
कुल 22 प्रस्तावों पर विचार किया गया और राज्य की जनता के लिए नई योजनाओं को मंजूरी दी गई।


नई आवास नीति का लाभ
सरकार ने उत्तराखंड की नई आवास नीति को मंजूरी देकर समाज के विभिन्न वर्गों को राहत देने का प्रयास किया है। EWS वर्ग के परिवारों को, जिनकी वार्षिक आय 5 लाख रुपये तक है, लाभ मिलेगा। LIG और MIG श्रेणियों के लिए भी सब्सिडी का प्रावधान किया गया है। पहाड़ी क्षेत्रों में पारंपरिक बाखली मकानों को पुनर्जीवित करने के लिए भी सब्सिडी दी जाएगी, जिससे स्थानीय वास्तुकला और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा।
बिजली उपभोक्ताओं को 50% छूट
कैबिनेट ने विद्युत उपभोक्ताओं को उनके बिलों पर 50 प्रतिशत छूट देने का निर्णय लिया है। हालांकि, यदि कोई उपभोक्ता इस योजना का दुरुपयोग करता है, तो उससे दोगुनी राशि वसूलने का प्रावधान किया गया है। यह कदम उपभोक्ताओं को राहत देने के साथ-साथ जिम्मेदारी से ऊर्जा उपयोग को भी प्रोत्साहित करेगा।
पेंशन और वेतन भत्तों में वृद्धि
30 जून को रिटायर होने वाले कर्मचारियों को पूरे वर्ष का पेंशनरी बेनिफिट देने के लिए नोशनल इनक्रीमेंट का निर्णय लिया गया है। इसके अलावा, वाहन चालकों के वर्दी भत्ते को 2400 रुपये से बढ़ाकर 3000 रुपये किया गया है, जिससे कर्मचारियों की वित्तीय स्थिति में सुधार होगा।
शिक्षा और खेल क्षेत्र में सुधार
शिक्षा विभाग में नाम परिवर्तन की प्रक्रिया को सरल बनाया गया है। उच्च शिक्षा के छात्रों और शिक्षकों के लिए भारत दर्शन योजना को मंजूरी दी गई है, जिसके तहत उन्हें भारत के प्रमुख संस्थानों का दौरा कराया जाएगा। खेल विश्वविद्यालय की स्थापना पर रोक को हटाते हुए इसे राज्यपाल की मंजूरी के लिए फिर से भेजा गया है।
ट्रांसजेंडर बोर्ड का गठन
राज्य सरकार ने ट्रांसजेंडर समुदाय के सशक्तिकरण के लिए प्रदेश ट्रांसजेंडर बोर्ड के गठन को मंजूरी दी है। इसके साथ ही, सयाला जाति को आधिकारिक मान्यता देने का निर्णय भी लिया गया है, जो समाज के सभी वर्गों को समान अधिकार और सम्मान प्रदान करने की दिशा में महत्वपूर्ण है।
परिवहन निगम के लिए नई बसें
परिवहन निगम के बेड़े में 100 नई बसें शामिल करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है। सरकार इन बसों के लिए ब्याज का भुगतान करेगी, जबकि मूलधन का भुगतान विभाग द्वारा किया जाएगा। यह कदम राज्य के परिवहन तंत्र को सुधारने में सहायक होगा।
अन्य महत्वपूर्ण निर्णय
कैबिनेट ने गौ सदन के निर्माण के लिए शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में अलग-अलग प्रावधान किए हैं। मानवाधिकार आयोग में विभाग अध्यक्ष को वित्तीय अधिकार दिए गए हैं। इसके अलावा, कृषि उत्पादों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) तय करने का अधिकार संबंधित विभाग को सौंपा गया है।
