फिल्म उत्तराखंड के दोनो पहाड़ी क्षेत्रों गढ़वाल और कुमाऊं के आपसी रिश्तों पर आधारित एक सोशल फैमिली ड्रामा है। फिल्म में दो पहाड़ी समाजों के बीच सदियों पुरानी कड़वाहट पर खुल कर बात की गई है। फिल्म निर्माता निर्देशक का मानना है कि यह फिल्म उत्तराखंड के सिनेमा को नया आयाम देगी। दोनों समाजों के बीच पारम्परिक वैमनस्यता यह फिल्म खूबसूरती से खोलती है। दोनों पहाड़ी समाजों में भाषाई, खानपा, सांस्कृतिक, भौगोलिक और ऐतिहासिक समानताएं हैं। रोमांस और ट्रेजडी के बीच गढ़वाली व कुमाउंनी परिवारों की आपसी चुहल गुदगुदाती है। फिल्म में कुमाऊं और गढ़वाल से कलाकार लिए गए हैं। मुख्य भूमिका में अंकिता परिहार, संजू सिलोड़ी, सुशील पुरोहित, राकेश गौड़, गोकुल पंवार, गम्भीर जायड़ा, अनिल शर्मा, डॉ. सुनीत नैथानी, बिनीता नेगी सहयोगी कलाकार की भूमिका में हैं। इससे पहले लेखक निर्देशक अनुज जोशी की मेरु गौं, तेरी सौं, असगार, अजाण भी सिल्वर स्क्रीन पर आ चुकी है। हाल ही में आई पहली जौनसारी फिल्म मैरै गांव की बाट के भी निर्देशक अनुज जोशी ही हैं।
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