संपादकीय:रुद्रपुर में सियासी तकरार से सकारात्मक तालमेल की ओर”✍️ अवतार सिंह बिष्ट | हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स, रुद्रपुर ( उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी

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रुद्रपुर की राजनीति लंबे समय से दो ध्रुवों के इर्द-गिर्द घूमती रही है—विधायक शिव अरोड़ा और महापौर विकास शर्मा। दोनों ही नेता अपने-अपने क्षेत्र में मजबूत पकड़ रखते हैं और जनता के बीच उनकी सक्रियता स्पष्ट दिखाई देती रही है। किंतु विगत कुछ वर्षों से उनकी आपसी खींचतान, नारियल फोड़ने और मिठाई बांटने जैसी प्रतीकात्मक घटनाओं के जरिए अक्सर सुर्खियों में रही। इंदिरा चौक, डमरू चौराहा से लेकर डीडी चौक तक सड़क चौड़ीकरण के मुद्दे हों या विकास योजनाओं की शुरुआत—कभी एक नेता पहल करते, तो दूसरे उसी कार्य का श्रेय लेने की होड़ में दिखाई देते। परिणामस्वरूप जनता में यह संदेश भी गया कि दोनों के बीच सहयोग की बजाय प्रतिस्पर्धा अधिक है।

लेकिन अब यह स्थिति बदलती दिख रही है। विधायक शिव अरोड़ा और महापौर विकास शर्मा ने मतभेदों को पीछे छोड़कर गठबंधन का रास्ता चुना है। यह सिर्फ दो नेताओं का मेल नहीं है, बल्कि रुद्रपुर की जनता के लिए एक सकारात्मक संदेश है। लोकतंत्र में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा आवश्यक है, परंतु विकास की प्राथमिकता के सामने व्यक्तिगत अहं और सियासी द्वंद्व हमेशा पीछे छूट जाना चाहिए।

जनता की अपेक्षा यह नहीं होती कि नेता किसने कितनी बार नारियल फोड़ा या मिठाई बांटी, बल्कि उनकी उम्मीदें होती हैं कि शहर की सड़कें बेहतर हों, ट्रैफिक की समस्या कम हो, जलभराव से निजात मिले और नागरिक सुविधाओं में वास्तविक सुधार हो। जब विधायक और महापौर एकजुट होकर काम करेंगे तो योजनाओं का क्रियान्वयन भी तेज़ होगा और पारदर्शिता भी बढ़ेगी।

इस गठबंधन को अवसर के रूप में देखा जाना चाहिए। अगर शिव अरोड़ा और विकास शर्मा मिलकर काम करेंगे तो रुद्रपुर स्मार्ट सिटी परियोजना से लेकर सड़क चौड़ीकरण, जल निकासी व्यवस्था और यातायात प्रबंधन जैसे बड़े मुद्दों पर ठोस परिणाम सामने आ सकते हैं। यही नहीं, यह तालमेल आने वाले समय में स्थानीय राजनीति की परिपक्वता का भी उदाहरण बनेगा।

संपादकीय दृष्टि से कहा जाए तो रुद्रपुर की जनता ने बार-बार यह संकेत दिया है कि उन्हें केवल नारियल और मिठाई की राजनीति नहीं चाहिए, बल्कि ठोस विकास चाहिए। विधायक और महापौर का यह गठबंधन तभी सार्थक होगा जब यह व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं से ऊपर उठकर केवल जनता की भलाई पर केंद्रित होगा। यदि यह संकल्प वास्तविकता में बदला, तो आने वाले वर्षों में रुद्रपुर को उत्तराखंड का सबसे तेज़ी से विकसित होता शहर बनाने में कोई संदेह नहीं रहेगा।



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