जुलाई 2025 की टैक्स अवधि से जीएसटी नेटवर्क (GSTN) कुछ बड़े बदलाव करने जा रहा है। ये बदलाव कंपनियों के जीएसटी रिटर्न से संबंधित हैं। अगर आप कोई कंपनी चलाते हैं तो आपके लिए जीएसटी रिटर्न की प्रक्रिया में होने वाले इस बदलाव को जानना जरूरी है।

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खासकर ऐसे कारोबारियों के लिए जो इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) लेते हैं या लेना चाहते हैं।

तीन साल बाद नहीं कर सकेंगे रिटर्न फाइल

संवाददाता,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स /उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट

पहले बदलाव बड़ा बदलाव (upcoming GST updates) जीएसटी रिटर्न फाइल करने की अवधि से संबंधित है। जीएसटी रिटर्न से संबंधित तमाम तरह की फाइलिंग के लिए तीन साल की सीमा निर्धारित की गई है। यह बदलाव जुलाई 2025 की टैक्स अवधि से लागू होगा। जुलाई 2025 की टैक्स अवधि का मतलब अगस्त में होने वाली रिटर्न फाइलिंग से है।

जीएसटी में सप्लाई के लिए GSTR-1, टैक्स पेमेंट के लिए GSTR-3B, सालाना रिटर्न के लिए GSTR-9 समेत कई तरह की रिटर्न फाइल की जाती हैं। तीन साल की अवधि इन सभी रिटर्न पर लागू होगी।

जीएसटी नेटवर्क पिछले साल अक्टूबर से ही बिजनेस जगत को इस होने वाले बदलाव के बारे में बता रहा था, जिसे अब लागू किया जा रहा है। जीएसटी नेटवर्क का कहना है कि इस बदलाव का उद्देश्य सिस्टम को अधिक सक्षम बनाना, पुराने और अधूरे रिटर्न के बोझ को कम करना तथा सबको अधिक अनुशासित होने के लिए प्रेरित करना है।

तीन साल में रिटर्न नहीं फाइल किया तो क्या होगा

नए नियम में 3 साल के विंडो को बढ़ाने का प्रावधान नहीं है। अर्थात अगर आपने 3 साल की अवधि में रिटर्न फाइल नहीं किया तो आपके पास आगे उसे फाइल करने का कोई विकल्प नहीं होगा। अगर आप इनपुट टैक्स क्रेडिट लेना चाहते हैं तो रिटर्न फाइल न करने पर आपको उसका नुकसान हो सकता है। अपने इनपुट खरीदने पर जो टैक्स चुकाया है उसका क्रेडिट आपको नहीं मिलेगा।

GSTR-3B के ऑटो-पॉपुलेट आंकड़े बदले नहीं जा सकेंगे

GSTN ने एक और अहम बदलाव किया है और वह भी जुलाई 2025 की टैक्स अवधि (GST rules July 2025) से लागू होगा। टैक्स भुगतान से संबंधित फॉर्म संख्या GSTR-3B में जो आंकड़े ऑटो पापुलेट होते हैं, उन्हें बदला नहीं जा सकेगा। अभी तक यह एडिटेबल था अर्थात टैक्सपेयर इस फॉर्म में पहले से मौजूद आंकड़ों को बदल सकते थे।

हालांकि फाइलिंग में गलती सुधारने के लिए नया फॉर्म GSTR-1A लाया गया है। GSTR-1 (सप्लाई संबंधी) में भरी सूचना में अगर कोई संशोधन करना चाहता है तो वह GSTR-1A का प्रयोग कर सकता है। यह संशोधन GSTR-3B में ऑटो पापुलेट हो जाएगा।


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