(मोदी को बता देना) ऑपरेशन सिंदूर: जब मोदी ने आतंकियों की चुनौती का जवाब उसी सिंदूर से दिया

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मोदी को बता देना”—ये शब्द थे उन दरिंदों के, जिन्होंने एक मासूम कश्मीरी महिला की मांग उजाड़ दी थी। उनकी ये घिनौनी चेतावनी किसी एक घर की दहलीज़ पर नहीं रुकी, बल्कि पूरे भारत के आत्मसम्मान को ललकार गई। उस दिन एक माँ का बेटा शहीद हुआ था, एक पत्नी का सुहाग छिन गया था और पूरे देश की आँखों में आँसू थे—लेकिन साथ ही आग भी थी। और उस आग को जवाब दिया गया “ऑपरेशन सिंदूर” के रूप में।

संवाददाता,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स /उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)

आतंक की वह काली रात

घटना सिर्फ एक आतंकी हमले की नहीं थी। यह हमला उस विश्वास पर था कि भारत अब भी चुप रहेगा। आतंकियों ने निर्दोषों की हत्या कर, कैमरे की ओर देखकर कहा—“मोदी को बता देना।” यह केवल धमकी नहीं थी, बल्कि संप्रभुता को चुनौती थी। कश्मीर की वादियों में बहता हुआ खून इस बात का गवाह बन गया कि अब कुछ बदलने वाला है।

मोदी जी का मौन, जो सुनामी बनकर लौटा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उस वक्त कोई बयान नहीं दिया। न कैमरे के सामने रोये, न ललकारा। लेकिन उस शहीद के सिंदूर की पीड़ा उनके हृदय में उतर गई। जिस दिन वह विधवा महिला चुपचाप अपने पति की तस्वीर को निहार रही थी, उसी दिन भारत के प्रधानमंत्री ने एक निर्णय लिया—अब जवाब देना होगा, वह भी ऐसे कि दुनिया देखे और दुश्मन थर्राये।

ऑपरेशन सिंदूर: योजना, साहस और संदेश

भारतीय सेना, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और RAW की गुप्त तैयारियों के साथ एक नया मिशन जन्म ले चुका था—ऑपरेशन सिंदूर। नाम ही काफी था यह बताने के लिए कि यह केवल सैन्य प्रतिक्रिया नहीं है, यह उस उजड़े सिंदूर की गरिमा की रक्षा है। यह उस हर स्त्री की ओर से उत्तर था, जिसकी माँग आतंक की आग में जल गई थी।

इस ऑपरेशन में सीमापार आतंक के केंद्रों को बारीकी से चिन्हित किया गया। रात के अंधेरे में भारतीय कमांडो LOC पार कर गए, दुश्मन की नींद तोड़ दी, और आतंकियों के अड्डों को राख में बदल दिया।

अंतर्राष्ट्रीय जगत की सन्नाटा प्रतिक्रिया,जब सुबह हुई, पाकिस्तान खामोश था और संयुक्त राष्ट्र हैरान। दुनिया ने पहली बार देखा कि भारत अब केवल सहनशील नहीं है, बल्कि निर्णायक भी है। अमेरिकी मीडिया ने लिखा—“India avenges not with words, but with precision.” और भारत की जनता ने कहा—“अबकी बार, सही वार।”

उस विधवा की आँखों में लौटी रौशनी,ऑपरेशन के बाद एक तस्वीर सामने आई—वही महिला, जो कुछ दिन पहले तक गुमसुम थी, अब अपनी बेटी को गोद में लेकर तिरंगे के नीचे खड़ी थी। आँखों में आँसू तो थे, लेकिन इस बार वे आँसू गर्व के थे। पूछने पर उसने बस इतना कहा—“मोदी जी ने बता दिया…”

ऑपरेशन सिंदूर” कोई सैन्य कार्रवाई मात्र नहीं थी; यह भारत की आत्मा का, उस सिंदूर का, और हर उस आस्था का पुनर्जागरण था जिसे आतंक ने मिटाने की कोशिश की थी। यह संदेश था कि भारत अब चुप नहीं रहेगा, और जो माँग उजाड़ी जाती है, उसका उत्तर अब उसी सिंदूर से दिया जाएगा।



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