
हालाँकि, यह स्पष्ट नहीं है कि इजरायल ने इस पर अंतिम निर्णय लिया है या नहीं. अमेरिकी अधिकारियों के अनुसार, अभी तक इस हमले को लेकर पक्की पुष्टि नहीं हो पाई है, लेकिन हाल के हवाई अभ्यासों और हथियारों के जमावड़े से शक गहराता जा रहा है.


संवाददाता,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स /उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)
अमेरिकी खुफिया सूत्रों ने बताया है कि हाल के महीनों में इजरायल द्वारा ईरानी परमाणु संयंत्र पर हमले की संभावना काफी बढ़ गई है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ट्रंप प्रशासन द्वारा प्रस्तावित अमेरिका-ईरान समझौते की कमजोरियों के कारण इजरायल को सैन्य विकल्प की ओर झुकने की वजह मिल सकती है. इस प्रस्ताव में ईरान के संपूर्ण यूरेनियम भंडार को समाप्त करने की गारंटी नहीं है.
दबाव की रणनीति या असली तैयारी?
हालांकि, कुछ अमेरिकी अधिकारियों का यह भी मानना है कि इजरायल की यह तैयारी सिर्फ दबाव बनाने की रणनीति हो सकती है ताकि ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम से पीछे हटे. हथियार जमा करने और सैन्य अभ्यास को लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय में चिंता बढ़ गई है, लेकिन यह अभी तक स्पष्ट नहीं है कि इजरायल वास्तव में हमला करेगा या नहीं.
अमेरिका की स्थिति: सैन्य नहीं, अभी कूटनीति
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पहले ही ईरान को 60 दिन की चेतावनी दी थी कि यदि परमाणु वार्ता सफल नहीं हुई, तो सैन्य विकल्प खुला रहेगा. अब वह समयसीमा भी पार हो चुकी है. अमेरिकी प्रशासन अभी भी कूटनीतिक प्रयासों को प्राथमिकता दे रहा है. हालाँकि, ट्रंप से जुड़े एक सूत्र ने सीएनएन को बताया कि अमेरिका तभी सैन्य सहायता करेगा जब ईरान कोई गंभीर उकसावे वाली कार्रवाई करेगा.
ईरान की कमजोरी, इजरायल की रणनीति
ईरान पर लगे आर्थिक प्रतिबंध, सहयोगियों के नुकसान और अक्टूबर में इजरायल द्वारा किए गए हमलों ने उसे कमजोर कर दिया है. ऐसे में इजरायल इसे रणनीतिक अवसर मान रहा है. लेकिन ईरान पर प्रभावी सैन्य कार्रवाई के लिए उसे अमेरिका की मदद की ज़रूरत पड़ेगी, जिसमें हवा में ईंधन भरना और बंकर-भेदी बम शामिल हैं.
ईरान का जवाब: वार्ता पर भरोसा नहीं
ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला खामेनेई ने हाल ही में कहा कि उन्हें अमेरिका के साथ चल रही वार्ता से कोई उम्मीद नहीं है. उन्होंने यूरेनियम संवर्धन को अपना अधिकार बताया और अमेरिका की मांगों को ‘बड़ी गलती’ करार दिया. ईरान अब संयुक्त राष्ट्र की परमाणु अप्रसार संधि का हवाला देकर अपने अधिकार की रक्षा कर रहा है.
फिलहाल, स्थिति बेहद संवेदनशील बनी हुई है. एक ओर जहां इजरायल हमला करने की स्थिति में नजर आ रहा है, वहीं अमेरिका इस बार किसी भी सैन्य कदम से पहले कूटनीति को पूरी तरह आजमाना चाहता है.

