एक राष्ट्र, एक चुनाव’ विधेयक पर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की बैठक 30 जुलाई को होने वाली है, जिसमें जाने-माने अर्थशास्त्री एनके सिंह पैनल के सामने अपनी राय रखेंगे.

Spread the love

एनके सिंह पूर्व राज्यसभा सदस्य, भारत के 15वें वित्त आयोग के अध्यक्ष, योजना आयोग के पूर्व सदस्य, पूर्व राजस्व सचिव और पूर्व प्रधानमंत्री के सचिव रह चुके हैं.✍️ अवतार सिंह बिष्ट |हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स रुद्रपुर (उत्तराखंड) उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी

गवाही के दौरान, अशोका विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र की प्रोफेसर और आइज़ैक सेंटर फॉर पब्लिक पॉलिसी की प्रमुख एवं निदेशक डॉ. प्राची मिश्रा उनकी सहायता करेंगी. इससे पहले, जेपीसी की बैठक 11 जुलाई को हुई थी और इसमें भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीशों, न्यायमूर्ति जेएस खेहर और न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ सहित कानूनी विशेषज्ञों के साथ बातचीत हुई थी.

राष्ट्र निर्माण में योगदान देने का अवसर

बैठक के बाद, समिति के अध्यक्ष पीपी चौधरी ने इस पहल को पैनल के लिए राष्ट्र निर्माण में योगदान देने का एक सुनहरा अवसर बताया था, जहां सभी सदस्य मज़बूत कानून तैयार करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. आज ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के लिए एक बैठक हुई. पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति खेहर और न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ हमारे सामने उपस्थित थे और हमने बातचीत की.

चौधरी ने बताया कि राष्ट्र निर्माण के लिए इस समिति के लिए यह एक सुनहरा अवसर है. समिति के सभी सदस्य दलगत राजनीति से ऊपर हैं और एक अच्छा ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ विधेयक तैयार करने पर केंद्रित हैं. उन्होंने यह भी कहा कि समिति के सदस्य और विशेषज्ञ दोनों इस पहल के महत्व पर सहमत हैं.

बैठक में उपस्थित सदस्य

मुख्य न्यायाधीशों के अलावा, पैनल ने पूर्व सांसद और कानून एवं न्याय पर संसदीय स्थायी समिति के पूर्व अध्यक्ष ई एम एस नचियप्पन के विचार सुने. पिछली बैठक में उपस्थित सदस्यों में प्रियंका गांधी वाड्रा, मनीष तिवारी, रणदीप सिंह सुरजेवाला, भुवनेश्वर कलिता, साकेत गोखले, शांभवी चौधरी और भर्तृहरि महताब शामिल थे. मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए, चौधरी ने कहा कि पैनल न्यायाधीशों से परामर्श कर रहा था क्योंकि वे संवैधानिक विशेषज्ञ हैं.

‘वन नेशन, वन इलेक्शन’

निष्पक्ष हैं और पूरी तरह से कानूनी ढांचे से संबंधित हैं. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सांसद पीपी चौधरी ने कहा कि समिति यह सुनिश्चित करने के लिए संभावित संशोधनों की जांच कर रही है कि विधेयक न्यायिक जांच का खड़ा हो और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ के दृष्टिकोण को लागू करने की सुविधा प्रदान करे.

जेपीसी प्रमुख ने पैनल के पांच राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश के दौरे पर भी चर्चा की, और कहा कि उन्हें बहुमूल्य इनपुट मिले हैं. उन्होंने कहा कि कई राजनीतिक नेताओं, नागरिक समाज के सदस्यों और अधिकारियों ने प्रस्ताव का समर्थन किया. जेपीसी वर्तमान में संविधान (129वां संशोधन) विधेयक, 2024 और केंद्र शासित प्रदेश कानून (संशोधन) विधेयक, 2024 की जांच कर रही है.

समिति की सिफारिशों को किया स्वीकार

ये विधेयक एक साथ चुनावों को सक्षम करने के लिए लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव चक्रों को संरेखित करने का प्रस्ताव करते हैं, सितंबर 2024 में, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक साथ चुनावों पर उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया था.

एक मतदाता सूची और एक पहचान पत्र

समिति ने एक साथ चुनाव कराने के लिए दो-चरणीय दृष्टिकोण की सिफ़ारिश की थी. उसने कहा कि पहले चरण में, लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जाएंगे. उसने कहा कि दूसरे चरण में, नगर पालिकाओं और पंचायतों के चुनाव लोकसभा और विधानसभाओं के साथ इस तरह से कराए जाएंगे कि ये चुनाव लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनावों के सौ दिनों के भीतर हों.

समिति ने यह भी सिफ़ारिश की थी कि सरकार के तीनों स्तरों के चुनावों में इस्तेमाल के लिए एक ही मतदाता सूची और मतदाता फोटो पहचान पत्र (ईपीआईसी) होने चाहिए. समिति ने कहा था कि उसकी सिफ़ारिशों से पारदर्शिता, समावेशिता, सुगमता और मतदाताओं का विश्वास काफ़ी बढ़ेगा.


Spread the love