हिंदू धर्म में भगवान शिव को त्रिदेवों में विनाशक के रूप में जाना जाता है, जो ब्रह्मांड की सृजन, पालन और संहार की प्रक्रिया में संतुलन बनाए रखते हैं। शिव भक्तों के लिए “ज्योतिर्लिंग” विशेष महत्व रखते हैं, जिन्हें स्वयं भगवान शिव का तेजस्वी और दिव्य रूप माना जाता है।


संवाददाता,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स /उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट
भारत में कुल 12 प्रमुख ज्योतिर्लिंग हैं, और हर एक का अपना इतिहास, महत्व और चमत्कारी प्रभाव है। लेकिन अक्सर एक सवाल हर शिवभक्त के मन में उठता है-इन सभी में सबसे शक्तिशाली ज्योतिर्लिंग कौन-सा है?
सबसे शक्तिशाली माना जाने वाला ज्योतिर्लिंग: महाकालेश्वर
अगर धार्मिक ग्रंथों, पुराणों और जनश्रुतियों की मानें, तो मध्यप्रदेश के उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग को सबसे शक्तिशाली और प्रभावशाली माना जाता है। यह एकमात्र ऐसा ज्योतिर्लिंग है जो ‘दक्षिणमुखी’ है, यानी इसका मुख दक्षिण दिशा की ओर है। तंत्रशास्त्र और वास्तुशास्त्र के अनुसार दक्षिण दिशा मृत्यु और पितृलोक की दिशा मानी जाती है, और यहीं से आत्मा को मोक्ष की राह मिलती है।महाकालेश्वर का उल्लेख शिव पुराण और स्कंद पुराण में विशेष रूप से किया गया है। ऐसा माना जाता है कि इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से ही मृत्युभय समाप्त हो जाता है और काल के प्रभाव से मुक्ति मिलती है। यही कारण है कि इसे “कालों के काल, महाकाल” कहा गया है।
महाकालेश्वर से जुड़ी रहस्यमयी कथा
पुराणों के अनुसार एक बार उज्जैन नगरी पर दुष्ट राक्षस दूषण ने आक्रमण कर दिया। उसके आतंक से त्रस्त होकर नगरवासी भगवान शिव से प्रार्थना करने लगे। तभी एक तेजोमय स्तंभ से शिव प्रकट हुए और राक्षस का संहार कर दिया। यहीं उन्होंने अपना रूप ‘महाकाल’ के रूप में स्थापित किया। तभी से यह स्थान ज्योतिर्लिंगों में प्रमुख और सबसे शक्तिशाली माना जाता है।
क्या अन्य ज्योतिर्लिंग कम शक्तिशाली हैं?
यह कहना उचित नहीं होगा कि बाकी ज्योतिर्लिंग कम शक्तिशाली हैं। हर ज्योतिर्लिंग की अपनी विशिष्टता और कृपा है। उदाहरण के तौर पर
काशी विश्वनाथ (वाराणसी): मोक्षदायिनी नगरी में स्थित यह ज्योतिर्लिंग मृत्यु के बाद मोक्ष प्रदान करता है।
सोमनाथ (गुजरात): यह पहला ज्योतिर्लिंग है और चंद्रमा द्वारा स्थापित किया गया था, जो चंद्रदोष को दूर करता है।
केदारनाथ (उत्तराखंड): तीव्र तप और योग की भूमि, जहां के दर्शन से पापों का क्षय होता है।
त्र्यंबकेश्वर (महाराष्ट्र): यहाँ ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों का एक साथ पूजन होता है, और यह स्थान कुंडली दोष, पितृदोष और कालसर्प दोष से मुक्ति दिलाने के लिए प्रसिद्ध है।
महाकालेश्वर की विशेष आरती और भस्म पूजा
महाकालेश्वर मंदिर में भस्म आरती सबसे प्रसिद्ध और दिव्य मानी जाती है। हर सुबह 4 बजे की जाने वाली इस आरती में शिवलिंग पर ताजे चिता की भस्म चढ़ाई जाती है। यह आरती शिव के संहारक रूप की प्रतीक है और केवल महाकाल मंदिर में ही यह परंपरा देखने को मिलती है। भक्त मानते हैं कि इस आरती के दर्शन मात्र से मृत्यु भय समाप्त हो जाता है और आत्मा को शक्ति व शांति मिलती है।
कौन-कौन करता है दर्शन?
हर साल लाखों श्रद्धालु देश-विदेश से महाकाल के दर्शन करने आते हैं। देश के कई प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, फिल्मी सितारे और खिलाड़ी भी यहां आकर आशीर्वाद लेते हैं। यह स्थान सिर्फ आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र नहीं बल्कि एक चमत्कारिक अनुभव का प्रतीक बन चुका है।
अपनी मनोकामना के अनुसार करें दर्शन
अगर आप किसी विशेष उद्देश्य, जैसे-रोग मुक्ति, धन प्राप्ति, विवाह, संतान सुख, या मोक्ष की कामना से ज्योतिर्लिंग दर्शन करना चाहते हैं, तो आप मनोकामना अनुसार इन स्थानों की यात्रा कर सकते हैं। लेकिन अगर आप अपने जीवन की समस्त बाधाओं का अंत और काल भय से मुक्ति चाहते हैं, तो महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का दर्शन अवश्य करें।
हर ज्योतिर्लिंग भगवान शिव का ही स्वरूप है, और सभी में समान रूप से उनकी शक्ति विद्यमान है। परंतु धर्मशास्त्रों और जनमान्यता के अनुसार, महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग को सबसे शक्तिशाली और प्रभावकारी माना गया है। इसके दर्शन मात्र से ही जीवन की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है, और आत्मा को उच्च स्तर की चेतना का अनुभव होता है। इसलिए, अगर आप शिवभक्ति की गहराई को महसूस करना चाहते हैं, तो एक बार उज्जैन के महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन अवश्य करें।

