उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में जिला प्रशासन ने अवैध मोबाइल टावरों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है। मुख्यमंत्री के मार्गदर्शन में जिलाधिकारी सविन बसंल के नेतृत्व में प्रशासन ने जनता की शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए त्वरित कार्रवाई की है।

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विकासनगर तहसील के बहादुरपुर, सेलाकुई, राजावाला रोड और हरबर्टपुर के वार्ड नंबर 05 रामबाग में घनी आबादी के बीच बिना अनुमति के लगाए गए हाई-फ्रीक्वेंसी मोबाइल टावरों को सील कर दिया गया है। यह कार्रवाई न केवल नियमों का उल्लंघन करने वालों के लिए चेतावनी है, बल्कि जनता के बीच प्रशासन के प्रति विश्वास को भी मजबूत करती है।

संवाददाता,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स /उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट

नियमों की अनदेखी पर सख्ती

जिला प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि बिना अनुमति और बिना नक्शा पंजीकरण के कोई भी मोबाइल टावर स्थापित नहीं किया जा सकता। घनी आबादी वाले क्षेत्रों में हाई-फ्रीक्वेंसी टावरों से होने वाले रेडिएशन के खतरे को देखते हुए प्रशासन ने तुरंत एक्शन लिया। स्थानीय निवासियों ने शिकायत की थी कि इन टावरों से बुजुर्गों, बच्चों और महिलाओं के स्वास्थ्य पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है। प्रशासन ने इन शिकायतों को गंभीरता से लिया और अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) तथा ईडीएम को तत्काल कार्रवाई के निर्देश दिए। परिणामस्वरूप, अवैध टावरों को एक झटके में सील कर दिया गया।

जनभावनाओं का सम्मान, प्रशासन की प्राथमिकता

जिलाधिकारी सविन बसंल ने कहा, “हमारे जिले में जनभावनाओं के साथ खिलवाड़ नहीं होने दिया जाएगा। जनता की शिकायतों पर तुरंत कार्रवाई हमारी प्राथमिकता है।” प्रशासन का यह रुख जनहित में लिए गए कठोर निर्णयों को दर्शाता है। नियमों की अनदेखी करने वालों के खिलाफ “विध्वंस” की नीति अपनाई जा रही है, जिससे अवैध गतिविधियों पर अंकुश लग रहा है। इस कार्रवाई ने न केवल नियम तोड़ने वालों में खौफ पैदा किया है, बल्कि आम जनता में सरकार और प्रशासन के प्रति सकारात्मक माहौल भी बनाया है।

जनता में बढ़ा विश्वास

प्रशासन की इस त्वरित और प्रभावी कार्रवाई से देहरादून के निवासियों में सरकार के प्रति भरोसा बढ़ा है। लोग इस बात से संतुष्ट हैं कि उनकी शिकायतों को न केवल सुना जा रहा है, बल्कि उन पर तुरंत अमल भी किया जा रहा है। खासकर घनी आबादी वाले क्षेत्रों में रेडिएशन के खतरे को लेकर चिंतित निवासियों ने प्रशासन के इस कदम की सराहना की है। यह कार्रवाई न केवल स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि प्रशासन जनता की आवाज को सर्वोपरि मानता है।


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