उत्तराखंड में भूमि का मुद्दा जन भावनाओं से गहरा जुड़ा हुआ है। उच्च और दुर्गम पर्वतीय क्षेत्र हों अथवा कम ऊंचाई वाले स्थान या तराई क्षेत्र, विषम भौगोलिक परिस्थितियों को चुनौती देते हुए विविध रंगों से सरोबार संस्कृति फली-फूली है।

पृथक राज्य बनने के बाद इस मध्य हिमालयी क्षेत्र की जनाकांक्षाओं को उम्मीदों को नए पर मिले, लेकिन इन उम्मीदों के उड़ान भरने की राह में 71 प्रतिशत संरक्षित वन […]

मूलनिवास 1950’ को समाप्त कर उसे ‘स्थायी निवास’ में बदलने और उसकी कट आ ऑफ डेट 1985 करनेके विरोध में राज्य में समय-समय पर आवाज उठती रही है। पिछले दिनों राज्य के विभिन्न हिस्सों सेआकर युवाओं ने एक बड़े जन सैलाब के रूप में 24 दिसंबर, 2024 को देहरादनू में अपनी बात सरकार के सामने रखी। अब यह आंदोलन राज्य के तमाम हिस्सों में भी जोर पकड़ रहा है। चिंता इस बात की है कि हमारी आने वाली पीढ़ियों के सामने अपने ‘मलू निवास’ को साबित करने का संकट

लंबे समय से राज्य में अपने संवैधानिक अधिकारों के लिए आंदोलनरत हैं। राज्य में संविधान प्रदत्त ‘मूलनिवास 1950’ को समाप्त कर उसे ‘स्थायी निवास’ में बदलने और उसकी कट आ […]