सरकारी नौकरी पाने की चाह ने एक शिक्षक को ऐसा कदम उठाने पर मजबूर कर दिया, जिससे अब उसे सलाखों के पीछे जाना पड़ा है। उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से सामने आए इस मामले ने एक बार फिर अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) की परीक्षाओं में फर्जीवाड़े के नए तरीके का पर्दाफाश किया है।

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पुलिस ने आरोपी सुरेंद्र कुमार को गिरफ्तार किया है, जिसने सरकारी नौकरी हासिल करने के लिए अपनी जन्मतिथि में हेराफेरी की और फर्जी दस्तावेज तैयार किए।

✍️ अवतार सिंह बिष्ट | हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स, रुद्रपुर ( उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी

पुलिस जांच के अनुसार सुरेंद्र कुमार, जो मूल रूप से गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश) का निवासी है और एक निजी स्कूल में शिक्षक के रूप में कार्यरत है, ने सरकारी निरीक्षक वर्ग-2 और सहायक विकास अधिकारी की लिखित परीक्षाओं में शामिल होने के लिए फर्जी कागजात बनाए। आरोपी ने अपनी वास्तविक जन्मतिथि 1988 से बदलकर 1995 कर दी, ताकि वह पात्रता आयु सीमा में आ सके।

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आरोपी ने केवल यही नहीं किया बल्कि उसने टिहरी, हरिद्वार और देहरादून से तीन अलग-अलग आवेदन भी किए और हर बार अलग-अलग मोबाइल नंबरों का इस्तेमाल किया। उसकी इस चालाकी का पर्दाफाश तब हुआ जब उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) ने दस्तावेजों की जांच के दौरान असंगतियां पाई और मामले की शिकायत पुलिस में दर्ज कराई।

मामले में पुलिस की कार्रवाई

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक दीक्षा के देहरादून ने मामले की गंभीरता को देखते हुए गोपनीय जांच के आदेश दिए। जांच में यह स्पष्ट हुआ कि सुरेंद्र ने नौकरी की पात्रता के लिए जानबूझकर अपने दस्तावेजों में बदलाव किया है। इसके बाद पुलिस ने आरोपी के खिलाफ रायपुर थाने में धारा 318(4), 336(3) और 340(2) बीएनएस के तहत मुकदमा दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया।

आरोपी शिक्षक ने कबूली यह बात

पूछताछ के दौरान सुरेंद्र ने अपना अपराध कबूल कर लिया। उसने कहा कि उसकी उम्र सरकारी नौकरी की अधिकतम सीमा पार कर चुकी थी, जिसके चलते उसने गलत रास्ता अपनाया। पुलिस अब यह भी जांच कर रही है कि क्या इस फर्जीवाड़े में कोई अन्य व्यक्ति या एजेंट शामिल था।

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पुलिस अधिकारियों ने बताया कि यह मामला परीक्षा प्रणाली की पारदर्शिता और सख्त दस्तावेज सत्यापन की आवश्यकता को फिर से उजागर करता है। उन्होंने चेतावनी दी है कि इस तरह की किसी भी धोखाधड़ी की कोशिश पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।


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