संपादकीय: काशीपुर बायपास – विधायक शिव अरोड़ा के स्मार्ट सिटी सपने की अग्निपरीक्षा

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रुद्रपुर का विकास आज जिस मुकाम पर पहुंचा है, उसमें विधायक शिव अरोड़ा की भूमिका निर्विवाद रूप से महत्वपूर्ण रही है। उन्होंने अपने कार्यकाल में शहर को स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित करने का संकल्प लिया था — और कई मोर्चों पर वह संकल्प धरातल पर उतरता भी दिखा। लेकिन अब यही स्मार्ट सिटी मिशन एक अग्निपरीक्षा से गुजर रहा है, जिसका केंद्र है – काशीपुर बायपास रोड का चौड़ीकरण

✍️ अवतार सिंह बिष्ट | हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स, रुद्रपुर ( उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी

हाईकोर्ट के स्पष्ट आदेश के बावजूद, यह परियोजना अब तक अधर में लटकी हुई है। सड़क चौड़ीकरण को लेकर प्रशासनिक स्तर पर फाइलें घूम रही हैं, पर काम शुरू नहीं हो पाया। यही देरी अब जनता के बीच सवाल बनती जा रही है — क्या विधायक शिव अरोड़ा का स्मार्ट सिटी सपना कहीं काशीपुर बायपास की धूल में तो नहीं अटक गया?

जनता का दृष्टिकोण साफ है – “स्मार्ट सिटी” का अर्थ केवल सुंदर गलियों और पार्कों से नहीं है, बल्कि सुचारु यातायात और सुव्यवस्थित सड़क व्यवस्था से है। काशीपुर बायपास, रुद्रपुर का मुख्य धमन-मार्ग है। यह न केवल ट्रैफिक का भार कम करता है, बल्कि शहर की आर्थिक गति को भी प्रभावित करता है। हर दिन इस मार्ग पर बढ़ते जाम और दुर्घटनाएं लोगों के सब्र की परीक्षा ले रही हैं।

विधायक शिव अरोड़ा की लोकप्रियता और कार्यशैली अब तक जनता के भरोसे पर खरी उतरी है। लेकिन यह भी सत्य है कि 2027 के चुनाव से पहले यह मुद्दा उनके लिए “टर्निंग पॉइंट” बन सकता है। उनके समर्थक चाहते हैं कि यह परियोजना जल्द शुरू हो, ताकि उनके “विकासशील नेता” की छवि और मजबूत हो। वहीं, उनके विरोधी इस देरी को हथियार बनाकर सवाल उठा रहे हैं — “अगर विधायक का ड्रीम प्रोजेक्ट ही अधूरा रह गया, तो स्मार्ट सिटी का क्या अर्थ?”

राजनीति में विकास ही सबसे बड़ी पूंजी होती है। विधायक शिव अरोड़ा को चाहिए कि वे काशीपुर बायपास चौड़ीकरण को अपने “स्मार्ट सिटी” मिशन का केंद्रबिंदु बनाएं और कोर्ट के आदेशों के अनुरूप जल्द कार्रवाई सुनिश्चित करें।
यदि यह कार्य समय पर पूरा होता है, तो न केवल रुद्रपुर की सड़कों पर राहत की सांस मिलेगी, बल्कि जनता के मन में यह विश्वास भी मजबूत होगा कि “शिव अरोड़ा जो कहते हैं, वह करते हैं।”

अन्यथा, यह देरी आने वाले चुनाव में उनके लिए वही साबित हो सकती है, जो किसी मजबूत नींव में पड़ा एक अदृश्य दरार होती है — दिखती नहीं, पर असर छोड़ जाती है।


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