रदीप कुकरेती
प्रदेश प्रवक्ता
उत्तराखण्ड राज्य आंदोलनकारी मंच।


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