जनसेवा की जीती-जागती मिशाल: लक्ष्मी भट्ट”बाल अधिकारों और किशोर न्याय की दिशा में लक्ष्मी भट्ट का योगदान अविस्मरणीय

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जनसेवा की जीती-जागती मिशाल: लक्ष्मी भट्ट”
जब इतिहास उत्तराखंड के समाज निर्माण की कथा लिखेगा, तब कुछ नाम विशेष स्याही में नहीं, बल्कि जनता के विश्वास और संघर्ष की भावना में दर्ज होंगे। उन्हीं नामों में एक उज्ज्वल और प्रेरणास्पद नाम है – लक्ष्मी भट्ट

शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/संपादक उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)संवाददाता

पिथौरागढ़ की धरती पर जन्मी, और जनसेवा को जीवन का उद्देश्य बनाकर चलने वाली लक्ष्मी भट्ट ने सामाजिक सरोकारों में जो भूमिका निभाई है, वह किसी सरकारी उपाधि से कहीं बड़ी है। हाल ही में उन्हें बाल कल्याण समिति पिथौरागढ़ का सदस्य बनाए जाने की घोषणा हुई, साथ ही डीडीहाट की गीता चुफाल को भी समिति में स्थान दिया गया है। दोनों महिलाओं ने बाल कल्याण और किशोर न्याय के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य किए हैं, परंतु लक्ष्मी भट्ट का योगदान विशिष्ट रहा है।

राज्य बना लेना अंतिम लक्ष्य नहीं था, उसे जन-जन के लिए समर्पित करना ही असली उत्तराखंड निर्माण है।” – लक्ष्मी भट्ट

संघर्ष की शुरुआत

लक्ष्मी भट्ट का नाम उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलन से गहराई से जुड़ा हुआ है। उन्होंने न सिर्फ उस ऐतिहासिक आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाई, बल्कि आंदोलनकारी महिलाओं की शक्ति और आत्मबल की प्रतीक बनकर उभरीं। राज्य बनने के बाद भी, वह कभी सत्ता की चकाचौंध में नहीं भटकीं, बल्कि गांव, गरीब और पीड़ित वर्ग के लिए लगातार काम करती रहीं।

उन्होंने महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण हेतु सिलाई प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना की, जिससे कई ग्रामीण महिलाएं आज आत्मनिर्भर बन चुकी हैं।

एक नाबालिग लड़की को घरेलू हिंसा के कारण पढ़ाई छोड़नी पड़ी थी। लक्ष्मी भट्ट ने प्रशासन से मिलकर न केवल पीड़िता को संरक्षण दिलाया, बल्कि उसे पुनः स्कूल में दाखिला दिलवाया और NGO की मदद से उसके लिए छात्रवृत्ति भी सुनिश्चित कराई।

पिथौरागढ़ बाजार में चाय दुकानों पर बाल श्रमिकों के काम करने की जानकारी मिलने पर लक्ष्मी भट्ट ने स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर रेस्क्यू अभियान चलाया। कई बच्चों को मुक्त कर उनके पुनर्वास की व्यवस्था की गई।

सम्मान और स्वीकृति

उनकी निस्वार्थ सेवा और नेतृत्व क्षमता को देखते हुए उन्हें उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी परिषद द्वारा स्वर्गीय इंद्रमणि बडोनी स्मृति उत्तराखंड रत्न गौरव सम्मान से सम्मानित किया गया। यह सम्मान रुद्रपुर में आयोजित एक विशेष समारोह में उन्हें दिया गया, जहाँ राज्यभर के आंदोलनकारियों ने सर्वसम्मति से उनके प्रति अपनी श्रद्धा और सम्मान प्रकट किया।

बाल अधिकारों की सजग प्रहरी

बाल अधिकारों और किशोर न्याय की दिशा में लक्ष्मी भट्ट का योगदान अविस्मरणीय है। उन्होंने अनगिनत ऐसे मामलों में हस्तक्षेप किया जहाँ बच्चों के साथ अन्याय हो रहा था — चाहे वह बाल विवाह हो, शोषण हो या शिक्षा से वंचित रखने का मामला। उनका मानना है कि “यदि हम बच्चों को न्याय नहीं दिला पाए, तो आने वाली पीढ़ी की नींव ही कमजोर हो जाएगी।

समाज का उन्हें सलाम

उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी परिषद, श्रमजीवी पत्रकार यूनियन, और अन्य सामाजिक संगठन लक्ष्मी भट्ट के नामांकन पर गर्व करते हैं। उनकी सादगी, दूरदर्शिता और सेवा भाव से प्रेरणा लेने वालों की संख्या हर दिन बढ़ रही है। सोशल मीडिया से लेकर जनसभाओं तक, लोग इस फैसले का स्वागत कर रहे हैं।

एक प्रेरणादायी व्यक्तित्व

लक्ष्मी भट्ट सिर्फ एक नाम नहीं, बल्कि एक विचारधारा हैं — जनहित में समर्पण, और हर वंचित के लिए न्याय की लड़ाई। उनका जीवन सरल है, लेकिन उद्देश्य अडिग। न किसी प्रचार की लालसा, न किसी पद की भूख — उनके लिए सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है।


लक्ष्मी भट्ट जैसे व्यक्तित्व आज के दौर में विरले हैं। उनके सामाजिक कार्य, उनकी संघर्षशीलता, और उनकी निष्ठा एक प्रेरणा है — न सिर्फ महिलाओं के लिए, बल्कि उन सभी युवाओं के लिए जो उत्तराखंड को एक बेहतर समाज बनाना चाहते हैं।



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