हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स | विशेष क्राइम रिपोर्ट
रिपोर्टर: अवतार सिंह बिष्ट, रुद्रपुर


रुद्रपुर में खूनी रविवार: दुकान के विवाद में बहा पिता-पुत्र का खून, सलूजा बंधु सलाखों के पीछे… अब बचे हैं सिर्फ अफसोस और अदालतें
बीते रविवार की रात रुद्रपुर की सड़कों पर इंसानियत लहूलुहान पड़ी थी। घड़ी की सुई जब रात के दो बजे के करीब पहुंची, तब शहर की सबसे व्यस्त गल्ला मंडी की शांत दीवारें गोलियों की गूंज से दहल उठीं। ईश्वर कॉलोनी निवासी 62 वर्षीय गुरमेज सिंह और उनके बेटे 26 वर्षीय मनप्रीत सिंह को दुकान विवाद में गोलियों से छलनी कर दिया गया। और इस खून-खराबे की पटकथा रची गई थी नफरत, लालच और कब्जेदारी की उस काली राजनीति से, जो अब उत्तराखंड के मैदानी इलाकों की नियति बनती जा रही है।
लालच की आग में जली दो जिंदगियां, पांच भाई जेल में – कोई बचा नहीं…
हत्या के मुख्य आरोपी अवधेश सलूजा, उनके चारों भाई – दिनेश, चरणजीत, हेमंत और हरीश – सभी सलाखों के पीछे हैं। पुलिस ने बिना किसी दबाव के, साक्ष्यों के आधार पर इन पांचों को गिरफ्तार किया और अदालत ने बेल तक नहीं दी। आरोपी नंबर छह विशाल आनंद भी हिरासत में है। पुलिस का दावा है कि गोली अवधेश ने चलाई, तलवारें और डंडे बाकी लाए थे। और शायद यही वजह है कि कानून की पकड़ से कोई नहीं बच पाया।
पर कहानी यहीं खत्म नहीं होती। बिलासपुर निवासी हरदीप लाडी और दर्जनभर अन्य हमलावर अब भी फरार हैं। उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर दबिशें जारी हैं।
कहानी एक दुकान की, जिसकी कीमत 48 लाख नहीं बल्कि 5 करोड़ लगभग थी…
गुरमेज सिंह ने जिस दुकान को सलूजा बंधुओं से किराए पर लिया था, वही दुकान आर्थिक तंगी में फंसे अवधेश सलूजा ने गिरवी रख दी थी। जब बैंक ने दुकान नीलामी में रखी तो गुरमेज ने उसे केवल 48 लाख में खरीद लिया – वो भी ग्रामीण बैंक के कुछ कर्मियों की कथित मिलीभगत से। पर बाजार में उस दुकान की कीमत लगभग दो करोड़ और साथ लगते नजूल प्लॉट की कीमत 8 करोड़ आँकी गई थी।
यही वो ‘सुनहरी जमीन’ थी, जिसने खून का रंग ओढ़ लिया।
गैंगवार की दस्तक? – प्रॉपर्टी विवादों के चलते सुलग रहा है मैदानी उत्तराखंड
रुद्रपुर और ऊधम सिंह नगर जिले के हालात तेजी से बिगड़ते जा रहे हैं। शहर में सौ से अधिक बिचौलिए प्रॉपर्टी डीलर हैं, जिनके कारण हजारों लोग वर्षों से ठगे जा रहे हैं। कुछ डीलर तो ऐसे हैं जो कोर्ट और थाने की चौखट के बीच अपनी ‘साख’ बनाकर खुलेआम कब्जे, फर्जीवाड़े और सौदेबाज़ी में लगे हैं।
यह घटना कोई अपवाद नहीं, बल्कि एक चेतावनी है – अगर प्रशासन ने अब भी प्रॉपर्टी माफिया और कब्जा गिरोहों पर शिकंजा नहीं कसा, तो आने वाला दशक उत्तराखंड के मैदानी क्षेत्रों में गैंगवार और संगठित अपराध का दौर ला सकता है।
पुलिस की तेज़ी ने बचाई शहर की गरिमा – SSP मणिकांत मिश्रा की भूमिका सराहनीय
इस दोहरे हत्याकांड के बाद जिस तरह उधम सिंह नगर पुलिस ने 48 घंटे में मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार किया, अवैध हथियार बरामद किए और शेष आरोपियों की तलाश में लगातार दबिशें दे रही है – वो निश्चित तौर पर पुलिस के सार्थक और निष्पक्ष रवैये का प्रमाण है। SSP मणिकांत मिश्रा ने न केवल कानून व्यवस्था को संतुलित रखा, बल्कि संभावित साम्प्रदायिक तनाव को भी समय रहते नियंत्रित कर लिया।
न्याय की राह लंबी… पर अब कोई नहीं बचा, न कानून से, न अपनी अंतरात्मा से…
एक तरफ दुकान खोने का गम था, दूसरी तरफ कब्जा करने की सनक। परिणाम – दो लाशें, पांच आरोपी जेल में, दर्जनों परिवारों में डर और शहर में पसरा सन्नाटा। यह घटना रुद्रपुर की चेतावनी है, एक आने वाले भयावह भविष्य की झलक – जहां लालच, कानून से ऊपर खड़ा होने की सोच, और प्रॉपर्टी के झगड़े शहरों को बारूद का ढेर बना देंगे।
यह एक हत्या नहीं थी – यह उस सामाजिक नैतिकता की मौत थी जो ‘थोड़ा बहुत भी चलेगा’ की आदत में डूब चुकी है।
– हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स, रुद्रपुर विशेष क्राइम रिपोर्ट अवतार सिंह बिष्ट, उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी

