सेवा में ,
माननीय मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी उत्तराखंड सरकार,
विषय – उत्तराखंड राज्य आंदोलन के शहीद परिवार एवं चिन्हित एवं वंचित राज्य आंदोलकारियों द्वारा द्वारा नेता सदन (पुष्कर सिंह धामी)तथा उपनेता प्रतिपक्ष (भुवन चंद्र कापड़ी)को जारी अति संवेदनशील पत्र
श्रीमान महोदय,नेता द्वय (भाजपा एवं कांग्रेस) आपसे पीड़ित चिन्हित एवं वंचित समस्त राज्य आंदोलनकारी परिवार करबद्ध निवेदन करते है कि आप दोनों ही राज्य आंदोलन की जननी खटीमा क्षेत्र का प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से प्रतिनिधित्व कर रहे हैं तथा अपनी प्रतिभा व योग्यता के बल पर अपनी पार्टी तथा उत्तराखंड की विधानसभा में प्रभावशाली स्थान प्राप्त कर चुके हैं । महोदय समस्त शहीद परिवार तथा चिन्हित पीड़ित राज्य आंदोलनकारी सत्ता पक्ष एवं विपक्ष से यह जानना चाहते हूं कि गत दिनों उत्तराखंड की विधानसभा से पारित 10% क्षैतिज आरक्षण विधेयक राजभवन से पारित होने के पश्चात उत्तराखंड उच्च न्यायालय में चैलेंज कैसे हो गया ? क्या प्रवर समिति द्वारा बिल को फुलप्रूफ नहीं बनाया गया ? अगर बिल को पूर्णतया कानूनी मान्यता प्राप्त है, तो भविष्य की सारी परीक्षाएं माननीय न्यायालय के अधीन क्यों संचालित की जा रही हैं ? कोई भी प्रतियोगी अपनी सम्पूर्ण शक्ति झोंककर अंततः कोर्ट के निर्णय अधीन रहते हुए खाली हाथ हो जाए ,तब क्या यह उसके साथ अन्याय नहीं है? यह कितने दुख का विषय है कि राजनैतिक लोग जनता के हितों को माननीय न्यायालय में बंधक रखकर जनता के हितैषी बनने का ढोल पीट रहे हैं । साथ ही हमारा यह भी आरोप है कि अगर मामला पुनः कोर्ट में लंबित है, तब एक्ट को आधार बनाकर केवल 11 प्रभावशाली परिवारों के आश्रित आंदोलनकारियों को ही नियुक्ति किस आधार पर दी गई ?शेष रुके अभ्यर्थी जिन्होंने आंदोलनकारी कोटे के तहत प्रतियोगी परीक्षा उत्तीर्ण की है उनके परीक्षा परिणाम घोषित कर उनको नौकरी क्यों नहीं दी जा रही है? ऐसे ही सैकड़ों प्रभावित परिवार जिनके आश्रित नियुक्ति से वंचित सरकार से यह यक्षप्रश्न पूछ रहे है कि क्या यह प्रतियोगी परीक्षा उत्तीर्ण अन्य अभ्यार्थियों (राज्य आंदोलनकारी परिवारों) के साथ राजशाही व अफसरशाही का जुल्म नहीं हैं। पीड़ित नौकरी से वंचित आश्रितों के परिवारजनों ने भी राज्य आंदोलन के जुल्म को सहा हैं। किसी न किसी निश्चित भागीदारी के कारण शासन स्तर पर उनको राज्य आंदोलनकारी की मान्यता मिली हैं। उसके बावजूद भी एक्ट का लाभ कुछ राज्य आंदोलनकारी परिवारों को क्यों? वर्षों तक राज्य आंदोलन के लिये संघर्षशील रहे हजारों हज़ार राज्य आंदोलकारियों की स्थिति सरकार की निष्क्रियता एवं विपक्ष की चुप्पी ने ऐसी कर दी हैं कि न खुदा ही मिला न विसाले सनम न इधर के रहे न उधर के । सक्ता पक्ष एवं विपक्ष की मिलीभत ही पिछले 24 वर्षो में राज्य आंदोलनकारी परिवारों की भीषण बर्बादी का कारण बनीं हैं।
आज राज्य आंदोलन के लिए समर्पित शक्तियां नेता सदन (भाजपा) एवं उप नेता प्रतिपक्ष(कांग्रेस) से यह सवाल पूछती है कि
1- राज्य आंदोलकारियों के हत्यारे मुलायम सिंह यादव राष्ट्रीय स्तर पर पद्म विभूषण सम्मान क्यों? शहीद परिवारों को गुमनामी का जीवन जीने पर क्यों मजबूर होना पड़ रहा है? शहीदों की उपेक्षा पर विपक्ष चुप क्यों? शहीदों का सम्मान क्यों नहीं? इसपर विपक्ष चुप क्यों?
2- समूचे उत्तराखंड में वर्षो से चिन्हीकरण की बाट जोह रहे हजारों राज्य आंदोलकारियों का चिन्हीकरण जानबूझकर अवरुद्ध क्यों किया गया हैं ? विपक्ष इस पर मौन क्यों ?
3 विधिवत 10% क्षैतिज आरक्षण एक्ट पारित होने पर भी 12000 चिन्हित परिवारों को न्यायालय के फैसले का इंतजार क्यों? एक्ट पारित होने के बावजूद प्रतियोगी परीक्षाओं में उत्तीर्ण राज्य आंदोलनकारी आश्रितों को नियुक्ति से इंकार क्यों?इसपर विपक्ष चुप क्यों ?
4- भाजपा से जुड़े आपतकाल के लोकतंत्र सेनानियों को 21हजार रुपया पेंशन क्यों ? उत्तराखंड राज्य आंदोलन शहीद परिवारो को मात्र 3100 गुजारा क्यों करना पड़ रहा हैं? तथा 12000 अन्य चिन्हित आंदोलकारियों की राशि में असमानता क्यों?इसपर विपक्ष निरंतर चुप्पी क्यों साधे है?
5-पूर्व सैनिकों तथा अन्य विधवा , वृद्धा, विकलांग पेंशन प्राप्त आंदोलनकारियों की पेंशन क्यों रोकी गई तथा पूर्व सैनिकों के योगदान को कम क्यों आंका जा रहा हैं? इस पर विपक्ष चुप क्यों?
6- नेताओं(MLA /MP) तथा अधिकारियों की सुख सुविधाओं में तथा बेतहाशा वेतन वृद्धि क्यों? तथा आम जनता बेहाल क्यों? इस विपक्ष चुप क्यों
अतः हजारों हज़ार घोषित -अघोषित राज्य प्रेमी उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी राष्ट्रीय पार्टियों की भेदभाव पूर्ण तथा राज्य आंदोलकारी शक्तियों के प्रति उपेक्षापूर्ण व्यवहार से अत्यंत दुःखी है तथा सतापक्ष एवं विपक्ष दोनों से आग्रह करते हैं कि वह उपरोक्त बिंदुओं के प्रति संवेदनशील होकर राज्य आंदोलनकारी शक्तियों के प्रश्नों का जवाब दे तथा अपने दायित्वों को समझे।
निवेदक
समस्त पीड़ित एवं उपेक्षित राज्य आंदोलनकारी शक्तियां
उत्तराखंड प्रदेश
नोट – पाठक इस संदेश को हजारों हजार उत्तराखंड प्रेमी जनता तक पहुंचाए। तथा भविष्य के निश्चित संघर्ष के लिए तैयार रहे।