News उत्तराखंड वर्तमान लखनपुर पांडव लोक अज्ञातवास के दौरान यहां पर रहे इस दौरान रानी द्रोपती राजा बिराठ की महारानी की सेवा मे तैनात थी,जहा बिराठ केसेनापति व महारानी के भाई महाबली कीचक ने रानी द्रोपती से दुर्व्यवहार किया था,जिस कारन् महबली भीम ने किचक का बध कर दिया था,पूरे बैराठ मे बडा आश्चर्य हुआ की महाबली कीचक को कोंन मार् सकता है, इस बात् का पता हि नही लग सका की कीचक को किसने मारा,जिस स्थान पर मारा राम गंगा नदी के किनारे कीचक घाट है और वहां पर के खेतों का नामकीचकसेरा,हैसेरा मैदान खेत को कहते हैंमेरे गांव का मुकुट यानी सिर्फ असुरकोट मैं कीचक का महल था मेरे घर से दूरी 4 किलोमीटर हैंपांडव कल में स्थान का नाम विराट नगर था फिर बाद में ब्रह्मपुरी कहलाया और जब कस्तूरी लोग स्वतंत्र प्रशासन करने लगे इसका नाम लखनपुर पड़ा जो राम गंगा नदी के किनारे बसा है, विराट नगरी के दक्षिणी छोर के तरफ राम पादुका मंदिर है मंदिर लगभग 12वीं शताब्दी के हैं वहां पर मंदिर में शिव की मूर्ति तथा रामचंद्र जी के चरण विराजमान है कहते हैं बद्रीनाथ और देवप्रयाग जाते समय वे इसी मार्ग से गए मैदानी क्षेत्र से जोशीमठ बद्रीनाथ देवप्रयाग केदारनाथ जाने का मार्ग पहले से यही था हल्द्वानी और रामनगर मोटर मार्ग बद्रीनाथ को इसी स्थान से गुजरते हैंआने वाले यात्रियों का मार्ग भीयहां से चारों दिशाओं को मार्ग सुलभ है यह Hindustan Global Times: विराटनगर वर्तमान लखनपुर पांडव लोक अज्ञातवास के दौरान यहां पर रहे इस दौरान रानी द्रोपती राजा बिराठ की महारानी की सेवा मे तैनात थी,जहा बिराठ के सेनापति व महारानी के भाई महाबली कीचक ने रानी द्रोपती से दुर्व्यवहार किया था,जिस कारन् महबली भीम ने किचक का बध कर दिया था,पूरे बैराठ मे बडा आश्चर्य हुआ की महाबली कीचक को कोंन मार् सकता है, इस बात् का पता ही नही लग सका की कीचक को किसने मारा,जिस स्थान पर मारा राम गंगा नदी के किनारे कीचक घाट है और वहां पर के खेतों का नामकीचकसेरा,है सेरा मैदान खेत को कहते हैं।मेरे गांव का मुकुट यानी सिर्फ असुरकोट मैं कीचक का महल था मेरे घर से दूरी 4 किलोमीटर हैं।पांडव कल में स्थान का नाम विराट नगर था। फिर बाद में ब्रह्मपुरी कहलाया और जब कस्तूरी लोग स्वतंत्र प्रशासन करने लगे इसका नाम लखनपुर पड़ा जो राम गंगा नदी के किनारे बसा है, विराट नगरी के दक्षिणी छोर के तरफ राम पादुका मंदिर है ।मंदिर लगभग 12वीं शताब्दी के हैं ।वहां पर मंदिर में शिव की मूर्ति तथा रामचंद्र जी के चरण विराजमान है ।कहते हैं बद्रीनाथ और देवप्रयाग जाते समय वे इसी मार्ग से गए मैदानी क्षेत्र से जोशीमठ बद्रीनाथ देवप्रयाग केदारनाथ जाने का मार्ग पहले से यही था हल्द्वानी और रामनगर मोटर मार्ग बद्रीनाथ को इसी स्थान से गुजरते हैंआने वाले यात्रियों का मार्ग भीयहां से चारों दिशाओं को मार्ग सुलभ है यह क्षेत्र वर्तमान चौखुटिया शहर के अंदर आता है जिसका एक नाम गनाई भी है जो गणेश मंदिर के अनुसार पड़ा इसके बारे में मैंने पहले ग्रुप में एक लिख डाला था गणेश मंदिर संबंधी इतिहास! Avtar Singh Bisht April 16, 2024 0 विराटनगर वर्तमान लखनपुर पांडव लोक अज्ञातवास के दौरान यहां पर रहे इस दौरान रानी द्रोपती राजा बिराठ की महारानी की सेवा मे तैनात थी,जहा बिराठ केसेनापति व महारानी के भाई […]