
जब प्रकृति रौद्र रूप धारण करती है, तब मानवता की असली परीक्षा होती है। उत्तराखंड के सीमांत क्षेत्र धारचूला में हाल ही में आई प्राकृतिक आपदा ने जहां जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया, वहीं एक बार फिर समाजसेवी संगठनों और संवेदनशील व्यक्तियों ने आगे आकर पीड़ितों की मदद कर मिसाल पेश की। उन्हीं में से एक नाम है मां कमला फाउंडेशन और उसके संस्थापक पंकज सिंह, जिन्होंने इस मुश्किल घड़ी में राहत सामग्री भेजकर अपने सामाजिक दायित्व को निभाया।धारचूला, जो कि उत्तराखंड का एक अत्यंत संवेदनशील और भौगोलिक दृष्टि से चुनौतीपूर्ण इलाका है, हाल ही में भारी वर्षा, भूस्खलन और बादल फटने जैसी घटनाओं से प्रभावित हुआ। कई गांवों का संपर्क मुख्य मार्गों से टूट गया। हालांकि प्रशासनिक सतर्कता के चलते जनहानि की कोई खबर नहीं आई, लेकिन सैकड़ों परिवारों को आवास, भोजन और आवश्यक वस्तुओं के संकट से गुजरना पड़ा।


संवाददाता,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स /उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)
समाजसेवा को धर्म मानने वाले पंकज सिंह ने न केवल हालात को समझा, बल्कि अत्यंत शीघ्रता से एक राहत दल गठित किया। मां कमला फाउंडेशन की ओर से तैयार की गई राहत किट्स में शामिल थीं:
- सूखा राशन (चावल, आटा, दाल, तेल, नमक आदि)
- दैनिक उपयोग की वस्तुएं (साबुन, सैनिटरी नैपकिन, टॉर्च, माचिस आदि)
- कंबल और तिरपाल
- प्राथमिक चिकित्सा किट
पंकज सिंह ने बताया, “यह एक छोटा सा प्रयास है। हम जनहानि से बचाव को ईश्वर की कृपा मानते हैं, लेकिन जिनका जीवन अस्त-व्यस्त हुआ है, उन्हें अकेला नहीं छोड़ सकते। आप सभी का स्नेह, प्यार और आशीर्वाद हमारे साथ बना रहे — यही हमारी ताकत है।”
पंकज सिंह की प्रेरणा उनकी स्वर्गीय माता कमला देवी रहीं, जिनके नाम पर फाउंडेशन की स्थापना की गई। फाउंडेशन शिक्षा, स्वास्थ्य और आपदा राहत के क्षेत्रों में कार्यरत है। पंकज सिंह मानते हैं कि समाज की सेवा ही सच्चा धर्म है। धारचूला राहत अभियान उनके लिए सेवा का नहीं, बल्कि उत्तराखंड की आत्मा से जुड़ने का कार्य था।
