
रुद्रपुर गदरपुर ब्लॉक से निर्वाचित पांच बीडीसी सदस्यों के निर्वाचन प्रमाण पत्र गुम होना कोई सामान्य लापरवाही नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक व्यवस्था पर सीधा हमला है। यह घटना केवल प्रशासनिक अकर्मण्यता का प्रमाण नहीं देती, बल्कि सत्ता पक्ष पर पक्षपात के गंभीर सवाल भी खड़े करती है।।✍️ संपादकीय खबर, अवतार सिंह बिष्ट | हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स, रुद्रपुर (उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी)


पूर्व विधायक राजकुमार ठुकराल और किसान नेता तजिंदर सिंह विर्क का कलेक्ट्रेट परिसर में धरने पर बैठना इस बात का संकेत है कि मामला अब केवल “प्रमाण पत्र गुमशुदगी” तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह जनप्रतिनिधियों के अधिकारों और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा का सवाल बन चुका है। निर्वाचित प्रतिनिधियों—महतोष से तरन्नुम, गदरपुरा से सबीना, विजयनगर से मंजू मंडल, श्रीरामपुर से विनोदनी गाइन और खानपुर पूर्व से किरण मिस्त्री—का अधिकार है कि उन्हें उनके निर्वाचन प्रमाण पत्र बिना देरी और भेदभाव के मिले।

चिंता की बात यह है कि निर्वाचन आयोग के सचिव के स्पष्ट निर्देश के बावजूद प्रमाण पत्र की दूसरी कॉपी जारी नहीं की जा रही। आरओ का फोन बंद होना और उनका गायब रहना, डीएम का ठोस कार्रवाई न करना और पुलिस का गुमशुदगी रिपोर्ट लेने से इनकार करना—ये सभी घटनाएं प्रशासनिक तंत्र की गंभीर विफलता और संभवतः दबाव में काम करने की मानसिकता को दर्शाती हैं।
यदि सच में सत्ता पक्ष के दबाव में दूसरे प्रत्याशियों को लाभ पहुंचाने के लिए यह देरी की जा रही है, तो यह लोकतंत्र की हत्या से कम नहीं है। चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता लोकतंत्र का मूल है, और जब इन्हीं स्तंभों को खोखला किया जाएगा, तो जनता का विश्वास पूरी व्यवस्था से उठ जाएगा।
इस मामले में ज़िला प्रशासन को तत्काल जांच कर दोषियों पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। साथ ही, निर्वाचन आयोग को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इस तरह की घटनाएं भविष्य में न हों। अन्यथा, जनता यह मानने पर मजबूर होगी कि लोकतांत्रिक संस्थाएं केवल सत्ता के खेल की मोहरे बनकर रह गई हैं।
लोकतंत्र केवल वोट डालने तक सीमित नहीं है, बल्कि निर्वाचित प्रतिनिधियों के अधिकारों की रक्षा और उन्हें सम्मानपूर्वक कार्य करने का अवसर देना भी उसकी आत्मा है। गदरपुर ब्लॉक की यह घटना इस आत्मा पर गंभीर चोट है—और इसकी गूंज दूर तक सुनाई देगी।
ब्लाक प्रमुख चुनाव में धांधली के खिलाफ बुधवार को पूर्व विधायक राजकुमार ठुकराल ने कलेक्टेªट में धरना देकर विरोध प्रकट किया। इस दौरान किसान नेता तजिन्दर सिंह विर्क ने भी ठुकराल के धरने का समर्थन करते हुए हाथ और पैरों में बेड़िया लगाकर धरना दिया। धरना स्थल पर पूर्व विधायक ठुकराल ने आरोप लगाया कि जिले के कई नवनिर्वाचित क्षेत्र पंचायत सदस्य अब तक अपने प्रमाण पत्र से वंचित हैं, जबकि 14 अगस्त को ब्लॉक प्रमख पद के लिए मतदान होना है। ऐसे में प्रमाण पत्र के बिना संबंधित सदस्य मतदान प्रक्रिया में शामिल नहीं हो पाएंगे। उन्होंने कहा कि इन सदस्यों के प्रमाण पत्र या तो कहीं गुम हो गए हैं या फिर उन्हें जानबूझकर रोका जा रहा है। उन्होंने बताया कि इस गंभीर मामले की जानकारी जिला निर्वाचन अधिकारी को पहले ही दी जा चुकी है, लेकिन इसके बावजूद संबंधित नवनिर्वाचित सदस्यों को प्रमाण पत्र की द्वितीय प्रति जारी नहीं की जा रही है। उन्होंने इसे लोकतांत्रिक प्रक्रिया के साथ खिलवाड़ बताते हुए कहा यह स्पष्ट है कि सुनियोजित तरीके से इन पंचायत प्रतिनिधियों को मताधिकार से वंचित करने की कोशिश की जा रही है, ताकि ब्लॉक प्रमुख चुनाव के नतीजों को प्रभावित किया जा सके। ठुकराल ने चेतावनी दी कि यदि प्रमाण पत्र जल्द जारी नहीं किए गए तो वे व्यापक आंदोलन करने को बाध्य होंगे। ठुकराल ने अविलंब सभी नवनिर्वाचित बीडीसी सदस्यों को प्रमाण पत्र उपलब्ध कराने की मांग की। वहीं किसान नेता तजिन्दर विर्क ने आरोप लगाया कि ब्लाक प्रमुख चुनाव में सत्ता पक्ष के लोग खुलेआम सत्ता का दुरूपयेाग कर रहे हैं। नवनिर्वाचित सदस्यों को डराया धमकाया जा रहा है या उन्हें खरीदा जा रहा हैं। खरीद फरोख्त का खेल पूरे जिले में चल रहा है। पंचायत चुनाव में लोक तंत्र की खुलेआम हत्या की जा रही है।
गदरपुर ब्लॉक के पांच बीडीसी सदस्यों के निर्वाचन प्रमाण पत्र जारी न होने का मामला हाई कोर्ट पहुंच गया। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने चुनाव अधिकारी को कड़ी फटकार लगाई और कहा कि यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया में गंभीर लापरवाही है। अदालत ने स्पष्ट निर्देश देते हुए आदेश दिया कि सभी निर्वाचित सदस्यों के प्रमाण पत्र आज शाम तक हर हाल में जारी किए जाएं। कोर्ट ने चेतावनी दी कि आदेश की अवहेलना पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। मामला सामने आने के बाद राजनीतिक हलकों में हलचल तेज हो गई है और प्रशासन पर दबाव बढ़ गया है।

