ऐसे दिखाया जा रहा है जैसे भारत में FDI का गिरना मतलब मोदी सरकार की नीतियों में बड़ी गड़बड़ी है जिसके कारण विदेशी कंपनियाँ अब विश्वास नहीं कर रहीं। हालाँकि सच क्या है आइए जानें…

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कॉन्ग्रेस पार्टी और भारत के कई मीडिया संस्थानों ने शुक्रवार, (23 मई 2025) को देश में फॉरेन डायरेक्ट इनवेस्टमेंट (FDI) में आई ‘भारी’ गिरावट को लेकर रिपोर्ट्स की। इन रिपोर्टों में उन्होंने ऐसे दिखाया जैसे भारत में FDI का गिरना मतलब मोदी सरकार की नीतियों में बड़ी गड़बड़ी है जिसके कारण विदेशी कंपनियाँ अब विश्वास नहीं कर रहीं।

कॉन्ग्रेस की केरल इकाई ने मौके का फायदा उठाते हुए इस पर प्रतिक्रिया दी। एक ट्वीट में उन्होंने कहा, “भारत में विदेशी निवेशकों और देश के भीतर भारतीय निवेशकों के भरोसे में गिरावट एक गंभीर तस्वीर पेश करती है। सभी ने भारत से उम्मीदें छोड़ दी हैं, यह 11 वर्षों की विभाजनकारी राजनीति और अविवेकपूर्ण नीति निर्माण का नतीजा है।”

कॉन्ग्रेस के केरल हैंडल द्वारा किए गए ट्वीट का स्क्रीनशॉट

वामपंथी प्रचार आउटलेट ‘द वायर’ से जुड़ी पत्रकार सीमा चिश्ती ने आरोप लगाया कि भारत का शुद्ध प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) 96.5% की भारी गिरावट के साथ रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुँच गया है।


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