हिन्दू धर्म में संकष्टी चतुर्थी के व्रत का बहुत अधिक महत्व है और यह व्रत भगवान गणेश को समर्पित है. संकष्टी चतुर्थी के दिन विवाहित महिलाएं अपनी संतान की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती है और जीवन में सुख-समृद्धि बनाए रखने की बप्पा से कामना करती हैं.

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ऐसी मान्यता है कि जो विवाहित महिलाएं पूरे विधि-विखान से व्रत रखती हैं, भगवान गणेश उनकी सभी बाधाओं को हर लेते हैं. इस दिन उनकी पूजा और विधि-विधान से व्रत करने से भक्तों के जीवन से संकट दूर होते हैं और घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है.

संवाददाता,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स /उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट

संकष्टी चतुर्थी व्रत (कृष्णपिंगल संकष्टी चतुर्थी) हर साल आषाढ़ माह के कष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है. इस साल पंचांग के अनुसार, चतुर्थी तिथि 14 जून दिन शनिवार को दोपहर 03 बजकर 46 मिनट से शुरू होगी और 15 जून दिन रविवार को दोपहर 03 बजकर 51 मिनट पर समाप्त होगी. इस व्रत में चंद्रमा की पूजा की जाती है. इसलिए चंद्रोदय के अनुसार, ये व्रत 14 जून को रखा जाएगा. इसे दिन रात लगभग 10 बजकर 07 मिनट पर चंद्रोदय होगा.

संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि

  1. संकष्टी चतुर्थी का व्रत भगवान गणेश की पूजा और चंद्र दर्शन के साथ पूर्ण होता है.
  2. सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
  3. पूजा स्थल को साफ करें और भगवान गणेश की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें.
  4. हाथ में जल और फूल लेकर व्रत का संकल्प लें कि आप अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए यह व्रत कर रहे हैं और इसे विधि-विधान से पूरा करेंगे.
  5. ‘ॐ गं गणपतये नमः’ या ‘ॐ भालचंद्राय नमः’ मंत्र का जाप करें.
  6. अपनी श्रद्धा और शारीरिक क्षमता के अनुसार निर्जला (बिना पानी) या फलाहारी व्रत रखें.
  7. मन में भगवान गणेश का स्मरण करते रहें और जितना हो सके मानसिक रूप से शांत और सकारात्मक रहें.
  8. शाम को प्रदोष काल में या चंद्रोदय से पहले एक बार फिर स्नान करें (या हाथ-पैर धोकर शुद्ध हो जाएं) और भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा करें.
  9. गणेश जी को जल, दूर्वा (21 गांठ वाली), लाल फूल (जैसे गुड़हल), मोदक या लड्डू (विशेषकर तिल के लड्डू), फल, चंदन, अक्षत, धूप, दीप, अगरबत्ती, माला आदि अर्पित करें.
  10. गणेश चालीसा का पाठ करें और कृष्णपिंगल संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा अवश्य पढ़ें या सुनें और ‘ॐ गं गणपतये नमः’ या ‘ॐ वक्रतुंडाय हुम्’ मंत्र का 108 बार जाप करें.

चंद्र दर्शन और अर्घ्य

  • चंद्रोदय होने पर छत पर या खुले स्थान पर जाएं.
  • एक साफ लोटे में शुद्ध जल, कच्चा दूध, अक्षत (चावल), और सफेद फूल डालकर चंद्रमा को अर्घ्य दें.
  • चंद्रमा को प्रणाम करें और अपनी मनोकामना दोहराएं.
  • चंद्र मंत्र: “ॐ चंद्राय नमः” या “ॐ सोमाय नमः” का जाप करें.
  • माना जाता है कि चंद्रमा के दर्शन और अर्घ्य के बिना संकष्टी चतुर्थी का व्रत पूर्ण नहीं होता है.

व्रत पारण (व्रत खोलना)

चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही व्रत का पारण करें. भगवान गणेश को चढ़ाए गए मोदक या लड्डू (विशेष रूप से तिल और गुड़ से बने) का प्रसाद ग्रहण करें. कुछ जगहों पर दूध और शकरकंद से पारण करने का भी विधान है. फलाहार या सात्विक भोजन से व्रत खोलें. जो चीजें व्रत में वर्जित थीं, उन्हें न खाएं. हल्का और सुपाच्य भोजन करें ताकि पेट पर जोर न पड़े.

इन बातों का रखें खास ध्यान

महिलाएं व्रत के दौरान फल, दूध, दही, छाछ, पनीर, साबूदाना, कुट्टू का आटा, सिंघाड़े का आटा, शकरकंद, मूंगफली, नारियल, मेवे. सेंधा नमक का प्रयोग करें. अनाज (चावल, गेहूं, दालें), साधारण नमक, हल्दी, लाल मिर्च, गरम मसाला, प्याज, लहसुन, मांसाहार, अंडे, शराब, धूम्रपान, अधिक तला-भुना भोजन न करें. इस दिन काले वस्त्र धारण न करें. पीले या लाल वस्त्र पहनना शुभ होता है. भगवान गणेश को तुलसी का पत्ता अर्पित न करें. किसी से वाद-विवाद न करें और मन में नकारात्मक विचार न लाएं. अपनी सामर्थ्य अनुसार दान-पुण्य करें. इस प्रकार, संकष्टी चतुर्थी का व्रत विधि-विधान से करने और सही नियमों का पालन करने से भगवान गणेश की कृपा प्राप्त होती है और जीवन के सभी संकट दूर होकर खुशहाली आती है.

✧ धार्मिक और अध्यात्मिक

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