
✍️ अवतार सिंह बिष्ट | हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स


देहरादून नगर निगम ने मलिन बस्ती अधिनियम 2016 के तहत बड़ी कार्रवाई की तैयारी शुरू कर दी है। 11 मार्च 2016 के बाद बने सभी निर्माण अवैध घोषित कर दिए गए हैं। इस सख्ती के बाद अब इसकी गूंज रुद्रपुर, उधम सिंह नगर और हरिद्वार तक पहुंच रही है, जहां नगर निगम और विकास प्राधिकरण भी इसी पैटर्न पर अवैध बस्तियों पर कार्रवाई की तैयारी कर रहे हैं।
नदी-नालों के किनारे खतरे का जाल
रुद्रपुर में कल्याणी नदी, धौरा नदी और नाले किनारे, उधम सिंह नगर के कस्बों में तथा हरिद्वार में गंगा और उसकी सहायक धाराओं के किनारे लगातार बस्तियां फैलती जा रही हैं। इन बस्तियों में अधिकांश निर्माण न तो नियमानुसार हैं और न ही सुरक्षित। बारिश के मौसम में जलभराव और बाढ़ जैसी स्थिति खड़ी होती है, वहीं सीवेज और गंदगी सीधे नदियों में गिरकर पर्यावरण और जनस्वास्थ्य दोनों को प्रभावित कर रही है।
एनजीटी और हाईकोर्ट के सख्त निर्देशों के बाद प्रशासन अब ढील देने के मूड में नहीं है। यही कारण है कि जैसे देहरादून में रिस्पना नदी किनारे अवैध निर्माण चिन्हित किए जा रहे हैं, वैसे ही रुद्रपुर और हरिद्वार में भी सर्वे टीमों को सक्रिय किया गया है।
बिजली-पानी कनेक्शन पर होगी जांच
नगर निगम की टीमें ऊर्जा निगम और जल संस्थान के साथ मिलकर 2016 के बाद लिए गए बिजली और पानी के कनेक्शन की जांच करेंगी। यदि पाया गया कि अवैध भवनों ने सरकारी सुविधाएं प्राप्त की हैं, तो न केवल कनेक्शन काटे जाएंगे बल्कि संबंधित निर्माण ध्वस्त करने की कार्रवाई भी होगी।
विरोध की राजनीति
देहरादून की तरह रुद्रपुर और हरिद्वार में भी अवैध बस्तियों पर कार्रवाई के दौरान विरोध का सामना तय माना जा रहा है। स्थानीय लोगों का मानना है कि बरसों से बसे परिवारों को एक झटके में उजाड़ना अमानवीय होगा। वहीं राजनीतिक दलों पर आरोप लग रहा है कि वे वोट बैंक बचाने के लिए इन बस्तियों को संरक्षण देते हैं। यही वजह है कि कई बार शुरू हुई कार्रवाई अधूरी रह जाती है।
मलिन बस्ती अधिनियम : कानूनी स्थिति
- 11 मार्च 2016 तक बने मकान और बस्तियां वैध मानी जाएंगी।
- इसके बाद किए गए सभी निर्माण स्वतः अवैध हैं।
- देहरादून नगर निगम क्षेत्र में 129 बस्तियों को चिन्हित किया गया है।
- इसी पैटर्न पर उधम सिंह नगर और हरिद्वार में भी सर्वे किया जाएगा।
इनमें से 2016 के बाद बने निर्माण अवैध घोषित किए गए हैं.
नगर निगम ने अतिक्रमण हटाने के लिए सर्वे शुरू कर दिया है, लेकिन स्थानीय लोगों के विरोध के कारण कार्रवाई में बार-बार बाधा आ रही है.
नदी-नालों के किनारे अवैध निर्माण पर नकेल
नगर निगम के मुताबिक नदी-नालों के किनारे बनी बस्तियों में अवैध निर्माण पर्यावरण और शहर की सुरक्षा के लिए खतरा बन चुके हैं. एनजीटी और हाईकोर्ट के सख्त निर्देशों के बाद नगर निगम ने रिस्पना नदी सहित अन्य नदियों के किनारे बने अवैध निर्माणों को चिन्हित करने का काम शुरू किया है. पहले चरण में रिस्पना नदी के किनारे की बस्तियों पर फोकस किया जा रहा है. नगर आयुक्त गौरव कुमार ने बताया कि मलिन बस्ती अधिनियम के तहत 11 मार्च 2016 के बाद बने सभी निर्माण अवैध हैं.
सर्वे में बिजली-पानी कनेक्शन की जांच नगर निगम की टीमें अवैध बस्तियों में 2016 के बाद लिए गए बिजली और पानी के कनेक्शनों की भी जांच कर रही हैं. इसके लिए ऊर्जा निगम और जल संस्थान का सहयोग लिया जा रहा है. सर्वे के दौरान यह पता लगाया जा रहा है कि किन-किन भवनों में अवैध रूप से कनेक्शन लिए गए हैं. इस जानकारी के आधार पर अवैध निर्माणों को हटाने की कार्रवाई को और तेज किया जाएगा.
विरोध के कारण कार्रवाई में बाधा
बता दें कि नगर निगम की टीमें पहले भी कई बार अवैध बस्तियों को हटाने के लिए अभियान चला चुकी हैं, लेकिन स्थानीय लोगों के विरोध के चलते सफलता नहीं मिली. हाल ही में दो दिन पहले भी नगर निगम की टीम बस्तियों को हटाने गई थी, लेकिन विरोध के कारण बिना कार्रवाई के वापस लौटना पड़ा. राजनीतिक दलों द्वारा वोट बैंक की रक्षा के लिए अवैध बस्तियों को संरक्षण देने का आरोप भी लग रहा है, जिसके चलते कार्रवाई में देरी हो रही है.
क्या है मलिन बस्ती अधिनियम?
मलिन बस्ती अधिनियम के तहत 11 मार्च 2016 तक बनी बस्तियों और भवनों को वैध माना गया है, लेकिन इसके बाद बने सभी निर्माण अवैध हैं. देहरादून नगर निगम क्षेत्र में 129 बस्तियों को चिन्हित किया गया है, जिनमें करीब 40 हजार भवन हैं. इनमें से अधिकांश नदी-नालों के किनारे बने हैं, जो पर्यावरणीय नियमों का उल्लंघन करते हैं.
रुद्रपुर को स्मार्ट ट्रैफिक और आधुनिक सुविधाओं की ओर ले जाने वाली योजनाएं
✍️ अवतार सिंह बिष्ट | हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स
रुद्रपुर नगर निगम शहर को स्मार्ट ट्रैफिक सिटी बनाने की दिशा में लगातार प्रयासरत है। मेयर विकास शर्मा ने इंदौर का दौरा कर वहां की अत्याधुनिक ट्रैफिक प्रणाली का अध्ययन किया और घोषणा की कि रुद्रपुर में भी इसी तर्ज पर व्यवस्था लागू की जाएगी। शहर की सबसे बड़ी समस्या नैनीताल हाईवे जाम से निपटने के लिए चौड़ीकरण कार्य की तैयारियां तेज कर दी गई हैं। मेयर ने इंदिरा चौक से डीडी चौक काशीपुर बायपास, तक सड़क का निरीक्षण कर अतिक्रमण हटाने और चौड़ीकरण कार्य शीघ्र शुरू करने के निर्देश दिए।मुख्यमंत्री से मुलाकात: विकास योजनाओं पर गंभीर चर्चा,मेयर विकास शर्मा ने देहरादून में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से भेंटकर रुद्रपुर की लंबित योजनाओं और नागरिक समस्याओं पर विस्तार से चर्चा की। इस मुलाकात में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर सहमति बनी—नैनीताल हाईवे चौड़ीकरण और यातायात प्रबंधन को प्राथमिकता देने पर सहमति।फाजलपुर स्थित इंटिग्रेटेड सॉलिड वेस्ट प्लांट के विस्तार के लिए 10 एकड़ अतिरिक्त भूमि आवंटन की मांग।
गांधी पार्क और उत्तरायणी पार्क के सौंदर्यीकरण कार्यों को मुख्यमंत्री घोषणा में शामिल करने की स्वीकृति।शासन स्तर पर लंबित योजनाओं पर शीघ्र अमल का आग्रह।
पेयजल योजनाओं को मिली हरी झंडी
रुद्रपुर, काशीपुर और सितारगंज की पेयजल योजनाओं को भी स्वीकृति मिल गई है। इन योजनाओं पर करोड़ों रुपये की लागत आएगी और लगभग 3 लाख 33 हजार 586 लोगों को शुद्ध पेयजल का लाभ मिलेगा। यह निर्णय न केवल पेयजल संकट को दूर करेगा बल्कि नागरिक जीवन की गुणवत्ता को भी बेहतर बनाएगा।
भविष्य की तस्वीर
इन योजनाओं के लागू होने के बाद रुद्रपुर को—
जाम से राहत मिलेगी।
स्वच्छ और आधुनिक पार्क मिलेंगे।
बेहतर पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित होगी।
कचरा प्रबंधन प्रणाली और अधिक प्रभावी बनेगी। रुद्रपुर, उधम सिंह नगर और हरिद्वार जैसे तेजी से विकसित हो रहे शहरों में यदि समय रहते यह कदम नहीं उठाया गया, तो नदियों का अस्तित्व और नागरिकों की सुरक्षा दोनों खतरे में पड़ जाएंगे।

