
8 अप्रैल को होगी हिंदू नव वर्ष की पहली एकादशी,8 अप्रैल रखा जायेगा कामदा एकादशी व्रतपूजा के लिए क्या है शुभ मुहूर्त


चैत्र मास के शुक्ल पक्ष को कामदा एकादशी मनाई जाती है. इस साल चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 7 अप्रैल को रात 8:00 बजे शुरू होगी होगा और इसका समापन 8 अप्रैल 2025 को रात 9:12 बजे होगा. उदया तिथि के मुताबिक कामदा एकादशी का व्रत 8 अप्रैल को रखा जाएगा.
प्रिंट मीडिया, शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/संपादक उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)संवाददाता]
8 अप्रैल को मंगलवार और कामदा एकादशी एक साथ है. मंगलवार को हनुमान जी का दिन माना जाता है इसलिए कामदा एकादशी पर व्रत करने का इस साल विशेष महत्व है. मंगलवार को एकादशी होने से मंगल ग्रह की भी विशेष पूजा की जाती है. कामदा एकादशी पर पूजा का मुहूर्त सुबह 06:03 बजे से लेकर सुबह 7:55 बजे तक है. ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04:32 बजे से सुबह 05:18 बजे तक है. इस बार कामदा एकादशी पर सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग भी बन रहा है. यह दोनों योग 8 अप्रैल को सुबह 6:03 बजे से लेकर सुबह 7:55 बजे तक रहेगा. इस योग में किए गए सभी कार्य सफल होते हैं.
पारण के लिए क्या है समय
कामदा एकादशी का व्रत करने वाले भक्त पारण 9 अप्रैल को करेंगे. पारण के लिए शुभ समय सुबह 6:26 बजे से लेकर सुबह 8:56 तक रहेगा. आपको मालूम हो कि एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले किया जाता है. 9 अप्रैल 2025 को द्वादशी तिथि रात 10 बजकर 55 मिनट पर समाप्त होगा. पारण करते समय चावल से ही व्रत खोला जाता है.
कामदा एकादशी व्रत की पूजा विधि
1. सबसे पहले सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करें.
2. इसके बाद साफ-सुथरे वस्त्र को धारण करें.
3. इसके बाद भगवान सूर्य को अर्घ्य दें.
4. फिर पूजा घर में लकड़ी की चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर विष्णु भगवान की प्रतिमा स्थापित करें.
5. भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र के सामने घी का दीपक जलाएं.
6. इसके बाद तुलसी पत्र, पीले पुष्प, चंदन, धूप-दीप और नैवेद्य अर्पित करें.
7. फिर विष्णु सहस्रनाम या विष्णु स्रोत का पाठ करें.
8. व्रत के बाद ब्राह्मण या गरीब को भोजन कराएं.
क्या है कामदा एकादशी का महत्व
शास्त्रों के मुताबिक कामदा एकादशी व्रत के प्रभाव से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं. कहा जाता है कि इस दिन जो भी भक्त श्रद्धा के साथ व्रत रखते हैं. उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. इसी के कारण इसे कामदा कहा जाता है. कामदा एकादशी के दिन के व्रत रखने से भक्त को मोक्ष की प्राप्ति होती है.
साथ ही एकादशी पर फलाहार व्रत रखा जाता है। इस व्रत को करने से साधक को मनचाहा वरदान मिलता है। साथ ही जन्म-जन्मांतर में किए गए समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि इस बार ये एकादशी व्रत 8 अप्रैल को पड़ रही है। कामदा एकादशी का व्रत जिस कामना से किया जाता है। वो पूरी होती है। पारिवारिक जीवन की समस्याएं भी खत्म हो जाती हैं। कामदा एकादशी का जिक्र विष्णु पुराण में किया गया है। राम नवमी के बाद ये पहली एकादशी होती है। कामदा एकादशी को सांसारिक कामनाएं पूरी करने वाला व्रत माना गया है। इसलिए इस व्रत को बेहद खास माना गया है। कामदा एकादशी को फलदा एकादशी भी कहते हैं।
कामदा एकादशी ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 7 अप्रैल को रात 8 बजे होगी। वहीं इस शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का समापन 8 अप्रैल को रात 9:12 मिनट पर हो जाएगा। ऐसे में उदयातिथि के अनुसार, 8 अप्रैल को कामदा एकादशी मनाई जाएगी। इसी दिन इसका व्रत और भगवान विष्णु का पूजन भी किया जाएगा।
शुभ योग ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि वैदिक पंचांग के मुताबिक कामदा एकादशी तिथि 7 अप्रैल को रात 8:01 बजे शुरू होकर 8 अप्रैल को रात 9:12 बजे समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार 8 अप्रैल को कामदा एकादशी का व्रत रखा जाएगा। इस दिन कई शुभ योग बन रहे हैं, जिनमें रवि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और लक्ष्मी नारायण योग शामिल हैं।. इन योगों में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होगी।
पूजा विधि भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि शास्त्रों के अनुसार इस एकादशी के दिन भगवान विष्णु का पूजन किया जाता है। व्रत के एक दिन पहले एक बार भोजन करके भगवान का स्मरण किया जाता है। कामदा एकादशी व्रत के दिन स्नान के बाद साफ कपड़े पहनकर व्रत का संकल्प लेना चाहिए। व्रत का संकल्प लेने के बाद भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा में फल, फूल, दूध, तिल और पंचामृत आदि सामग्री का प्रयोग करना चाहिए। एकादशी व्रत की कथा सुनने का भी विशेष महत्व है। द्वादशी के दिन ब्राह्मण को भोजन कराने के बाद दक्षिणा देकर विदा करना चाहिए।
कामदा एकादशी का महत्व भविष्यवक्ता डा. अनीष व्यास ने बताया कि धर्म ग्रंथों के अनुसार, कामदा एकादशी व्रत के पुण्य से जीवात्मा को पाप से मुक्ति मिलती है। यह एकादशी कष्टों का निवारण करने वाली और मनोवांछित फल देने वाली होने के कारण फलदा और कामना पूर्ण करने वाली होने से कामदा कही जाती है। इस एकादशी की कथा व महत्व भगवान श्रीकृष्ण ने पाण्डु पुत्र धर्मराज युधिष्ठिर को बताया था। इससे पूर्व राजा दिलीप को यह महत्व वशिष्ठ मुनि ने बताया था। चैत्र मास में भारतीय नव संवत्सर की शुरुआत होने के कारण यह एकादशी अन्य महीनों की अपेक्षा और अधिक खास महत्व रखती है। शास्त्रों के अनुसार जो मनुष्य कामदा एकादशी का व्रत करता है वह प्रेत योनि से मुक्ति पाता है।
दशमी से ही शुरू हो जाती है तैयारी कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि कामदा एकादशी व्रत के एक दिन पहले से ही यानी दशमी की दोपहर में जौ, गेहूं और मूंग आदि का एक बार भोजन करके भगवान की पूजा की जाती है। दूसरे दिन यानी एकादशी को सुबह जल्दी उठकर नहाने के बाद व्रत और दान का संकल्प लिया जाता है। पूजा करने के बाद कथा सुनकर श्रद्धा अनुसार दान किया जाता है। इस व्रत में नमक नहीं खाया जाता है। सात्विक दिनचर्या के साथ नियमों का पालन कर के व्रत पूरा किया जाता है। इसके बाद रात में भजन कीर्तन के साथ जागरण किया जाता है।
क्या करें भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें। तुलसी, फल-फूल, धूप, दीप और प्रसाद चढ़ाकर भगवान विष्णु की आराधना करें। इस दिन निराहार (बिना खाए) या फलाहार व्रत रखने की परंपरा है। भगवद्गीता और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें , क्योंकि इस दिन श्रीहरि की भक्ति में लीन रहना शुभ माना जाता है। जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र और धन दान करना बहुत पुण्यदायी होता है। इस दिन भगवान विष्णु के भजन-कीर्तन के साथ जागरण करने से विशेष लाभ मिलता है. द्वादशी के दिन ब्राह्मण भोजन कराने के बाद खुद सात्त्विक भोजन करें। क्या नहीं करें ।
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि इस दिन चावल, गेहूं, मसूर दाल, प्याज-लहसुन और मांसाहार से परहेज करें। व्रत के दौरान मन और वाणी की शुद्धता बनाए रखें। इस दिन सत्य बोलना और अच्छे आचरण का पालन करना जरूरी होता है। वाणी पर संयम रखना एकादशी व्रत का मुख्य नियम है।धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन शरीर के किसी भी अंग को काटना वर्जित है। खाने की बर्बादी न करें और भोजन को आदरपूर्वक ग्रहण करें।
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास से जानते हैं राशि अनुसार कामदा एकादशी पर करें इन चीजों का दान मेष राशि- कामदा एकादशी के दिन लाल रंग की मिठाई और लाल रंग के मौसमी फलों मसूर दाल का दान करें। वृषभ राशि- चावल, गेहूं, चीनी, दूध आदि चीजों का दान करें। मिथुन राशि- गाय को चारा खिलाएं और सेवा करें. साथ ही जरूरतमंद लोगों को हरी सब्जियों का दान करें। कर्क राशि- माखन, मिश्री, लस्सी, छाछ आदि चीजों का दान करें। सिंह राशि- कामदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने के बाद राह चलते लोगों में लाल रंग के फल और शरबत बाटें। कन्या राशि- विवाहित महिलाओं को हरे रंग की चूड़ियां दान में दें। तुला राशि- भगवान विष्णु की पूजा करने के बाद जरूरतमंदों के मध्य सफेद वस्त्रों का दान करें। वृश्चिक राशि- मसूर दाल, लाल मिर्च, लाल रंग के फल आदि चीजों का दान करें। धनु राशि- केसर मिश्रित दूध राहगीरों में बाटें। साथ ही पीले रंग के फल और खाने पीने की अन्य चीजों का भी दान कर सकते हैं। मकर राशि- भगवान विष्णु की पूजा करने के साथ गरीबों के मध्य धन का दान करें। कुंभ राशि- कामदा एकादशी पर चमड़े के जूते-चप्पल, छतरी और काले वस्त्र का दान करें। मीन राशि- केला, चने की दाल, बेसन, पीले रंग के वस्त्र का दान करें।

