रुद्रपुर : उद्योग नगरी या अपराध नगरी? रुद्रपुर की बदलती सामाजिक संरचना ने अपराध !राजनीतिक संरक्षण – सबसे बड़ा संकट – एक संपादकीय दृष्टिकोण

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उत्तराखंड का प्रवेश द्वार कहा जाने वाला रुद्रपुर, आज एक ऐसे मोड़ पर खड़ा है जहां उसकी पहचान पर प्रश्नचिह्न खड़े हो गए हैं। कभी कृषि और औद्योगिक संभावनाओं से भरी यह धरती अब अपराध, अतिक्रमण और नशे की गिरफ्त में कराह रही है। सवाल यह है कि क्या रुद्रपुर अपनी छवि एक उद्योग नगरी के रूप में बचा पाएगा, या अपराध नगरी की पहचान उसमें स्थायी रूप से दर्ज हो जाएगी?
संपादक, हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/ शैल ग्लोबल टाइम्स /उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी/ अवतार सिंह बिष्ट

अपराध का बढ़ता ग्राफ?रुद्रपुर में बीते कुछ वर्षों के अपराध के आंकड़े गंभीर चिंता पैदा करते हैं। उपलब्ध पुलिस रिकार्ड और मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार:

  • 2021 में ऊधमसिंह नगर ज़िले में कुल दर्ज अपराध – 5,436
  • 2022 में यह आंकड़ा बढ़कर 5,988 हुआ।
  • 2023 में जिले में 6,325 केस दर्ज हुए, जिनमें हत्या, लूट, डकैती, बलात्कार और NDPS एक्ट के तहत केस शामिल हैं।
  • अकेले रुद्रपुर कोतवाली क्षेत्र में 2023 में 138 NDPS केस दर्ज हुए, जो 2022 के मुकाबले लगभग 30% अधिक थे।
  • हत्या के केस – 2022 में रुद्रपुर शहर में 12 हत्याएं हुईं। 2023 में यह आंकड़ा बढ़कर 15 तक पहुंचा।
  • बलात्कार के केस – 2021 में 26, 2022 में 34, और 2023 में 41 केस दर्ज हुए।
  • डकैती-लूट की घटनाएं भी चिंताजनक रही हैं। 2023 में रुद्रपुर और आसपास के क्षेत्रों में लगभग 47 लूट/डकैती की घटनाएं दर्ज की गईं।

रुद्रपुर के लिए यह आंकड़े महज नंबर नहीं, बल्कि उस गहरे सामाजिक संकट का संकेत हैं जिसमें यह शहर फंसता जा रहा है।

नशे की दलदल?रुद्रपुर में नशे की तस्करी बेहद सुनियोजित ढंग से हो रही है। हाल ही में ANTF और पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में 2024-25 के बीच लगभग 15 करोड़ रुपये की ड्रग्स (चरस, स्मैक, MDMA, हेरोइन) बरामद हुई। नशे के धंधे से जुड़े गिरोहों का नेटवर्क इतना गहरा है कि स्कूल-कॉलेज के युवा तक इसकी चपेट में आ रहे हैं।

NDPS एक्ट के तहत बढ़ती गिरफ्तारी इस बात का प्रमाण हैं कि रुद्रपुर ड्रग तस्करों के लिए “सेफ जोन” बनता जा रहा है।

अतिक्रमण का जाल?उत्तराखंड बनने के बाद रुद्रपुर में अतिक्रमण एक विकराल समस्या बनकर उभरा। सरकारी और नजर (Nazul) भूमि, विशेषकर नदियों के किनारे, बेतहाशा कब्जाई गई। पहले झोपड़ियाँ बनीं, फिर पक्के मकान। धीरे-धीरे इन इलाकों में अवैध धंधे पनपने लगे। पुलिस रिपोर्ट्स और प्रशासनिक रिकॉर्ड इस बात की तस्दीक करते हैं कि:

  • अतिक्रमित क्षेत्रों में रहने वाले लोग अक्सर नशा कारोबार, अवैध शराब, और आपराधिक गिरोहों के नेटवर्क में सक्रिय पाए गए।
  • इन अतिक्रमणकारियों की आय के स्रोतों में नशे की तस्करी, अवैध शराब, सट्टा, और वसूली जैसी गतिविधियाँ प्रमुख हैं।
  • अतिक्रमण हटाने की सरकारी कार्रवाई अक्सर राजनीतिक हस्तक्षेप, स्थानीय नेताओं के दबाव और साम्प्रदायिक संवेदनशीलता के चलते अधूरी रह जाती है।

बाहरी प्रवासियों की भूमिका?यह कहना भी गलत नहीं कि रुद्रपुर की बदलती सामाजिक संरचना ने अपराध एको जन्म देने में भूमिका निभाई। उत्तराखंड राज्य बनने के बाद यहाँ भारी मात्रा में प्रवासी जनसंख्या का आगमन हुआ। इनमें अधिकांश मेहनतकश लोग हैं, लेकिन कुछ आपराधिक मानसिकता वाले तत्व भी इसमें शामिल हो गए।

  • पुलिस के मुताबिक, NDPS एक्ट के केसों में लगभग 65-70% आरोपी बाहर से आए प्रवासी हैं।
  • लूट, छिनतई और डकैती के मामलों में भी बाहरी गिरोहों का नाम बार-बार सामने आता है।

राजनीतिक संरक्षण – सबसे बड़ा संकट

अपराध की जड़ में एक और बड़ी समस्या है – राजनीतिक संरक्षण। छोटे अपराधी हों या संगठित गैंग, अक्सर उनके पीछे किसी न किसी जनप्रतिनिधि या राजनीतिक रसूखदार का हाथ होता है। यही वजह है कि पुलिस कार्रवाई कई बार आधे रास्ते पर ही ठिठक जाती है।

क्या रुद्रपुर को बचाया जा सकता है?

रुद्रपुर के भविष्य को अपराध नगरी बनने से रोकना संभव है, लेकिन उसके लिए कठोर और ईमानदार कदम ज़रूरी हैं:

  1. अतिक्रमण मुक्त अभियान – नजर भूमि, नदी किनारे और अन्य सरकारी भूमि को कब्जे से मुक्त कराना और वहां पुनर्वास की पारदर्शी योजना लागू करना।
  2. सख्त पुलिसिंग – NDPS, अवैध हथियार और संगठित अपराध पर फास्ट ट्रैक अदालतें बनाई जाएं।
  3. राजनीतिक इच्छाशक्ति – अपराधियों को संरक्षण देने वाले नेताओं पर भी कानूनी शिकंजा कसना।
  4. जन-जागरूकता – समाज को भी जिम्मेदारी लेनी होगी कि नशे, अवैध धंधों और अपराधियों का बहिष्कार करे।
  5. युवाओं पर फोकस – शिक्षा, खेल और रोजगार में युवाओं को जोड़कर अपराध की ओर झुकाव को रोका जाए।

रुद्रपुर की मिट्टी में सामर्थ्य है। यहां उद्योग, व्यापार और कृषि की अपार संभावनाएं हैं। सवाल यह है कि हम इसे उद्योग नगरी बनाए रखना चाहते हैं या अपराध नगरी के कलंक के साथ जीने को मजबूर होना चाहते हैं। फैसला हमें और हमारी व्यवस्था को ही करना है।


स्रोत:

  • ऊधमसिंह नगर पुलिस वार्षिक रिपोर्ट 2021-2023
  • प्रेस रिलीज़ेस, उत्तराखंड पुलिस
  • स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स (2023-25)

उत्तराखंड की परिकल्पना एक शांत, अपराधमुक्त और विकासशील प्रदेश की थी, जहां जनता भयमुक्त होकर जीवन यापन कर सके। मगर रुद्रपुर समेत कई इलाकों में अपराधियों को राजनीतिक संरक्षण देना केवल इस शहर के लिए नहीं, बल्कि पूरे उत्तराखंड और भारत के लिए गहरा आघात है। वोट बैंक की राजनीति में कुछ नेता अपराधियों को बचाने या उनके साथ खड़े रहने से बाज नहीं आ रहे, जिससे कानून व्यवस्था की जड़ें हिल रही हैं।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का विजन “अतिक्रमण मुक्त, नशा मुक्त, अपराध मुक्त उत्तराखंड” एक प्रशंसनीय लक्ष्य है। लेकिन इसे केवल भाषणों और नारों से नहीं, ठोस कार्रवाई और राजनीतिक ईमानदारी से ही साकार किया जा सकता है। रुद्रपुर को उसके पुराने शांत और सौहार्दपूर्ण स्वरूप में लौटाने के लिए आवश्यक है कि हर स्तर पर अपराधियों पर सख्त कार्रवाई हो और उन्हें संरक्षण देने वाले नेताओं को भी जनता के सामने बेनकाब किया जाए।

अब समय आ गया है कि विकास की असली राह पर चलकर उत्तराखंड को वह स्वरूप दें, जिसकी कल्पना राज्य आंदोलनकारियों और जनता ने की थी – एक सुरक्षित, सुशासित और समृद्ध प्रदेश।


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