यह बदलाव आधुनिक संचार प्रौद्योगिकी की ही देन है, जिसने चुनावी संपर्क को डिजिटलीकृत और सोशल मीडिया केंद्रित कर दिया है।
उत्तराखंड की बात करें तो पहाड़ से लेकर मैदानी क्षेत्रों तक प्रत्याशी और पार्टियां प्रचार के लिए डिजिटल कैंपेनिंग को प्राथमिकता दे रही हैं। राष्ट्रीय दलों की प्रचार गतिविधियां देखें तो भाजपा मोदी मैजिक का सहारा ले रही है।वहीं, कांग्रेस वादों के जरिये मतदाताओं को साधने में लगी है। लोकसभा निर्वाचन के समर में इंटरनेट मीडिया का ऐसा कोई भी मंच नहीं है, जिसका प्रयोग प्रत्याशी और पार्टियां न कर रही हों।
केंद्र सरकार की उपलब्धियों को जमकर प्रचार
भाजपा उत्तराखंड के फेसबुक, एक्स, इंस्टाग्राम पेज पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार के पांच वर्षों की उपलब्धियों को जमकर प्रचारित किया जा रहा है।
साथ ही पीएम मोदी के उत्तराखंड से जुड़ाव से जुड़े पोस्ट भी नियमित किए जा रहे हैं। इसमें प्रदेश सरकार के काम भी गिनाए जा रहे हैं। वहीं, पांचों सीटों पर पार्टी के प्रत्याशी भी मोदी सरकार के कामों को अपने प्रचार का हिस्सा बना रहे हैं।
इधर, कांग्रेस की बात करें तो पार्टी के इंटरनेट मीडिया पेजों पर पांच न्याय नाम से पोस्ट किए जा रहे हैं। इसमें सरकार बनने पर अपनी प्राथमिकताओं को प्रचारित किया जा रहा है। वर्तमान सरकार के कामों पर सवाल भी उठाए जा रहे हैं।
कांग्रेस के प्रत्याशियों की बात करें तो उनके पेजों पर भी इसी प्रकार के पोस्टों की भरमार है। साथ ही अपनी जनसभाओं के वीडियो भी जारी कर रहे हैं। इनके अलावा कई निर्दल प्रत्याशी भी इंटरनेट मीडिया के जरिये चुनावी वैतरणी पार करने की कोशिश में हैं।
भाजपा :-
- किसान सम्मान निधि,
- लखपति दीदी,
- उज्जवला और विश्वकर्मा योजना
- देश की अर्थव्यवस्था को पांचवें स्थान पर लाना
- गरीब परिवारों को निश्शुल्क अनाज उपलब्ध कराना
- हाईटेक सड़कें,
- आधुनिक ट्रेनें,
- शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार,
- डिजिटल भुगतान
कांग्रेस :-
- महिलाओं के भर्ती आरक्षण,
- आर्थिक मदद,
- छात्रावास बढ़ाना,
- कैलेंडर के अनुसार भर्तियां,
- अप्रेंटिसशिप,
- स्टार्टअप कोष- एमएसपी,
- किसानों की कर्ज माफी,
- नीति में परिवर्तन- श्रमिकों के लिए मजदूरी बढ़ाना,
- मुफ्त उपचार,
- दुर्घटना बीमा- अनुबंध के अनुसार नौकरियां बंद कराना