सोशल मीडिया पर इस्लामी कट्टरपंथियों ने एक बार फिर एक मुस्लिम को पीड़ित दिखाने का प्रयास किया है। गाड़ियों की टक्कर को लेकर हुए विवाद को उन्होंने हिन्दू-मुस्लिम विवाद की तरह दिखाया। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल की। इस वीडियो में एक मुस्लिम शख्स घायल अवस्था में दिखाई दे रहा है। यह मामला उत्तराखंड के देहरादून का है।


संवाददाता,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स /उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)
इस वीडियो को शेयर करने वाले यूजर ने दावा किया कि मुस्लिम शख्स से उसका नाम पूछा गया और फिर मजहब भी पूछा गया और उसकी पिटाई कर दी गई, इसके बाद बेरहमी से पीटा। दावा किया गया कि यह वीडियो उत्तराखंड के देहरादून का है।
एक एक्स यूजर Mr Haque ने ट्वीट कर लिखा, “देहरादून, उत्तराखंड। एक मुस्लिम परिवार डोईवाला से देहरादून (चंचक बंजारावाला) शादी समारोह में जा रहे थे। 5 से 6 लोगों ने बंजारावाला में उनसे नाम और मजहब पूछकर लोहे की रॉड और चाकूओं से उन पर हमला कर दिया।”
एक्स पोस्ट का स्क्रीनशॉट
ट्वीट में एक वीडियो भी अटैच किया गया है, जिसमें एक घायल व्यक्ति खून से लथपथ दिखाई दे रहा है। इस फर्जी खबर का प्रचार-प्रसार जफरुल इस्लाम खान ने भी किया है, वो पहले भी हिंदुओं को धमकी दे चुका है। ये फर्जी खबर एक्स पर भी वायरल हो गई।
वीडियो का सच सामने आने पुलिस ने दी चेतावनी
अब आपको वीडियो के पीछे का सच बताते हैं। देहरादून पुलिस ने ‘Mr Haque’ द्वारा किए गए इस दावे को झूठा बताया है। असलियत में यह मामला सड़क पर हुई आम कहासुनी का है। जिसको कुछ इस्लामी कट्टरपंथी बता रहे हैं कि मुस्लिम शख्स पर मजहब पूछ कर किया गया हमला बता रहे हैं।
पुलिस के अनुसार, यह घटना 1 मई 2025 की है। वीडियो में दिख रहा खून से लथपथ शख्स की पहचान अनिश अली के रूप में हुई है। अनिश और उसका परिवार एक शादी समारोह में जा रहा था। इस दौरान सड़क के बीचीबोच उनकी कार लड़ गई, जिसके चलते ट्रैफिक बाधित हो गया।
इसी कारण अली और अन्य व्यक्ति संजय रावत के बीच झड़प हो गई। दोनों ने एक दूसरे पर हाथ छोड़ दिया, इसके चलते दोनों को चोटें आईं। घटना के बाद पुलिस भी मौके पर पहुँची। पुलिस ही घायलों को उपचार के लिए अस्पताल ले गई।
इसके बाद पुलिस की टीम को इलाके में तैनात किया गया था। पुलिस ने इस मामले में CCTV भी खँगाला। इसी के आधार पर कुछ लोगों पर FIR भी दर्ज की गई थी।
देहरादून पुलिस ने चेतावनी देते हुए कहा, “यह घटना एक कार के खराब होने और ट्रैफिक जाम लगने के कारण हुए विवाद के कारण हुई। हालाँकि, सोशल मीडिया के जरिए कुछ लोग इस घटना को मजहबी रंग देने की कोशिश कर रहे हैं। पुलिस लगातार सोशल मीडिया पर नजर रख रही है और ऐसे लोगों की पहचान कर रही है, ऐसा करने वालों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।”
ऐसा पहली बार नहीं है…
ऐसा पहली बार नहीं हुआ जब हिंदुओं का बदनाम करने की कोशिश की गई हो। हाल ही में पहलगाम आतंकी हमले के बाद से ही सोशल मीडिया पर ‘मुस्लिम पीड़ित’ होने की झूठी कहानियों का जमावड़ा लग गया। जहाँ इस्लामी आतंकवादियों ने हिंदुओं का कत्लेआम किया था।
ये मनगढ़ंत कहानियाँ इस तरह से गढ़ी गई हैं कि हिंदुओं को शैतान की तरह पेश किया जाए। अब इस ‘मुस्लिम पीड़ित’ कार्ड का इस्तेमाल आतंकी हमले की धार्मिक घृणा से प्रेरित होकर प्रकृति से सार्वजनिक बहस को हटाने के लिए किया जाता है।

