
ऐसा ही कुछ हुआ है हमारे पड़ोसी देश नेपाल में। यहां एक अनोखी मौत का मातम मनाया गया। दुनिया में यह अब तक अपनी तरह की तीसरी मौत है, जिसका मातम मनाने के लिए भारत, चीन, भूटान से कई वैज्ञानिक पहुंचे। चलिए जानते हैं इस बारे में विस्तार से –


संवाददाता,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स /उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)
किसकी हुई मौत, जो इतना इम्पोर्टेंट था
जिसकी मौत हुई वह बहुत ही इम्पोर्टेंट था। जी हां, क्योंकि यह हमारे अस्तित्व से जुड़ा है। दरअसल यहां एक हिमालयी ग्लेशियर को मृत घोषित किए जाने के बाद उसका अंतिम संस्कार किया गया। जिसमें भारत, चीन व भूटान के ग्लेशियोलॉजिस्ट भी पहुंचे और स्थानीय समुदायों के साथ इस ग्लेशियर की मौत का शोक मनाया।
नाम क्या है
जिस ग्लेशियर को मृत घोषित किया गया और अंतिम संस्कार किया गया। उसका नाम याला ग्लेशियर है। माना जाता है कि एशिया में किसी ग्लेशियर की मौत का यह पहला मामला है। हालांकि, दुनिया में इससे पहले दो ग्लेशियरों की मौत हो चुकी है। यह अपनी तरह का तीसरा ग्लेशियर है, जिसका अंतिम संस्कार किया गया।
याला ग्लेशियर कहां था
बता दें कि याला ग्लेशियर नेपाल के लांगटांग क्षेत्र में समुद्र तल से 5100 मीटर की ऊंचाई पर मौजूद था, जो अब मृत घोषित हो चुका है।
ग्लोबल वॉर्मिंग का असर!
एक ग्लेशियर की मौत की यह घटना जलवायु परिवर्तन के गंभीर प्रभावों की तरफ सख्त चेतावनी के तौर पर देखी जा रही है। इस तरह से अगर ग्लेशियरों की मौत होती रही तो भविष्य में मानव जीवन के अस्तित्व पर भी खतरा पैदा हो सकता है। स्वच्छ पीने योग्य पानी की कमी हो सकती है, सूखे का सामना करना पड़ सकता है और समुद्र का बढ़ता जलस्तर कई शहरों को निगल सकता है।
पहले भी हुईं दो मौतें
नेपाल के याला ग्लेशियर की मौत का मातम मनाने के लिए वैज्ञानिक नेपाल में इकट्ठा हुए थे। इससे पहले आसलैंड के ओक ग्लेशियर को साल 2019 में और मेक्सिको के आयोलोको ग्लेशियर को 2021 में मृत घोषित किया जा चुका है। इस तरह से नेपाल में अपनी तरह की दुनिया का यह तीसरी मौत थी।
66 फीसद सिकुड़ चुका ग्लेशियर
नेपाल के जिस याला ग्लेशियर की मौत का मातम मनाया गया, वह 1970 के बाद 66 फीसद तक सिकुड़ चुका था। कुल मिलाकर यह 784 मीटर पीछे खिसक गया था। यही कारण है कि ग्लेशियर को मृत घोषित किया गया। असका साफ मतलब है कि ब इस ग्लेशियर में जरूरी बर्फ नहीं बची है।
याला ग्लेशियर को मृत घोषित किए जाने पर उसकी शोक सभा आयोजित की गई, जिसमें नेपाल के साथ ही भारत. चीन और भूटान के ग्लेशियर वैज्ञानिकों ने स्थानीय लोगों के साथ शिरकत की। लोगों ने ऊंचाई पर एक कठिन ट्रैक करके इस कार्यक्रम में भाग लिया।
और बड़ी मुसीबत आने वाली है
वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि समूचे हिमालय क्षेत्र में मौजूद कुल 54 हजार ग्लेशियों में से अधिकांश इस सदी के अंत तक खत्म हो जाएंगे। यानी उनकी भी मौत हो जाएगी। यह सभी ग्लेशियर भारत, पाकिस्तान, नेपाल, भूटान और चीन के तिब्बत क्षेत्र में मौजूद हैं। मौजूदा काल तक ही दुनियाभर के ग्लेशियरों से 9 ट्रिलियन टन बर्फ के पिघलने का अनुमान है।

