तस्करी के लिए गिरोह लगातार नई तरकीबें अपना रहे हैं। अब यह सोने को छोटे-छोटे कैप्सूल में भरकर निगल लेते हैं। भारत पहुंचकर मल के रास्ते सोना बाहर निकाला जाता है। कई बार पेट में कैप्सूल फंसने पर ऑपरेशन तक कराना पड़ता है। पूर्व में गाजियाबाद में भी पुलिस टीम ने ऐसे तस्करों को पीछा कर पकड़ा था।


संवाददाता,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स /उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह
खुफिया एजेंसियों के रडार पर रहते हैं कई मोहल्ले
टांडा नगर क्षेत्र के कई मोहल्ले खुफिया एजेंसियों के रडार पर रहते हैं। खाड़ी देशों से सोना लाकर तस्करी का धंधा संचालित करने वाले गिरोहों का नेटवर्क तेजी से फैल रहा है। नगर के आधा दर्जन मोहल्लों हाजीपुरा, भब्बलपुरी, पुराना बाजार, यूसुफ (चौक) आदि के लोग इस धंधे में लिप्त हैं। पुलिस और कस्टम विभाग की सक्रियता के बावजूद तस्करी की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। शहर के सैकड़ों युवक तस्करी के धंधे में लिप्त हैं। सरगना युवाओं को फ्री उमराह यात्रा और मोटी कमाई का झांसा देकर खाड़ी देशों में भेजते हैं। वहां से लौटते समय सोना उनके पेट में छिपाकर भेजा जाता है।
पेट में गोलियां, घर में खास टॉयलेट
तस्करी का तरीका जोखिम भरा है। सोने की छोटी गोलियों को निगलकर लाया जाता है, जिन्हें घर पहुंचने के बाद शौच के जरिये निकाला जाता है। इसके लिए कुछ घरों में विशेष जाली लगी टॉयलेट सीट बनवाई गई हैं, ताकि मल के साथ जाने वाली गोलियां आसानी से अलग हो सकें। सोने की गोलियां खाने से कई तस्करों की तबीयत भी बिगड़ चुकी है। हाजीपुरा मोहल्ला तस्करी के सरगनाओं का गढ़ बन गया है। बताया जा रहा है कि इसी मोहल्ले के दो तस्कर दुबई की जेल में बंद हैं।
एयरपोर्ट पर भी रहती है सेटिंग
तस्कर जानकारी रखते हैं कि कब किस एयरपोर्ट पर कौन अधिकारी ड्यूटी पर है, जिससे उन्हें पकड़ने से बचने में मदद मिलती है। यही कारण है कि हर बार नए चेहरे पकड़े जाते हैं, जबकि सरगना बच निकलते हैं। वह दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद, लखनऊ जैसे एयरपोर्ट पर उतरकर सोना सौंप देते हैं और फिर वापस खाड़ी देशों की उड़ान पकड़ लेते हैं।
30-40 हजार के लालच में फंस रहे युवा
इस नेटवर्क में जुड़े युवाओं को हर बार की तस्करी के एवज में 30 से 40 हजार रुपये दिए जाते हैं। इसके अलावा फ्री उमराह यात्रा का प्रलोभन भी दिया जाता है। आर्थिक तंगी और बेरोजगारी के कारण युवा इस जाल में आसानी से फंस रहे हैं। फिलहाल पुलिस और जांच एजेंसियां इस पूरे नेटवर्क को उजागर करने की कोशिश कर रही हैं, लेकिन तस्करों की बदलती रणनीति उन्हें पकड़ने में बड़ी चुनौती बन रही है।
पेट में सोना, ऑपरेशन के दौरान मौत
फरवरी 2025 में टांडोला मोहल्ले के रहने वाले मोहम्मद आलम को पेट में तेज दर्द की शिकायत हुई। परिजन उसे टांडा में एक निजी क्लिनिक पर लेकर पहुंचे। जांच में डॉक्टर को पेट में कुछ संदिग्ध दिखा, तो ऑपरेशन की सलाह दी गई। ऑपरेशन के दौरान आलम की मौत हो गई। उसके पेट में सोना होने की पुष्टि हुई थी।
पेट में सोना छिपाकर लाए 29 युवक लखनऊ एयरपोर्ट से हुए थे फरार
एक अप्रैल 2024 की सुबह शारजाह से लखनऊ अमौसी एयरपोर्ट पहुंचे रामपुर के टांडा क्षेत्र के 36 तस्करों को कस्टम विभाग ने पकड़ कर उनके कब्जे से करीब 3.2 करोड़ रुपये मूल्य की विदेशी सिगरेट बरामद की थी। पूछताछ में खुलासा हुआ कि इनमें से 30 आरोपी पेट में सोना छिपाकर भी लाए हैं। सभी को पकड़ा गया, लेकिन अगले दिन 29 आरोपी तबीयत खराब होने का बहाना बनाकर कस्टम की गिरफ्त से भाग निकले थे।
इस सनसनीखेज फरारी के बाद पूरे कस्टम विभाग में हड़कंप मच गया। कस्टम विभाग के सहायक आयुक्त एके सिंह ने सरोजनी नगर थाने में काशिफ समेत 36 आरोपियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी। रिपोर्ट में सोना व सिगरेट तस्करी के गंभीर आरोप लगाए गए थे। तस्करों की फरारी की घटना के बाद कस्टम विभाग ने बड़ी कार्रवाई करते हुए आठ अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया है। मामले की आंतरिक जांच चल रही है।
मिलक तहसील में हुई थी सोना तस्करों से लूट
2024 में टांडा निवासी तारिक ने पुलिस को बताया कि वह और उसके साथी अजहर, मुकीम, फरहान चारों लोग सोना लेकर टांडा आ रहे थे। इसी दौरान जब यह लोग रामपुर के मिलक क्षेत्र के मीरगंज पहुंचे, तब उनके वाहन को निशाना बनाकर लुटेरों ने हमला कर दिया और उनके पास से पूरा सोना लूट लिया था। तारिक की शिकायत पर मामला दर्ज किया गया और मुठभेड़ के बाद पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया। पूछताछ में पूरी तस्करी और लूट की योजना का खुलासा हुआ था।

