हिंदू धर्म में गंगा दशहरा का पर्व बेहद पवित्र और महत्वपूर्ण माना जाता है। यह दिन मां गंगा के पृथ्वी पर अवतरण का प्रतीक है, और इस अवसर पर गंगा नदी में स्नान, पूजा-अर्चना और दान का विशेष महत्व है।

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ऐसी मान्यता है कि गंगा दशहरा पर श्रद्धापूर्वक दान करने से व्यक्ति के जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं, संचित पापों का नाश होता है, और घर में सुख-समृद्धि आती है।

संवाददाता,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स /उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गंगा स्नान करने से 10 पाप खत्म हो जाते हैं, जैसे चुगली करना, झूठ बोलना, कठोर बोलना, परस्त्री गमन, बिना अनुमति चीजें लेना, दूसरों का धन हड़पने की सोच, बुराई करना, अनुचित हिंसा, बेकार की जिद और दूसरों को नुकसान पहुंचाना।

गंगा दशहरा शुभ तिथि और शुभ मुहूर्त
सनातन धर्म में गंगा स्नान का विशेष महत्व होता है। विशेष तौर पर गंगा दशहरे पर स्नान करके दान करने से पापों से मुक्ति मिलती है। वैदिक पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि की शुरुआत 04 जून 2025 को रात 11 बजकर 55 मिनट पर होगी और इसका समापन 06 जून 2025 को रात करीब 2 बजकर 14 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार इस वर्ष गंगा दशहरा का त्योहार 05 जून 2025 को मनाया जाएगा।

इन चीजों का करें दान
गंगा दशहरा के पावन पर्व पर, गंगा माता की पूजा के साथ-साथ दान का विशेष महत्व है। इस शुभ दिन पर जरूरतमंदों को सफेद वस्त्रों का दान करना अत्यंत शुभ माना गया है, क्योंकि इससे जीवन से कलह और क्लेश दूर होते हैं। इसके अतिरिक्त, अन्न का दान भी बेहद पुण्यदायी होता है। ऐसी मान्यता है कि अन्न दान करने से घर में कभी धन-धान्य की कमी नहीं होती और बरकत बनी रहती है।

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गंगा दशहरा के अवसर पर शक्कर और सवर्ण (सोना) का दान करना भी अत्यंत लाभकारी माना गया है, जो जीवन में मिठास और समृद्धि लाता है। ये दान-पुण्य के कार्य केवल धार्मिक महत्व ही नहीं रखते, बल्कि समाज में सद्भाव और सहायता की भावना को भी बढ़ावा देते हैं।

गंगा स्त्रोत का पाठ –

ॐ नमः शिवायै गङ्गायै शिवदायै नमो नमः।

नमस्ते विष्णुरुपिण्यै, ब्रह्ममूर्त्यै नमोఽस्तु ते॥

नमस्ते रुद्ररुपिण्यै शाङ्कर्यै ते नमो नमः।
सर्वदेवस्वरुपिण्यै नमो भेषजमूर्त्तये॥

सर्वस्य सर्वव्याधीनां, भिषक्श्रेष्ठ्यै नमोఽस्तु ते।
स्थास्नु जङ्गम सम्भूत विषहन्त्र्यै नमोఽस्तु ते॥

संसारविषनाशिन्यै, जीवनायै नमोఽस्तु ते।
तापत्रितयसंहन्त्र्यै, प्राणेश्यै ते नमो नमः॥

शांतिसन्तानकारिण्यै नमस्ते शुद्धमूर्त्तये।
सर्वसंशुद्धिकारिण्यै नमः पापारिमूर्त्तये॥

भुक्तिमुक्तिप्रदायिन्यै भद्रदायै नमो नमः।
भोगोपभोगदायिन्यै भोगवत्यै नमोఽस्तु ते॥

मन्दाकिन्यै नमस्तेఽस्तु स्वर्गदायै नमो नमः।
नमस्त्रैलोक्यभूषायै त्रिपथायै नमो नमः॥

नमस्त्रिशुक्लसंस्थायै क्षमावत्यै नमो नमः।
त्रिहुताशनसंस्थायै तेजोवत्यै नमो नमः॥

नन्दायै लिंगधारिण्यै सुधाधारात्मने नमः।
नमस्ते विश्वमुख्यायै रेवत्यै ते नमो नमः॥

बृहत्यै ते नमस्तेఽस्तु लोकधात्र्यै नमोఽस्तु ते।
नमस्ते विश्वमित्रायै नन्दिन्यै ते नमो नमः॥

पृथ्व्यै शिवामृतायै च सुवृषायै नमो नमः।
परापरशताढ्यायै तारायै ते नमो नमः॥

पाशजालनिकृन्तिन्यै अभिन्नायै नमोఽस्तुते।
शान्तायै च वरिष्ठायै वरदायै नमो नमः॥

उग्रायै सुखजग्ध्यै च सञ्जीवन्यै नमोఽस्तु ते।
ब्रह्मिष्ठायै ब्रह्मदायै, दुरितघ्न्यै नमो नमः॥

प्रणतार्तिप्रभञ्जिन्यै जग्मात्रे नमोఽस्तु ते।
सर्वापत् प्रति पक्षायै मङ्गलायै नमो नमः॥

शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे।
सर्वस्यार्ति हरे देवि! नारायणि ! नमोఽस्तु ते॥

निर्लेपायै दुर्गहन्त्र्यै दक्षायै ते नमो नमः।
परापरपरायै च गङ्गे निर्वाणदायिनि॥

गङ्गे ममाఽग्रतो भूया गङ्गे मे तिष्ठ पृष्ठतः।
गङ्गे मे पार्श्वयोरेधि गंङ्गे त्वय्यस्तु मे स्थितिः॥

आदौ त्वमन्ते मध्ये च सर्वं त्वं गाङ्गते शिवे!
त्वमेव मूलप्रकृतिस्त्वं पुमान् पर एव हि।
गङ्गे त्वं परमात्मा च शिवस्तुभ्यं नमः शिवे।।


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