देश के कई हिस्सों में पंचायत चुनाव जाति संघर्ष और विवादों की खबरों से भरे होते हैं। उत्तराखंड में तस्वीर इसके उलट है। यहां चुनाव समर्पण, समझदारी और सौहार्द से लोकतंत्र की जड़ें मजबूत कर रहे हैं।

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सेना और पुलिस का नेतृत्व कर चुके अफसर गांव की कमान संभालने को तैयार हैं। विमला गुंज्याल भारत-चीन सीमा के पहले गांव गुंजी की पहली ऐसी प्रधान हो सकती हैं जो सेवानिवृत्त आईपीएस हैं। सेना से रिटायर कर्नल यशपाल सिंह नेगी पहले किसान बने, अब प्रधान बनकर नया उदाहरण पेश करने जा रहे हैं। टिहरी के सजवाण गांव ने तीसरी बार जातिवाद को पटखनी दी है। सामान्य सीट के इस गांव ने अपना मुखिया एससी समुदाय से बनाने का फैसला लिया है।

संवाददाता,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स /उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट

सोच: आईपीएस से प्रधान बनने की संभावना, गांव में मंथन जारी

सीमांत क्षेत्र गुंजी गांव में इस बार ग्राम प्रधान चुनाव चर्चा में है क्योंकि यहां से सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी विमला गुंज्याल ने प्रधान पद के लिए नामांकन पत्र खरीदा है। अगर ग्रामीण सहमति बनाते हैं तो वह राज्य की पहली पूर्व महिला आईपीएस प्रधान बन सकती हैं। शुक्रवार को गांव में इस पर तीन घंटे से अधिक चर्चा हुई, लेकिन सभी की सहमति न बन पाने के कारण निर्णय टल गया। हालांकि अधिकतर ग्रामीण विमला को प्रधान पद के लिए समर्थन दे रहे हैं। सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी विमला ने शुक्रवार को मीडिया से दूरी बनाए रखी। शनिवार यानी आज नामांकन प्रक्रिया का आखिरी दिन बचा है। ऐसे में गुंजी में ग्राम प्रधान पद को लेकर चल रही अटकलें काफी हद तक दूर हो जाएंगी।

सेवा: कर्नल से किसान और अब ग्राम प्रधान

भारतीय सेना से कर्नल के पद से रिटायर हुए यशपाल सिंह नेगी को बीरोंखाल ब्लॉक की बिरगण पंचायत के ग्रामीणों ने निर्विरोध ग्राम प्रधान चुनने का फैसला लिया है। यशपाल ने शुक्रवार को बीरोंखाल ब्लॉक मुख्यालय पहुंचकर ग्राम प्रधान के लिए अपना नामांकन भी दाखिल कर दिया। नामांकन दाखिल करने के बाद उन्होंने कहा कि महिलाओं को सशक्त बनाना, युवाओं को नशे से दूर रखना और हर हाथ को काम देना उनकी प्राथमिकता है। 2020 में सेना से रिटायर होने के बाद कर्नल यशपाल ने अपने गांव में करीब 30 नाली ज़मीन पर पारंपरिक खेती की शुरुआत की। इसके बाद ही बिरगण में रिवर्स पलायन की शुरुआत हुई। गांव के अन्य लोग, जो विभिन्न सेवाओं से रिटायर हुए, उन्होंने भी अपने खेतों को आबाद करना शुरू किया है।

सौहार्द: जाति से ऊपर उठकर योग्य को चुना

सजवाण कांडा ग्राम पंचायत ने लगातार तीसरी बार ऐसा निर्णय लिया है, जो पूरे उत्तराखंड के लिए प्रेरणा बन सकता है। यहां ग्राम प्रधान की सीट अनारक्षित होने के बावजूद इस बार भी अनुसूचित जाति समुदाय से सेवा निवृत्त तहसीलदार गंभीर सिंह को निर्विरोध प्रधान चुना गया। ग्राम पंचायत में 65% ठाकुर मतदाता होने के बावजूद लगातार एससी समुदाय से ग्राम प्रधान चुना जाना समाज में समरसता और विवेकशीलता का प्रतीक बन गया है। इससे पहले वीरपाल और भूमदेई भी प्रधान रह चुके हैं। ग्रामीणों ने कहा-हम जाति नहीं, योग्यता और शिक्षा को चुनते हैं।


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