
संधू ने CRPC की धारा-41A ए के तहत जारी नोटिस के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी, लेकिन कोर्ट ने इसे यह कहते हुए खारिज कर दिया कि उनकी इसी तरह की याचिका पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट में पेंडिंग है, जिस पर 3 जुलाई को सुनवाई होने वाली है। संधू ने याचिका में नोटिस को रद्द करने और आगे कोई कठोर कार्रवाई न करने की मांग की थी।


दरअसल, 4 जून को हाई कोर्ट ने एक अंतरिम आदेश पारित करते हुए निर्देश दिया था कि जेल में लॉरेंस बिश्नोई के इंटरव्यू के संबंध में दर्ज FIR में संधु को आरोपी बनाए जाने के समर्थन में सीलबंद लिफाफे में प्रमाण प्रस्तुत किया जाए। कोर्ट ने यह भी कहा था कि संधू को आरोपी बनाने वाली जनरल डायरी एंट्री में इसके कारणों का कोई उल्लेख नहीं है। इसके बाद संधू ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। संधू की ओर से पेश वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि जब मामला हाई कोर्ट में पेंडिंग है तो पूर्व डीएसपी को धारा 41A के तहत उपस्थिति नोटिस जारी कर असुरक्षित स्थिति में ला दिया गया है।
इंटरव्यू के लिए जेल में कैसे घुसे लोग?
वरिष्ठ अधिवक्ता ने यह भी तर्क दिया कि संधू को उस समय बिश्नोई तक पहुंच नहीं थी और जिसने इंटरव्यू लिया, उसे सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम संरक्षण मिल चुका है। इस पर जस्टिस विश्वनाथन ने कहा कि वे प्रेस के लोग हैं। प्रभारी आप थे। इंटरव्यू के लिए वे जेल में कैसे घुसे? आप हाई कोर्ट में पेश हों। चूंकि मुख्य याचिका हाई कोर्ट में 3 जुलाई को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है, इसलिए सुप्रीम कोर्ट में मामला वापस ले लिया गया।
दो अलग-अलग इंटरव्यू हुए थे प्रसारित
गौरतलब है कि मार्च 2023 में गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई द्वारा हिरासत में रहते हुए दिए गए दो इंटरव्यू एक न्यूज चैनल पर प्रसारित हुए थे। नवंबर 2023 में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने जेल परिसर में कैदियों द्वारा फोन के उपयोग को लेकर स्वतः संज्ञान लिया और बिश्नोई के इंटरव्यू पर ध्यान दिया।

