पोकलेन की हिंसा नहीं, इंसाफ की आवाज चाहिए – सतपुली की सड़क पर बहा मानवता का खून” लेखक: अवतार सिंह बिष्ट, संपादक – हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स

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उत्तराखंड की शांत वादियों में बसे पौड़ी जनपद के सतपुली क्षेत्र में एक ऐसी हृदयविदारक घटना घटी, जिसने सभ्य समाज की आत्मा को झकझोर दिया। एक मामूली सी कहासुनी के बाद एक पोकलेन ऑपरेटर ने मशीन को हथियार बना लिया और एक निर्दोष युवक – सुमन देवरानी – की निर्मम हत्या कर दी। यह घटना महज एक हत्या नहीं, बल्कि कानून, संवेदना और मानवीयता के मुंह पर करारा तमाचा है।सड़क निर्माण हो, विकास का कार्य हो या मशीनों का संचालन – यह सब मनुष्यता की सेवा में होता है, ना कि उसे रौंदने के लिए। पर जब एक ऑपरेटर – जो खुद एक मेहनतकश मजदूर वर्ग का हिस्सा है – मशीन को मानव जीवन के विरुद्ध इस्तेमाल करता है, तो सवाल उठता है कि हमने तकनीक के हाथों में इंसानियत को क्यों गिरवी रख दिया?

हत्या नहीं, यह एक प्रतीकात्मक ‘रोडरेज’ है – जो सिस्टम की असंवेदनशीलता का नतीजा है।

सुमन देवरानी, एक युवा फोटोग्राफर, जो शायद रातभर की थकावट के बाद घर लौट रहा था, उसने बस इतना कहा कि “भाई, रात में मत चलाओ मशीन, खतरा हो सकता है।” जवाब में मशीन ऑपरेटर प्रवीन सिंह ने उसे जान से मार दिया। यह क्या केवल गुस्से का विस्फोट था या इसके पीछे कोई सुनियोजित साजिश छिपी है?

इसका जवाब तब मिलेगा जब पुलिस उन दोनों युवकों को ढूंढ निकाले जो घटना के समय मौके पर मौजूद थे – खासकर रजनीश जुयाल, जिसने न सिर्फ पुलिस को सूचना दी, बल्कि संदिग्ध रूप से खुद भी लापता हो गया। सवाल यह भी है कि सूचना केवल पुलिस को क्यों दी गई, परिजनों को क्यों नहीं?

देवरानी की मां रेखा देवी के सवाल बहुत साधारण नहीं हैं –

  • जुयाल ने देवरानी को जबरन क्यों सतपुली की ओर मोड़ा?
  • घटना के तुरंत बाद फोन बंद किसने किया?
  • आखिर वे युवक छिप क्यों रहे हैं?

यह केवल “एक मशीन से कुचले गए फोटोग्राफर” की कहानी नहीं है –

यह एक ऐसे समाज की कहानी है जो अब संवेदनहीन होते सिस्टम और ठेकेदारी संस्कृति के नीचे कुचला जा रहा है।

एनएच 534 के चौड़ीकरण में लगे पोकलेन ऑपरेटर प्रवीन सिंह का व्यवहार केवल हिंसात्मक नहीं था, बल्कि पूर्णतः क्रूर और पशुवत था। उसे तुरंत गिरफ्तार कर हत्या के लिए कठोरतम सजा दी जानी चाहिए। साथ ही, काम के दौरान नियमों का पालन न करने वाले ठेकेदारों और पर्यवेक्षकों की भूमिका की भी जांच होनी चाहिए। रात में भारी मशीन चलाना किस आदेश के तहत किया जा रहा था?

कांग्रेस का जाम लगाना जनभावना का प्रतीक है, लेकिन यह तब तक अधूरा है जब तक:

  1. आरोपी प्रवीन सिंह गिरफ्तार नहीं होता,
  2. दोनों गवाहों को सार्वजनिक नहीं किया जाता,
  3. सड़क निर्माण एजेंसी की जिम्मेदारी तय नहीं होती।

अब हमलावर को उसी की भाषा में जवाब – एक प्रतिकल्पना के रूप में:

**”सुन प्रवीन सिंह!

तुझे मशीन दी गई थी सड़क बनाने के लिए, किसी की जिंदगी मिटाने के लिए नहीं। तूने जो किया वो एक कत्ल है – वो भी खुलेआम।अगर तुझे लगता है कि मशीन की ताकत तुझे कानून से ऊपर बना देगी, तो सुन ले – अब वही कानून तेरी जड़ों तक पहुंचेगा। जिस तरह तूने मशीन घुमाई, उसी तरह जनता का गुस्सा घूमेगा। अब तेरा चेहरा कानून के हर पोस्टर पर होगा, तेरे खिलाफ हर मंच से आवाज उठेगी।तू सोचता है कि मौके के चश्मदीद लापता हो गए तो तू बच जाएगा? नहीं! ये उत्तराखंड है – यहाँ सच्चाई देर से सही, लेकिन बाहर जरूर आती है।अब पोकलेन नहीं, तुझ पर कानून चलेगा। तेरा ऑपरेटर कैबिन अब तेरा जेल का बैरक बनेगा।और याद रख – देवरानी की तस्वीरें अब किसी एलबम में नहीं, बल्कि हर न्याय की लड़ाई में दिखाई देंगी।”**


यह घटना सिर्फ एक परिवार का शोक नहीं, पूरे उत्तराखंड का शोक है। यह आवाज सिर्फ सतपुली की नहीं, हर उस आवाज की है जो सत्ता, ठेके और तकनीक के आतंक के बीच कुचली जा रही है। हम चाहते हैं –

  • न्याय,
  • पारदर्शिता,
  • और एक स्पष्ट संदेश:
    कोई मशीन किसी मासूम को कुचल नहीं सकती जब तक इंसानियत ज़िंदा है।

🕯️ सुमन देवरानी को श्रद्धांजलि।

संवाददाता,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स /उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट


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