
किच्छा।उच्च न्यायालय के आदेश के बाद शनिवार को प्रशासन ने प्राग फार्म की 1914 एकड़ भूमि पर कब्जा ले लिया। एडीएम कौस्तुभ मिश्रा की अगुवाई में कार्रवाई की गई। इस दौरान किसी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए भारी पुलिस बल तैनात रहा। हालांकि, मौके पर विरोध की कोई घटना सामने नहीं आई।


गौरतलब है कि 1933 में ब्रिटिश सरकार के लीज सेक्रेटरी ऑफ स्टेट ने किच्छा तहसील के 12 गांवों की 5193 एकड़ भूमि प्रागनारायण अग्रवाल को 99 साल की लीज पर दी थी। 1938 में प्रागनारायण अग्रवाल के निधन के बाद यह भूमि उनके वारिस केएन अग्रवाल व शिव नारायण अग्रवाल के नाम चली गई।
आजादी के बाद महाराजपुर और श्रीपुर गांव की भूमि विस्थापितों को आवंटित कर दी गई थी। 1966 में गवर्नमेंट एस्टेट ठेकेदारी अबोलेशन एक्ट के तहत लीज निरस्त कर दी गई। इसके बाद 4034.03 एकड़ भूमि शेष बची। प्रशासन ने 20 सितंबर 2014 को 1972.75 एकड़ भूमि पर कब्जा कर लिया था।
शेष 1914 एकड़ भूमि को 3 नवंबर 2022 को जिलाधिकारी न्यायालय के आदेश पर राज्य सरकार में निहित कर दिया गया था, लेकिन उच्च न्यायालय में दायर विशेष अपील के कारण कब्जा नहीं हो सका था। हाल ही में 13 अगस्त को उच्च न्यायालय ने विशेष अपील को निरस्त कर दिया। इसी आधार पर प्रशासन ने शनिवार को कार्रवाई पूरी करते हुए भूमि पर कब्जा ले लिया।
संपादकीय✍️ अवतार सिंह बिष्ट | हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स, रुद्रपुर (उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी)प्राग फार्म की 1914 एकड़ भूमि पर प्रशासन का कब्जा : धामी सरकार का सराहनीय कदमलउत्तराखंड के किच्छा क्षेत्र में प्राग फार्म की 1914 एकड़ भूमि पर प्रशासन द्वारा कब्जा लिया जाना एक ऐतिहासिक और साहसिक निर्णय है। धामी सरकार ने एक बार फिर यह साबित किया है कि राज्यहित और जनहित सर्वोपरि है। इससे पहले भी खुरूपिया फार्म की हजारों एकड़ भूमि को सरकार ने अपने कब्जे में लेकर विकास योजनाओं और जनकल्याण के रास्ते खोले थे। अब प्राग फार्म की भूमि पर हुई कार्रवाई यह संदेश देती है कि सरकार भूमि माफियाओं, अवैध कब्जों और संसाधनों के दुरुपयोग को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं करेगी।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का यह निर्णय न केवल प्रशासनिक दृढ़ता का परिचायक है, बल्कि जनता के बीच यह विश्वास भी जगाता है कि सरकार राज्य की हर इंच भूमि को सही दिशा में उपयोग करने के लिए कटिबद्ध है। लंबे समय से उपेक्षित पड़ी इन भूमियों पर अब उद्योग, शिक्षा, कृषि और रोजगार सृजन के नए अवसर खुल सकते हैं। यह कदम उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था को मजबूती देगा और स्थानीय युवाओं को स्वरोजगार व रोजगार के नए साधन उपलब्ध कराएगा।
इससे बड़ा संदेश यह भी गया है कि सरकारी संपत्ति पर कब्जा जमाकर उसे निजी लाभ का साधन बनाने वालों के दिन अब लद चुके हैं। धामी सरकार की इस कार्यवाही ने राज्य की राजनीति और प्रशासन में पारदर्शिता व जवाबदेही की नई उम्मीद जगाई है।
निस्संदेह, प्राग फार्म और खुरूपिया फार्म जैसे मामलों में सरकार की सक्रियता उत्तराखंड को नई दिशा देने की क्षमता रखती है। यह कदम आने वाले समय में प्रदेश की विकास गाथा का मजबूत अध्याय साबित होगा। मुख्यमंत्री धामी और उनकी टीम इस सराहनीय कार्य के लिए बधाई की पात्र है।
माफिया मुक्त उत्तराखंड की परिकल्पना

उत्तराखंड सरकार द्वारा प्राग फार्म की 1914 एकड़ भूमि को कब्जा मुक्त कराना निश्चित ही एक ऐतिहासिक कदम है। इससे पहले खुरूपिया फार्म की हजारों एकड़ भूमि को भी सरकार ने अपने अधिकार में लेकर जनहित की दिशा में महत्वपूर्ण पहल की थी। ये कदम मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं।
लेकिन सच यह भी है कि प्रयाग फार्म और खुरूपिया फार्म की कई सौ एकड़ भूमि अब भी भू माफियाओं के कब्जे में है। ये प्रभावशाली लोग वर्षों से सरकारी जमीन का अवैध उपयोग कर रहे हैं और शासन-प्रशासन की नाक के नीचे जनता की संपत्ति को अपनी निजी जागीर बनाए बैठे हैं। जब तक इन कब्जों को पूरी तरह खाली नहीं कराया जाता, तब तक “माफिया मुक्त उत्तराखंड” की परिकल्पना अधूरी ही रहेगी।
जनता की अपेक्षा है कि धामी सरकार जिस दृढ़ता से प्राग फार्म पर कार्रवाई की है, उसी तरह शेष अवैध कब्जों पर भी कठोर कदम उठाए। कब्जा मुक्त कराई गई जमीनों का उपयोग यदि कृषि, उद्योग, शिक्षा और रोजगार सृजन में किया जाए, तो यह प्रदेश की प्रगति और युवाओं के भविष्य को नई दिशा देगा।
सच्चे अर्थों में माफिया मुक्त उत्तराखंड तभी संभव है, जब हर इंच भूमि जनता के विकास और राज्यहित में प्रयोग हो। यही धामी सरकार की सफलता और जनता का विश्वास सुनिश्चित करेगा।


