निजी स्कूलों की मनमानी पर अंकुश और हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स की सजग पत्रकारिता!उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी परिषद का आंदोलन

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उत्तराखंड में शिक्षा के क्षेत्र में निजी स्कूलों की भूमिका जितनी महत्वपूर्ण है, उतनी ही चिंता का विषय बनती जा रही है उनकी मनमानी फीस नीति। अभिभावकों की जेब पर सीधा असर डालने वाले इन स्कूलों की मनमानी लंबे समय से शिक्षा विभाग की निष्क्रियता और सरकारी उदासीनता के कारण बढ़ती चली गई है। परंतु अब हालात बदल रहे हैं — और इसमें हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स की सक्रिय पत्रकारिता की अहम भूमिका है।

हाल ही में जिला प्रशासन की जांच में दो और नामचीन स्कूल फीस वृद्धि के मामले में दोषी पाए गए। प्रशासन ने इन्हें तत्काल फीस में कटौती करने के निर्देश दिए हैं और अतिरिक्त वसूली को अगली किस्त में समायोजित करने की सख्त हिदायत दी है। डीएम सविन बंसल के निर्देशों पर गठित समिति की कार्रवाई इस बात का संकेत है कि अब शिक्षा के व्यापारिकरण के खिलाफ सरकार की मशीनरी धीरे-धीरे ही सही, जाग रही है।

परंतु इस जागरूकता के बीज बोए थे हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स ने — लगातार रिपोर्टों, जनसंवाद और जमीनी हकीकत पर आधारित खबरों के माध्यम से। देहरादून हो या पिथौरागढ़, जहां-जहां निजी स्कूलों और कॉलेजों ने मनमानी की हदें पार कीं, वहीं-वहीं हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्टों ने आवाज उठाई। पिथौरागढ़ में निजी कॉलेज की मनमानी के खिलाफ हुए धरना-प्रदर्शन की खबरों ने इतना दबाव बनाया कि तत्कालीन जिला प्रशासन को स्वयं धरना स्थल पहुंचकर समाधान निकालना पड़ा।

आज, जब देहरादून से लेकर रुद्रपुर तक स्कूलों पर नोटिस जारी हो रहे हैं, फीस कम करने के आदेश दिए जा रहे हैं, सीएम हेल्पलाइन में शिकायतें संज्ञान में ली जा रही हैं, तो यह पत्रकारिता की उस ताकत का प्रमाण है जिसे हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स ने लगातार सिद्ध किया है।

यह भी उल्लेखनीय है कि स्कूलों में न केवल फीस वृद्धि, बल्कि किताबों की खरीद से लेकर यूनिफॉर्म तक में अभिभावकों से ठगी के आरोप लगते रहे हैं। खुलेआम दुकानों के साथ सांठगांठ कर अभिभावकों पर एक ही दुकान से महंगी किताबें खरीदने का दबाव बनाया जाता है। विडंबना यह है कि शिक्षा विभाग की ओर से समय-समय पर जारी एडवाइजरी भी कागजों में सिमट कर रह जाती है। मुख्य शिक्षा अधिकारी की निष्क्रियता भी बार-बार सवालों के घेरे में रही है, क्योंकि जब अभिभावक लगातार शिकायतें कर रहे हों, टोल फ्री नंबर पर डाटा मौजूद हो, फिर भी कार्रवाई न होना, कहीं न कहीं विभागीय उदासीनता की ओर इशारा करता है।

हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स न केवल खबर दिखाता है, बल्कि उस पर लगातार नजर भी बनाए रखता है। यही वजह है कि रुद्रपुर, काशीपुर, हल्द्वानी, पिथौरागढ़ जैसे शहरों में लोग इस पत्र के माध्यम से अपनी बात रखने में भरोसा जताते हैं।

आज जरूरत है एक ठोस नीति की, जिसमें आईटीई एक्ट के तहत फीस वृद्धि पर नियंत्रण हो, हर विद्यालय को फीस का पब्लिक डिस्क्लोजर अनिवार्य किया जाए और स्कूलों की मान्यता केवल शिक्षण गुणवत्ता पर नहीं, बल्कि सामाजिक उत्तरदायित्व निभाने की प्रतिबद्धता पर आधारित हो।

समय आ गया है कि राज्य सरकार और शिक्षा विभाग भी पत्रकारिता की इस चेतना से प्रेरणा लें और सख्त कदम उठाएं। हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स की यह मुहिम तब तक जारी रहेगी जब तक शिक्षा का अधिकार, एक समान और पारदर्शी व्यवस्था के रूप में हर अभिभावक को सुनिश्चित न किया जाए।



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