
यही नहीं, देश को वर्ष 2040 तक विमानन रखरखाव के लिए लगभग 45,000 टेक्नीशियन की आवश्यकता होगी। उत्तर क्षेत्रीय राज्यों के नागरिक उड्डयन मंत्रियों के सम्मेलन में राज्यों के लिए अवसर विषय पर हुए सत्र में केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय के संयुक्त सचिव मधुसूदन शंकर ने यह बातें कहीं।


संवाददाता,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स /उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट
केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री किंजिरापु राममोहन नायडू की उपस्थिति में हुए सत्र में संयुक्त सचिव मधुसूदन शंकर ने कहा कि हवाई कनेक्टिविटी के संचालन के लिए आवश्यकतानुसार मानव संसाधन भी होना चाहिए। पायलट, तकनीशियन, ग्राउंड स्टाफ से लेकर एयर ट्रेफिक कंट्रोल तक हर स्तर पर मानव संसाधन की जरूरत है। इस सबके दृष्टिगत राज्यों को अपने यहां प्रशिक्षण संस्थान खोलने होंगे।
हवाई कनेक्टिविटी को सशक्त कर रही उडान योजना
नागरिक उड्डयन मंत्रालय के संयुक्त सचिव असांगबा चुबा ने उडान योजना पर रोशनी डालते हुए कहा कि इसके माध्यम से राज्यों में हवाई कनेक्टिविटी को सशक्त किया जा रहा है। साथ ही नए मार्गों पर हवाई सेवाओं के संचालन के लिए नई संभावनाएं तलाशी जा रही हैं।
देश में इस योजना के तहत 600 आरसीएस रूट कनेक्ट किए जा चुके हैं। योजना में अब तक 1.53 करोड़ से अधिक यात्री लाभ उठा चुके हैं। अगले 10 साल में चार करोड़ यात्रियों को हवाई सेवा का लाभ देने के लिए संशोधित उडान योजना शुरू की जाएगी। इसके माध्यम से 120 गंतव्य आपस में जोड़े जाएंगे।
ड्रोन स्टार्टअप को बढ़ावा दें राज्य
ड्रोन फेडरेशन आफ इंडिया के अध्यक्ष स्मित शाह ने कहा कि ड्रोन के लिए विशेष लांचपैड बनाने की दिशा में राज्यों को आगे आना चाहिए। साथ ही राज्यों को अपने यहां ड्रोन नीति और ड्रोन स्टार्टअप को बढ़ावा देना चाहिए।
उन्होंने बताया कि देश में अभी तक 33,000 से अधिक ड्रोन पंजीकृत किए जा चुके हैं, जबकि 24,000 से अधिक ड्रोन पायलट प्रमाणित किए जा चुके हैं। इसके अलावा 120 ड्रोन माडल टाइप सर्टिफिकेशन प्रदेान किए गए हैं और 178 ड्रोन स्कूलों को स्वीकृति दी गई है।
दुर्गम क्षेत्रों में चिकित्सा सेवा के लिए संजीवनी
नागरिक उड्डयन मंत्रालय में हेलीकाप्टर इमरजेंसी मेडिकल सर्विस के निदेशक शंखेश मेहता ने कहा कि मेडिकल हेली सेवा के दृष्टिगत प्रोजेक्ट संजीवनी शुरू किया गया है। उत्तराखंड में भी यह सेवा चल रही है।
इसका उद्देश्य दुर्गम क्षेत्रों में चिकित्सा सेवा पहुंचाना है। इस सेवा के माध्यम से अभी तक 65 से अधिक सफल राहत व बचाव अभियान पूरे किए जा चुके हैं। अन्य राज्यों को भी इस क्षेत्र में आगे आना चाहिए।
एयरपोर्ट निर्माण में तकनीकी मानकों को प्राथमिकता
एयरपोर्ट अथारिटी आफ इंडिया के कार्यकारी निदेशक सुजाय राय ने हवाई अड्डों के के विकास माडल पर जानकारी दी। उन्होंने कहा कि किसी भी नए एयरपोर्ट के निर्माण में कई तकनीकी और पर्यावरणीय मानकों को प्राथमिकता दी जाती है।
इसमें हवा की दिशा, आसपास का भौगोलिक परिदृश्य, फ्री एयर स्पेस, पर्यावरणीय आकलन जैसे मानकों को ध्यान में रखा जाता है। पवन हंस लिमिटेड के महाप्रबंधक पीके मरकन ने कहा कि राज्यों में स्थायी हेलीपैड का निर्माण जरूरी है। इससे अधिकाधिक हेलीकाप्टर संचालन की संभावना भी बढ़ जाती है।

