
रुटे ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि चीनी सेना ताइवान पर हमला करती है और रूस नाटो सदस्य देशों को निशाना बनाता है, तो यह स्थिति दुनिया को भयंकर तबाही की ओर ले जा सकती है।


रुटे ने आशंका जताई कि अगर चीन ताइवान पर हमला करता है, तो वह रूस को नाटो देशों पर हमला करने के लिए उकसा सकता है। इस रणनीति के ज़रिए पश्चिमी देशों का ध्यान ताइवान से हटकर यूरोप की ओर चला जाएगा, जिससे चीन को प्रशांत क्षेत्र में अपनी स्थिति मजबूत करने का अवसर मिल सकता है। उनका कहना है कि यह स्थिति बेहद खतरनाक हो सकती है, क्योंकि यदि चीन और रूस एक साथ आक्रामक कदम उठाते हैं, तो इससे परमाणु युद्ध की आशंका भी बढ़ सकती है।
पश्चिमी देशों को बढ़ानी चाहिए सैन्य क्षमता
रुटे ने यह भी कहा कि पश्चिमी देशों को अपनी सैन्य क्षमता बढ़ानी चाहिए ताकि चीन की आक्रामक मंशा को रोका जा सके और रूस को यूरोप में हमला करने से पहले ही रोक दिया जाए। उन्होंने स्पष्ट किया कि चीन ताइवान पर हमला करने से पहले रूस से संपर्क करेगा और उसे यूरोप में हमला करने के लिए प्रेरित करेगा, जिससे पश्चिम को एशिया से भटका कर यूरोप में उलझाया जा सके।
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2027 तक ताइवान पर हमला कर सकता है चीन
रुटे के बयान में चीन और रूस के बीच संभावित सांठगांठ की बात कही गई है। दरअसल, अमेरिका और ताइवान के अधिकारियों का अनुमान है कि चीन 2027 तक ताइवान पर हमला कर सकता है। चीन की सेना ताइवान के आसपास लगातार सैन्य अभ्यास कर रही है और चीनी नेतृत्व कई बार यह स्पष्ट कर चुका है कि ताइवान को वह अपने क्षेत्र का हिस्सा मानता है।
इसी को लेकर रुटे ने कहा, ‘हमें पता है कि चीन की नजर ताइवान पर है। यदि नाटो अपनी सैन्य क्षमता को मजबूत नहीं करता है, तो रूस यूरोप पर हमला करने की हिम्मत कर सकता है। यह वक्त की ज़रूरत है कि नाटो अपनी सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत करे।’
रूस की प्रतिक्रिया
वहीं, रूस के पूर्व राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव ने रुटे की बातों को खारिज करते हुए उन्हें बेकार और हास्यास्पद बताया। उन्होंने तंज कसते हुए कहा, ‘लगता है रुटे ने ज़्यादा मशरूम खा लिए हैं।’ मेदवेदेव ने रुटे के बयान को पूरी तरह काल्पनिक बताया और कहा कि इसमें कोई ठोस तथ्य नहीं है। उनका कहना था कि यह बयान पश्चिमी मीडिया की बनाई हुई एक और सनसनी है, और रुटे को अपनी सोच पर फिर से विचार करना चाहिए।

