जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में मंगलवार (22 अप्रैल) को पर्यटकों पर हुए आतंकी हमलों के बाद केंद्र सरकार ने पड़ोसी देश पाकिस्तान के खिलाफ बहुत ही सख्त कदम उठाते हुए सिंधु जल समझौता रोकने का फैसला किया है।

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बुधवार शाम प्रधानमंत्री निवास पर बुलाई गई कैबिनेट मामलों की सुरक्षा समिति (CCS) की बैठक में यह फैसला लिया गया। इसके अलावा सरकार ने भारत स्थित पाकिस्तानी दूतावास को भी बंद करने और किसी भी पाकिस्तानी को भारतीय वीजा नहीं देने का फैसला किया है। CCS की बैठक में अटारी बॉर्डर को भी तत्काल प्रभाव से बंद करने का फैसला किया गया है।

क्या है सिंधु जल समझौता?

भारत और पाकिस्तान के बीच बहने वाली नदी सिंधु और उसकी सहायक नदियों के जल बंटवारे के लिए भारत और पाकिस्तान के बीच 19 सितंबर 1960 को एक समझौता हुआ था। इसे ही सिंधु जल समझौता कहा जाता है। यह समझौता विश्व बैंक की मध्यस्थता में हुआ था और इसका उद्देश्य सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों के जल का दोनों देशों के बीच बंटवारा करना था।

भारत और पाकिस्तान के बीच 9 साल की लंबी बातचीत के बाद 1960 में दोनों पक्षों ने सिंधु जल संधि पर दस्तखत किए थे। 19 सितंबर 1960 को तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति अयूब खान ने कराची में इस समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। सिंधु नदी प्रणाली में कुल छह नदियाँ शामिल हैं। इनमें सिंधु,सतलज झेलम, चिनाब, रावी और ब्यास शामिल हैं। इस समझौते के तहत भारत सिंधु नदी प्रणाली के पानी का केवल 20% ही इस्तेमाल कर सकता है। बाकी 80% पानी पाकिस्तान को देता है। सिंधु पाकिस्तान की लाइफलाइन कही जाती है।

क्या होगा इसका प्रभाव?

इस समझौते के रोकने से भारत सिंधु नदी का जल प्रवाह पाकिस्तान को रोक देगा, जिससे पाकिस्तान बूंद-बूंद को तरस सकता है। पाकिस्तान के पंजाब सूबे को इससे सबसे ज्यादा लाभ मिलता रहा है। सिंधु नदी अरब सागर तक पाकिस्तान के कई राज्यों से होकर बहती है। इस समझौते के रुकने से सबसे ज्यादा असर पाकिस्तान की खेतीबारी पर पड़ेगा। वहां के खेत सूखे पड़ जाएंगे और फसल उत्पादन ठप हो जाएगा। करीब 21 करोड़ से ज्यादा की पाकिस्तानी आबादी की जल जरूरतें भी इसी सिंधु जल प्रणाली पर निर्भर है। यानी इसके रुकने से पीने के पानी का भी संकट हो जाएगा।

भूख और प्यास दोनों से तड़पेंगे पाकिस्तानी?

करीब 17 लाख एकड़ जमीन, जो पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में है, पानी की कमी से वीरान हो जा सकती है। इससे पाकिस्तान में भयंकर भुखमरी की नौबत आ सकती है। पाकिस्तान पहले से ही आर्थिक संकट झेल रहा है और अन्न संकट की वजह से भुखमरी की मार झेल रहा है। अब भारत के ऐक्शन से उसकी कमर टूट सकती है। यानी मोदी सरकार के इस ऐक्शन से पाकिस्तान की बड़ी आबादी भूख और प्यास दोनों से तड़प सकती है।

पिछले साल भारत ने थमाया था नोटिस

समझौते के मुताबिक हरेक साल सिंधु जल आयोग की बैठक होनी जरूरी है। पिछले साल अगस्त में, भारत ने सिंधु जल संधि की समीक्षा के लिए पाकिस्तान को एक नोटिस भी दिया था। उस नोटिस में कहा गया था कि परिस्थितियों में होने वाले मौलिक और अप्रत्याशित बदलावों के कारण समझौते की फिर से समीक्षा करने की जरूरत है। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया था कि सीमा पार से होने वाली आतंकवादी घटनाएं ही इस नोटिस की वजह थीं। अब भारत ने आतंक की घटनाओं की वजह से ही ऐसा सख्त कदम उठाया है।


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